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अमिताभ किसानों व शहीद जवानों के परिजनों से मिले और इतने करोड़ मदद स्वरूप दिए

महाराष्ट्र के 360 किसानों को 2.03 करोड़ रूपए दिए गए। महाराष्ट्र के 44 आर्मी शहीदों के परिजनों को 2.20 करोड़ रूपए की मदद की गई।

By Rahul soniEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 04:19 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 04:19 PM (IST)
अमिताभ किसानों व शहीद जवानों के परिजनों से मिले और इतने करोड़ मदद स्वरूप दिए
अमिताभ किसानों व शहीद जवानों के परिजनों से मिले और इतने करोड़ मदद स्वरूप दिए

मुंबई। केरल में आई बाढ़ का शिकार हुए लोगों की मदद के लिए देशभर से लोग आगे आ रहे हैं। एेसे में बॉलीवुड कलाकार भी केरल त्रासदी पीड़ित लोगों की मदद के लिए आगे आए। केरल रीलिफ फंड में डोनेशन के अनाउंसमेंट के बाद बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने किसानों की मदद की है।

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अमिताभ बच्चन ने केरल बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद करते हुए उनके कर्ज को चुकाते हुए उनके परिवार की मदद की है। इसके साथ बिग बी ने शहीदों के परिवार की भी मदद की है। जया बच्चन ने खुद किसानों और आर्मी जवानों के परिजनों को मदद राशी दी। अमिताभ बच्चन को शहीद परिवारों की महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिस्ट दी गई थी। अमिताभ ने परिजनों को अपने घर पर बुलाया और जया बच्चन के हाथों उन्हें चेक दिए गए। महाराष्ट्र के 360 किसानों को 2.03 करोड़ रूपए दिए गए। किसानों के एनओसी और लोन को बच्चन ने बैंक के माध्यम से क्लीअर करवाया और किसानों को कर्ज से हमेशा के लिए मुक्त कर दिया। वही महाराष्ट्र के 44 आर्मी शहीदों के परिजनों को 2.20 करोड़ रूपए की मदद दी गई। 112 बेनिफिशियरीज थी जिसमें से 60 फीसदी विधवा, 20 फीसदी आर्मी शहीदों की मां और पिता के दिए गए।

इस बारे में अपने ब्लॉग बच्चन बोल पर अमिताभ ने लिखा कि, उन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। वे अपनी पत्नी, माता-पिता और बच्चों को छोड़कर हमारी जिंदगी और देश की सुरक्षा के लिए लड़े। उन्होंने बलिदान दिया। तो हमे कुछ तो करना चाहिए। इसलिए मैंने लिस्ट बनाई और कुछ को मोनेटरी रिलीफ के लिए बुलाया। 44 ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की। मैंने 112 परिवार को सम्मानित किया। मैं एेसा ही आगे भी करता रहूंगा जितना भी मेरे पास है उसमें से लेकिन मुझे उन्हें पर्सनली मिलने नहीं बुलाना था। मैंने यह अपने फायदे या तारीफ के लिए नहीं किया है। मुझे उन्हें इसलिए नहीं बुलाना था क्योंकि उनके चेहरे की तरफ देखना मुश्किल था। उस दर्द को, आगे आने वाले कल की चिंता को और अपनों की कमी को देख पाना मुश्किल था। किसी के चेहरे पर मुस्कान नहीं थी। सब गम में थे। मैंने पूरी कोशिश की उनके गम को कम करन की। लेकिन उनके दर्द को महसूस कर पाना बहुत मुश्किल था। मैं आशा करता हूं कि यह एक उदाहरण के तौर पर हो और बाकी लोग भी इन रियल हीरोज़ की मदद करें। और वो किसान जिनपर बैंक से लोन है, 10 से 15 या 20 हजार रूपए के लिए आत्महत्या करते हैं यह आश्चर्यचकित करने वाला सच है। मैंने एेसे 360 किसानों का लोन दिया जैसे मुझसे जितना भी बन सका। इससे पहले भी किया है और आगे भी करता रहूंगा। उनकी जिंदगी अंधेरे से उजाले की तरफ जाए और हम सबकी भी। खास तौर पर वो किसान जो इनसिक्योर हैं और जरुरतमंद हैं।

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