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Bhumi Pednekar Interview On Durgamati: भूमि पेडणेकर को लगता है भूतों से डर, अंधेरे कमरे से नहीं रह सकती अकेले

भूमि पेडणेकर ने ट्विटर पर अपनी प्रोफाइल में लिखा है एक्टर ड्रीमर और फ्यूचर लीडरl इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा मेरे विचार से लीडरशिप वहां भी होती है जहां लोग आपसे प्रेरित हों। मैं अपनी फिल्मों से लोगों को प्रेरित करने की कोशिश कर रही हूं।

By Rupesh KumarEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 08:39 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 03:08 PM (IST)
Bhumi Pednekar Interview On Durgamati: भूमि पेडणेकर को लगता है भूतों से डर, अंधेरे कमरे से नहीं रह सकती अकेले
‘दुर्गामती’ वर्ष 2018 में आई तेलुगु सुपरहिट फिल्म ‘भागमती’ की रीमेक है।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबईl हिंदी सिनेमा में अपनी जमीन पुख्ता कर चुकीं भूमि पेडणेकर जल्द ही ‘दुर्गामती’ में नजर आएंगी, जो वर्ष 2018 में आई तेलुगु सुपरहिट फिल्म ‘भागमती’ की रीमेक है। मूल फिल्म के निर्देशक अशोक ने ही इसका भी निर्देशन किया है। फिल्म को लेकर भूमि से बातचीत के अंश...

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अब अभिनेत्रियों के लिए सशक्त किरदार लिखे जा रहे हैं। इस बदलाव को कैसे देखती हैं?

थैंक गॉड, यह बदलाव आ रहा है। मैं पहली बार हॉरर जॉनर की फिल्म कर रही हूं। मैं बहुत एक्साइटेड थी जब मेरे पास ‘दुर्गामती’ आई थी क्योंकि मुझे ऐसी कहानी की तलाश थी जो महिला प्रधान हो, लेकिन उसमें मास अपील हो। ‘दुर्गामती’ सौ फीसद वैसी ही फिल्म है। मैं फिल्ममेकर्स, लेखकों और दर्शकों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जो यह बदलाव लाने में कामयाब रहे हैं।

 

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इसमें किरदार के दो शेड निभाने  का मौका मिला है। इस बारे में कुछ बताएं?

मुख्य रूप से मेरा किरदार आइएएस अधिकारी चंचल का है, जो मर्डर के आरोप में जेल में है। उसकी बैकस्टोरी फिल्म देखकर पता चलेगी। यह रहस्यमयी किरदार है। लगातार आपके मन में सवाल उठेगा कि मामला क्या है? इसमें अलग-अलग शेड निभाने का मौका मिला। कोशिश रहती थी कि मेरे किरदार चंचल चौहान और दुर्गामती एक जैसी न दिखें। दोनों का अलग व्यक्तित्व है, लिहाजा इसमें बहुत मुश्किल भी थी। फिल्म देखते हुए आप स्क्रीन से नजर नहीं हटा पाएंगे। वही अनुभव मुझे इस किरदार को निभाते हुए आया। शूटिंग के दौरान सुबह और शाम के सीन में जमीन-आसमान का अंतर होता था। तीसरे सीन का सुर अलग ही दिशा में होता था। किरदार में इमोशन को लगातार बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। कोई ऐसा दिन नहीं था कि मैं एक समान इमोशन लेकर चल रही थी।

रीमेक में कई दृश्य मूल फिल्म के समान ही होते हैं। फिर किरदार में अपनी आइडेंटिटी कैसे देंगी?

सीन भले ही एक जैसे हों, मगर हर कलाकार उसमें कुछ न कुछ नया लेकर आने की कोशिश करता है। मैंने भी वही कोशिश की है। यह दर्शक बताएंगे कि मैं सफल रही या नहीं।

 

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हॉरर फिल्मों से आपको डर लगता है। इस फिल्म के बाद हॉरर फिल्मों को लेकर नजरिया बदला?

