राधे श्याम के लिए भाग्यश्री ने 5 दिनों में सीखा भरतनाट्यम, बोलीं- एक महीने तक ठीक से चल नहीं पाई
पांच दिन तक हमने सुबह से शाम तक प्रैक्टिस की थी लेकिन उन पांच दिनों के बाद एक महीने तक मैं चल नहीं पाई थी। मेरा डांस सीक्वेंस जॉर्जिया में माइनस डिग्री में शूट हुआ है। मैं डांस के कॉस्ट्यूम में बिना चप्पलों के नाच रही थी।
प्रियंका सिंह,मुंबई। डिजिटल प्लेटफॉर्म और सिनेमाघरों के बीच टेलीविजन भी अपनी जगह बनाए हुए है। इस माध्यम पर फिल्में रिलीज होना कलाकारों के लिए मायने रखता है। कंगना रनोट और भाग्यश्री अभिनीत फिल्म थलाइवी का वर्ल्ड टीवी प्रीमियर हाल ही में जी सिनेमा पर किया गया। मैंने प्यार किया फिल्म की अभिनेत्री भाग्यश्री के लिए थलाइवी बेहद खास है। लंबे अर्से बाद वह इस फिल्म से दर्शकों के बीच आई हैं। उनसे हुई बातचीत के अंश।
1. इस साल आपकी फिल्म थलाइवी रिलीज हुई, राधे श्याम फिल्म की शूटिंग आपने पूरी की...
हां, मैंने इस साल को बाहें खोलकर अपनाया है। नए साल का स्वागत भी ऐसे ही करूंगी। जितना प्यार मैं पहले नहीं बटोर पाई थी, वह इस बार बटोरना है। मेरे मन में कोई मलाल नहीं है। मैं खुशनसीब हूं कि इतने सालों के बाद भी उतनी ही इज्जत मुझे मिली है। मैं अभिनय से कई सालों तक दूर रही हूं। अब जब नए तरीके से शुरुआत की है, तो कोशिश है कि वह सब कर सकूं, जो पहले नहीं कर पाई हूं। थलाइवी में मेरा किरदार छोटा था, लेकिन लोगों का प्यार मिला। कोविड के दौरान यह समझ आया कि क्या चीजें जीवन में अहम हैं। मुझे भी इस साल कोरोना हुआ था। इससे पहले मेरे माता-पिता को कोरोना हुआ था। तकलीफ के बाद अब जब सब कुछ करने की आजादी मिली है, तो उसकी अहमियत समझ आती है।
2. थलाइवी फिल्म टीवी पर भी रिलीज हुई है। टीवी का स्टारडम बाकी प्लेटफॉर्मे से कितना अलग लग रहा है?
पहले की पीढ़ी टेलीविजन से इतनी जुड़ी हुई है कि उनके लिए फिल्मों का टीवी पर आना अहम है। मेरी फिल्म मैंने प्यार किया बहुत बार टीवी पर दिखाई गई है, इस वजह से आज भी मैं प्रासंगिक हूं।
3. जब आपने फिल्मों में वापसी के बारे में सोचा, तब खुद को इस दायरे में नहीं बांधा कि हिंदी सिनेमा से ही दोबारा वापसी करनी है…
नई पीढ़ी से सीखने के लिए काफी कुछ है। फिल्मों का पैन इंडिया बनना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अब दर्शकों ने भी खुद को किसी भाषा में नहीं बांटा है। मेरे घर में बच्चे तेलुगु, तमिल, मलयालम फिल्में सब टाइटल के साथ देखते हैं। अब अच्छा सिनेमा देखने के लिए भाषा रुकावट नहीं बन रहा है। अगर देखने वाले भाषा को किसी प्रकार की रुकावट नहीं समझते हैं, तो कलाकार क्यों समझे। अगर मौका मिल रहा है, जिससे हम अपना अलग क्रिएटिव साइड दिखा सकते हैं, तो भाषा से दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
4. इस दौर में काम करने का अनुभव पहले के मुकाबले कितना अलग है?
