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पुस्तक विमोचन समारोह में पहुंचे अमीन सायानी, कहा- ‘भाषा से मिली यह पहचान’

सायानी साहब ने कहा कि उस ज़माने में जब रेडियो के किसी कार्यक्रम के लिए पच्चास-सौ चिट्ठियां ही आती थीं, तब उनके पहले कार्यक्रम के लिए 9000 चिट्ठियां आई थीं..

By Shikha SharmaEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 11:46 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 02:22 PM (IST)
पुस्तक विमोचन समारोह में पहुंचे अमीन सायानी, कहा- ‘भाषा से मिली यह पहचान’
पुस्तक विमोचन समारोह में पहुंचे अमीन सायानी, कहा- ‘भाषा से मिली यह पहचान’

मुंबई। जाने माने रेडियो प्रस्तोता पद्मश्री अमीन सायानी 86 साल की उम्र में भी बेहद सक्रिय हैं। कभी ‘बिनाका गीतमाला’ से देश भर में अपनी आवाज़ और अंदाज़ से लोकप्रिय हुए अमीन इन दिनों ‘कारवां’ के जरिये फिर से घर-घर में सुने जा रहे हैं। हाल ही में अमीन सायानी एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे और अपने सुनहरे दिनों को याद करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें शेयर कीं।

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दरअसल अमीन सायानी नवोदित लेखक और जागरण डॉट कॉम के पत्रकार हीरेंद्र झा की पहली किताब ‘मीडिया के दिग्गज’ के लोकार्पण समारोह में पहुंचे थे। इस मौके पर अमीन सायानी के अलावा, ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ जैसी फ़िल्म बना चुके फ़िल्म निर्देशक अविनाश दास, भाषा विद् ओम प्रकाश तिवारी व फ़िल्म समीक्षक पराग छापेकर आदि मौजूद रहे। अमीन सायानी ने इस मौके पर कहा कि- ‘‘मेरी मां कुलसूम सायानी गांधी जी की शिष्या थीं और गांधी जी के ही कहने पर उन्होंने ‘रहबर’ नाम से एक पत्रिका निकालनी शुरू की। यह पत्रिका तीन भाषाओं में निकलती थी। जिसकी ख़ास बात यह थी कि उसकी भाषा बहुत ही सरल हुआ करती थी और वहीं से उनमें भाषा का एक संस्कार पड़ा। जो उनके करियर में बेहद ही कारगर साबित हुआ। उनकी भाषा ने ही उन्हें यह पहचान दी है।’’

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अमीन सायानी ने बताया कि हालांकि उन्होंने अपना करियर महज सात साल की उम्र में अंग्रेजी ब्रॉडकास्टर के रूप में शुरू किया था लेकिन, गांधी जी की हत्या के बाद उन्होंने हिंदी उद्घोषक के रूप में ही काम करने का संकल्प लिया और ताउम्र सहज, सरल हिंदुस्तानी भाषा में ही कार्यक्रम करते रहे। क्योंकि गांधी जी हमेशा से ही हिंदुस्तानी भाषा के हिमायती रहे! सायानी साहब ने कहा कि उस ज़माने में जब रेडियो के किसी कार्यक्रम के लिए पच्चास-सौ चिट्ठियां ही आती थीं, तब उनके पहले कार्यक्रम के लिए 9000 चिट्ठियां आई थीं जिसकी संख्या बाद में 65,000 चिट्ठियों तक पहुंचीं।

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फ़िल्म डायरेक्टर अविनाश दास ने इस मौके पर कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है और उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। जागरण डॉट कॉम के मनोरंजन संपादक पराग छापेकर ने कहा कि युवाओं को पूरी तैयारी से पत्रकारिता में आना चाहिए और उन्हें खूब पढ़ना चाहिए!


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