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दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के केस में पूजा बेदी और सुधांशु पांडेय समेत 6 को कोर्ट ने भेजा समन

पीड़िता की वकील मंशा भाटिया के हवाले से समाचार एजेंसी ने बताया कि यह मामला 228ए के तहत मेरे क्लाइंट की पहचान रिवील करने के लिए दर्ज़ किया गया है। जांच के बाद सभी आरोपियों को समन भेजे गये हैं जिन्हें अब अदालत में पेश होना है।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 08:51 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 07:45 AM (IST)
दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के केस में पूजा बेदी और सुधांशु पांडेय समेत 6 को कोर्ट ने भेजा समन
Karan Oberoi, Pooja Bedi and Sudhanshu Pandey. Photo- Instagram

नई दिल्ली, जेएनएन। मुंबई की एक अदालत ने बॉलीवुड एक्टर पूजा बेदी और सुधांशु पांडेय समेत 6 लोगों को दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में समन भेजा है। इन सभी पर आरोप है कि दुष्कर्म के आरोपी एक्टर करण ओबेरॉय का पक्ष लेते हुए इन्होंने पीड़िता की पहचान रिवील कर दी थी। 

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बता दें कि मई 2019 में मुंबई के ओशिवरा पुलिस स्टेशन में एक्टर-सिंगर करण ओबेरॉय के ख़िलाफ़ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के आरोपों में धारा 376 और 884 के तहत मामला दर्ज़ किया गया था। मामले की फ़िलहाल अदालत में चल रहा है। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, पूजा बेदी और सुधांशु पांडेय ने करण के पक्ष में बयान दिया था। जून 2019 में पूजा और सुधांशु समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ करवायी गयी थी। 

पीड़िता की वकील मंशा भाटिया के हवाले से समाचार एजेंसी ने बताया कि यह मामला 228ए के तहत मेरे क्लाइंट की पहचान रिवील करने के लिए दर्ज़ किया गया है। जांच के बाद सभी आरोपियों को समन भेजे गये हैं, जिन्हें अब अदालत में पेश होना है। 

इस बारे में पूजा ने आईएएनएस से कहा- ''यह परेशान करने वाली बात है कि निर्दोष शख्स का नाम सार्वजनिक रूप से लेकर उसे बदनाम किया जा सकता है, मगर दुष्कर्म के फ़र्ज़ी केस दायर करने वाली महिलाओं की पहचान छिपाकर रखी जाती है। पूजा ने कहा कि उन्होंने अपने किसी इंटरव्यू में पहचान नहीं बतायी है। मैंन तो हमेशा कहा है कि नाम नहीं बताने चाहिए। जो कानून महिलाओं की हिफ़ाज़त के लिए बनाये गये थे, वो उन्हीं का दुरुपयोग कर रही है। पूजा ने आगे कहा कि मैंने हमेशा दशकों तक महिलाओं के अधिकारों को सपोर्ट किया है।

यह देखना दुखद है कि औरतें उनकी रक्षा के लिए बनाये कानूनों को इस्तेमाल पुरुषों को प्रताड़ित करने के लिए करती हैं। अगर वो हम दोस्तों और वकीलों के बीच हुई प्राइवेट चैट्स को रेफर कर रही हैं तो मुझे लगता है कि यह फिज़ूल है। यहां करण पीड़ित है। वो महिला है, इसका मतलब यह नहीं कि वो सही ही होगी। हम सबको केस की पूरी जानकारी है।'' (यह स्टोरी आईएएनएस के इनपुट्स के आधार पर लिखी गयी है)


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