लोग कहते हैं कि बुजुर्गों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, लेकिन मेरा मानना है कि बच्चों से उससे ज्यादा सीखने को मिलता है। अगर हमें आगे जिंदगी जीनी है, तो भविष्य को देखकर सीखना चाहिए। मेरे दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं, फिल्मों से जुड़े हुए हैं। मेरे बेटे अभिमन्यु की फिल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर बीते दिनों डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई। उनसे बात करके मेरा नजरिया और बड़ा हो गया है। जिन छोटी-छोटी बातें को लेकर पहले की पीढ़ी सख्त थी, उसमें बदलाव आया है। महामारी के दौरान डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर वर्ल्ड सिनेमा देखा। कहानी को देखने का नजरिया बदला है। मुझे खुद के लिए अलग रोल तलाशने हैं।
5. आपने राधे श्याम फिल्म के लिए पांच दिनों में भरतनाट्यम सीखा। यह कैसे संभव हो पाया?
(हंसते हुए) जो इतने सालों से मैंने अपनी ऊर्जा बचा रखी थी, वह बाहर निकल रही है। मैंने क्लासिकल डांस उतना ही सीखा, जितना परफॉरमेंस के लिए जरूरी था। मेरे गुरु हरीकिरण जी ने बहुत मेहनत की। पांच दिन तक हमने सुबह से शाम तक प्रैक्टिस की थी, लेकिन उन पांच दिनों के बाद एक महीने तक मैं चल नहीं पाई थी। डांस सीखने में बहुत मेहनत लगती है। अब जब मैं क्लासिकल डांस देखती हूं, तो समझ आता है कि यह कितना मुश्किल है। हर पॉश्चर, मुद्रा, छोटी चीज पर ध्यान देना पड़ता है। अब क्लासिकल डांसर के प्रति मेरे दिल में इज्जत और बढ़ गई है। मेरा डांस सीक्वेंस जॉर्जिया में माइनस डिग्री में शूट हुआ है। बहुत ज्यादा ठंड थी। क्रू ने ठंड से बचने वाले कपड़े पहन रखे थे और मैं डांस के कॉस्ट्यूम में बिना चप्पलों के नाच रही थी।
6. फिल्म मैंने प्यार किया की रिलीज को 29 दिसंबर को 32 साल पूरे हो जाएंगे। दिल दीवाना... गाने पर हाथों को आगे करके आगे कूदने वाला सिग्नेचर डांस स्टेप करने को लेकर तब आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?
मैं और सलमान खान खूब हंसे थे। हमने फिल्म के निर्देशक सूरज जी (सूरज बड़जात्या) से निवेदन किया कि प्लीज इस स्टेप को बदल दीजिए, इसे डांस थोड़े न कहते हैं। हमने कहा कि कौन सा कबूतर ऐसे चलता है, लेकिन कुछ चीजें जो हमें समझ नहीं आती हैं, वह उस पर छोड़ देना चाहिए, जिसे हमसे बेहतर समझ में आती हैं। हमारे डांस डायरेक्टर जय बोराडे जी ने यह स्टेप किया था। हमें भले ही उस डांस स्टेप में यकीन नहीं था, उस वक्त अजीब भी लग रहा था, लेकिन हमने उनके कहने पर वह कर दिया और वह स्टेप प्रसिद्ध हो गया। कई बार चीजें अच्छे के लिए होती हैं। फिल्म की कहानी ही अपने आप में बहुत खास थी। एक साधारण सी कहानी में भारतीय संस्कृति, मान-मर्यादा, बड़ों की इज्जत, आंखों की शर्म सब कुछ दिखाया गया था।
7. नए साल के लिए क्या सपने और आशाएं हैं?
मैं सफर में यकीन रखती हूं, मंजिल में नहीं। हर कोई मंजिल तक पहुंचना चाहता है। अगर मंजिल तक पहुंच गए, तो सफर का मजा खत्म हो जाएगा। नई आशाएं, कुछ करने की चाह तो हर साल आते-जाती रहेगी, लेकिन उस चाह और राह पर चलने का लुत्फ उठाना चाहिए।