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Bobby Deol ने नेपोटिज़्म पर कही ये बात, फिर कहा- 'जब गिरूंगा तो खुद उठ जाऊंगा, लेटकर रोता नहीं रहूंगा'

Bobby Deol On Nepotism बॉबी देओल ने कहा जो लोग यह सोचते हैं कि इनसाइडर के लिए संघर्ष कम और आउटसाइडर के लिए ज्यादा है तो मैं बता दूं कि कलाकार की जिंदगी ही संघर्ष भरी होती है।

By Mohit PareekEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 11:21 AM (IST)
Bobby Deol ने नेपोटिज़्म पर कही ये बात, फिर कहा- 'जब गिरूंगा तो खुद उठ जाऊंगा, लेटकर रोता नहीं रहूंगा'
Bobby Deol ने नेपोटिज़्म पर कही ये बात, फिर कहा- 'जब गिरूंगा तो खुद उठ जाऊंगा, लेटकर रोता नहीं रहूंगा'

नई दिल्ली, जेएनएन। बॉबी देओल ओटीटी प्लेटफार्म पर इन दिनों नई छवि में दर्शकों के बीच हैं और आगे भी वह अपने लिए अलग तरह के किरदार चुनेंगे। अभिनेता बॉबी देयोल का मानना है कि वह कॅरियर की दूसरी इनिंग खेल रहे हैं और इसे उन्हें जमकर खेलना है। तभी वह अपने लिए ऐसे किरदार चुन रहे हैं, जिन्हें करने के बारे में उन्होंने खुद नहीं सोचा था। हाल ही में वह एमएक्स प्लेयर के शो आश्रम में एक पाखंडी बाबा के किरदार में नजर आए। यह जीवन का नया अध्याय है। इंडस्ट्री में कलाकार की एक छवि बन जाती है। निर्देशक-निर्माता हमेशा उसे उसी किरदार में डालना चाहते हैं। ऐसे में कहानियां अच्छी नहीं मिलती हैं।

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बॉबी देओल ने कहा, 'प्रकाश झा ने मुझे जब इस किरदार के लिए बुलाया था, तब मैं काफी उत्सुक था, क्योंकि उनके साथ काफी वक्त से काम करना चाहता था। कहानी सुनने के बाद मैं हैरान था कि बाबा के इस किरदार के लिए उन्होंने मेरे बारे में सोचा। मुझे ऐसा ही किरदार चाहिए था। इस शो में शुद्ध हिंदी बोलनी थी। शहर में रहने की वजह से हिंदी उस स्तर की नहीं थी, जैसी होनी चाहिए। रोज तीन-चार घंटे मैं उच्चारण पर काम करता था, क्योंकि मुझे अपने डायलॉग्स पर कमांड चाहिए था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि निगेटिव किरदार मुझे मिलेंगे। कोई भी इंसान अंदर से निगेटिव नहीं होता है। ऐसे में शो की स्क्रिप्ट ने मेरा साथ दिया।'

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देओल ने बताया, अच्छी बात यह है कि इस शो से लोगों में एक जागरूकता फैलेगी। हमारे देश की संस्कृति में इतनी विविधता है कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोग इसका फायदा उठाते हैं। इस शो के लिए हर दिन सेट पर जाना, डायलॉग को सही तरह से कहना चुनौतीपूर्ण था। यह किरदार लार्जर दैन लाइफ था। इंडस्ट्री में 25 साल का अनुभव मेरे काम आया। जीवन की जो भी गलतियां रही हैं, वो इतने सालों में सबक बन गई हैं। जब हम गिरते हैं तो हमेशा उठने के लिए सहारा ढूंढ़ते हैं, लेकिन काम की जब भी बात आती है तो कोई सहारा नहीं दे सकता है।'

'क्लास ऑफ 83' एक्टर का कहना है, 'इन बातों को मैं अब समझ गया हूं और तय कर लिया है कि अब जब गिरूंगा तो खुद उठ जाऊंगा, लेटकर रोता नहीं रहूंगा, जो लोग यह सोचते हैं कि इनसाइडर के लिए संघर्ष कम और आउटसाइडर के लिए ज्यादा है तो मैं बता दूं कि कलाकार की जिंदगी ही संघर्ष भरी होती है। फिर चाहे वह कहीं से भी ताल्लुक रखता हो। इसलिए हमेशा सकारात्मक ऊर्जा अंदर रखें ताकि लोग आपकी तरफ आर्किषत हो पाएं।

उन्होंने यह भी कहा, 'ऐसे मुश्किल समय में भी मेरा काम लोग देख पा रहे हैं और मैं उनका मनोरंजन कर पा रहा हूं, यह मेरे लिए संतुष्टि वाली बात है। इस मुश्किल वक्त में मैं भईया (सनी देयोल) और परिवार के साथ हूं। मेरे दोनों बेटे मुझसे बैठकर बातें करते हैं। घर में ही जिम है, हम साथ में जिम करते हैं। मेरे छोटे बेटे को जिम का बहुत शौक है। फिलहाल दोनों बेटे पढ़ रहे हैं। पढ़ाई तब काम आएगी, जब काम ढूंढ़ने का वक्त आएगा। उन्हें इस बात की समझ होगी कि जीवन में क्या चुनना है। प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, समय तेजी से भाग रहा है, उसमें पैर लड़खड़ाने का डर है। ऐसे में समझदारी जरूरी है।' 


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