सलमान ख़ान के 'केसरी' छोड़ने पर अक्षय कुमार ने कहा दो बड़े स्टार एक साथ आते तो...
जिस युद्ध को अफगानीयों ने आधे घंटे में खत्म होने का सोचा था उसे खत्म होने में नौ घंटे लगे!
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' अब जल्द ही रिलीज़ होने वाली है। इस फिल्म में वह परिणिती चोपड़ा के साथ अभिनय कर रहे हैं। फिल्म की कहानी बैटल ऑफ़ सारागढ़ी पर आधारित है। ऐसे में अक्षय कुमार ने फिल्म के प्रोमोशन के दौरान सारागढ़ी से जुड़े सारे विवादों पर भी बात की। याद हो कि अक्षय कुमार की इस फिल्म के साथ पहले सलमान खान भी जुड़े थे। लेकिन बाद में जब सलमान को पता चला कि अजय देवगन भी इसी फिल्म पर काम कर रहे हैं, तो उन्होंने केसरी से हाथ खींच लिये।
इस बारे में जब जागरण डॉट कॉम ने अक्षय कुमार से बातचीत की कि क्या उन्हें अफसोस है कि सलमान खान फिल्म का हिस्सा नहीं रह पाये, अक्षय कहते हैं कि हां, बिल्कुल अफसोस रहेगा। चूंकि यह अच्छी बात थी कि दो बड़े कलाकार किसी प्रोजेक्ट से जुड़ रहे थे, तो जाहिर है कि काफी अच्छा ही होता सबकुछ। लेकिन हां, मैं यह भी कहूंगा कि आगे भी अगर सलमान खान के साथ किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिलेगा तो मैं खुशी-खुशी उस पर काम करना चाहूँगा। वहीं अक्षय की अगली फ़िल्म 'सूर्यवंशी' से जुड़े सवाल पर अक्षय ने कहा कि फिलहाल तो सिर्फ पोस्टर्स आये हैं। फिल्म अभी तक शुरू भी नहीं हुई है तो इस पर फिलहाल अधिक बात नहीं कर सकता। यह पूछे जाने पर कि क्या वह वर्दी पहन कर कुछ महसूस करते हैं। अक्षय कहते हैं कि काफी गर्व महसूस होता है। बता दें कि अक्षय सूर्यवंशी में पुलिस ऑफिसर की भूमिका में हैं।
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आप जानते ही होंगे कि अक्षय जल्द ही वेब दुनिया में कदम रखने वाले हैं जिसकी घोषणा उन्होंने हाल ही में की थी। अक्षय से इसी बातचीत में जब पूछा गया कि इस विषय पर अन्य प्रोजेक्ट भी आ रहे हैं तो इसमें क्या अलग बात होगी। इस पर अक्षय ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक तो अभी तक केवल एक वेब शो ही आया है। इसके अलावा कोई और प्रोजेक्ट की जानकारी तो नहीं। फिर जब अक्षय से पूछा गया कि क्या उन्हें राजकुमार संतोषी वाली फिल्म के बारे में आइडिया है और उन्हें मौका मिला तो उसमें अभिनय करेेंगे। अक्षय ने कहा कि वह केसरी तो कर चुके, अब फिर से वह किरदार क्यों दोहरायेंगे। सारागढ़ी के इतिहास के बारे में वों कहते हैं कि उन्हें भी पहले से बहुत कुछ पता नहीं था। हां, इतनी जानकारी थी कि 21 सैनिक लड़े थे। लेकिन केसरी करने के दौरान उन्होंने विषय पर काफी कुछ सीखा और इसके बारे में जाना।
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अक्षय का तो कहना है कि यह कहानी स्कूल में दिखाये जाये, चूंकि यह हिम्मत की कहानी है। हमारे यूथ को जाननी चाहिए। वह कहते हैं कि अगर हम आज के यूथ को पूछे कि आपको फ़िल्म '300' के बारे में पता है तो वो बोलेंगे हां क्योंकि सभी ने हॉलीवुड फिल्म देखी है। लेकिन अपनी कहानी के बारे में उन्हें पता नहीं है। उन्हें सारागढी के बारे में पता नहीं है। मुझे लगता है कि उन्हें अपनी कहानी के बारे में पता होनी चाहिए। वहां तो 300 थे यहां तो 21 ही थे, जो दस हजार लोगों से लड़े थे। दस हजार जब अफगानी लड़ाके आए थे तो उन्हें लगा था कि वे आधे घंटे में 21 सिखों की आराम से खत्म कर देंगे लेकिन उनका कैलकुलेशन गलत साबित हो गया था। यह लड़ाई साढ़े नौ बजे शुरू हुई थी, 12 सितबंर की तारीख थी। जिस युद्ध को उन्होंने आधे घंटे में खत्म होने का सोचा था, उसे खत्म होने में शाम के साढ़े छह बज गए थे।