हां, मुझे बहुत ज्यादा डर लगता है। मैं अंधेरे कमरे में अकेले रह नहीं पाती हूं। इस फिल्म को शूट करते हुए भी बहुत डर लगा, क्योंकि कई बार मेरे अकेले का सीन होता था। हमने मध्य प्रदेश की कई सुंदर-सुंदर हवेलियों में शूटिंग की है। मैं बहुत घबराती थी, लेकिन यह थोड़ी अलग फिल्म है। बात जहां तक नजरिया बदलने की है तो (सोचते हुए) हां, हॉरर फिल्मों को लेकर नजरिया बदला है। अब मुझे मजा आने लगा है। हॉरर फिल्म थ्रिलर और रोंगटे खड़े करने वाला अनुभव देती है। मेरे लिए एक नया जॉनर खुल गया है। मैं खुद को किसी सीमा में नहीं बांधना चाहती हूं। मेरे लिए कहानी और किरदार का दिलचस्प होना जरूरी है।

फिल्म में आपको मोनोलॉग करने का मौका मिला है... (हंसते हुए) मोनोलॉग तो बहुत तगड़ा और हार्ड कोर है। मुझे मोनोलॉग करने में मजा आता है। जब आप लंबा भाषण तैयार करते हैं तब आप उन लाइनों और किरदारों में इतना उतर जाते हैं कि जब यह खत्म होता है तो आप तुरंत उससे निकल नहीं पाते। मैं बहुत तैयारी करती हूं और कोशिश करती हूं कि अलग-अलग चीजें करूं।

 

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असल जिंदगी में दुर्गा का रूप कब धारण किया था?

मैं तो दिन में एकाध बार दुर्गा बन ही जाती हूं। मम्मी ने इस फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद एक वाकये के बारे में बताया जब उन्होंने मुझे पहली बार दुर्गा के रूप में देखा था। एक बार बचपन में मम्मी के साथ मार्केट गई थी तो जगह की कमी के चलते मम्मी को गाड़ी ऐसे पार्क करनी पड़ी कि दूसरे ड्राइवर को गाड़ी निकालने में दिक्कत हो गई। हम वापस आए तो वह व्यक्ति मम्मी को बुरा-भला कहने लगा तो मैंने उसे डांटते हुए कहा कि यह बात करने का तरीका नहीं है। मैं तुम्हें पुलिस में ले जाऊंगी। तुम्हारी गाड़ी तोड़ दूंगी। खैर, वह बचपन की बात है, मगर मुझे लगता है हर महिला को कई बार दुर्गा बनना पड़ता है।

ओटीटी ने फर्स्ट डे फर्स्ट शो का डर मिटा दिया है...

नहीं, भले ही बॉक्स ऑफिस का प्रेशर नहीं है, लेकिन डर तो अभी भी है कि फिल्म को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया क्या होगी। ओटीटी की अच्छी बात यह है कि आप सुविधानुसार फिल्म देख सकते हैं।

अक्षय कुमार इस फिल्म के निर्माता है। उन्होंने ‘लक्ष्मी’ की और आपने ‘दुर्गामती’। दोनों साउथ की रीमेक फिल्में हैं। कभी किरदारों को लेकर चर्चा हुई?

नहीं, कभी नहीं। हमने कभी अपनी फिल्मों या परफॉर्मेंस के बारे में बात नहीं की। बतौर प्रोड्यूसर वह मेरे लिए सुपर ह्यूमन हैं। वह एक्टिंग भी कर रहे हैं। प्रोड्यूसर के तौर पर भी सब जानते हैं। उनकी जितनी तारीफ करूं, वह कम है।

ट्विटर पर आपकी प्रोफाइल में लिखा है एक्टर, ड्रीमर और फ्यूचर लीडर (भविष्य में नेता)। क्या राजनीति में आने का इरादा है?

मेरे विचार से लीडरशिप वहां भी होती है जहां लोग आपसे प्रेरित हों। मैं अपनी फिल्मों से लोगों को प्रेरित करने की कोशिश कर रही हूं। जहां से लोगों की सोच बदल सके। मैं बस वही करने की कोशिश कर रही हूं।


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