Move to Jagran APP

Abhishek Bachchan Interview: बीते दिनों मैं डबिंग के लिए बाहर निकला- अभिषेक बच्चन

Abhishek Bachchan Interview बीते दिनों मैं डबिंग के लिए बाहर निकला। इस परिस्थिति में सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए काम करने का नया अनुभव देखने को मिला- अभिषेक बच्चन।

By Rajat SinghEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 12:27 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 12:27 PM (IST)
Abhishek Bachchan Interview: बीते दिनों मैं डबिंग के लिए बाहर निकला- अभिषेक बच्चन
Abhishek Bachchan Interview: बीते दिनों मैं डबिंग के लिए बाहर निकला- अभिषेक बच्चन

 मुंबई( स्मिता श्रीवास्तव)। फिल्मी कॅरियर के दो दशक पूरे कर चुके अभिषेक बच्चन के लिए लॉचिंग की राह आसान नहीं थी। बीते दिनों वेब शो 'ब्रीद: इनटू द शैडोज' से डिजिटल डेब्यू करने वाले अभिषेक की आगामी दो फिल्में 'बॉब विस्वास' और 'बिग बुल' भी डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज होंगी। इन सभी मुद्दों पर उन्होंने दैनिक जागरण से बात की है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि वह बीते दिनों में डबिंग के लिए बाहर निकले थे। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने सुरक्षा मानको का पालन भी किया था। 

loksabha election banner

1. आपको फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल हो गए। आप डेब्यू राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'समझौता एक्सप्रेस' से चाहते थे। फिर 'आखिरी मुगल' से लांच की बात हुई। क्या अपारंपरिक विषय से कॅरियर की शुरुआत करना चाहते थे?

- 'समझौता एक्सप्रेस' की कहानी मैं और राकेश जी मिलकर लिख रहे थे। वहीं 'आखिरी मुगल' प्रेम कहानी थी। वैसे मुझे स्क्रिप्ट को अलग-अलग वर्गों में बांटना पसंद नहीं। कहानी क्या है?, अच्छी है या नहीं? सिर्फ यही मानदंड होना चाहिए। हमें लगा था कि 'समझौता एक्सप्रेस' की कहानी बहुत अच्छी है लेकिन वह बन नहीं पाई। 

2. लेकिन आप दिखे 'रिफ्यूजी' में...

हां, दरअसल फिर हम जे.पी. सर से मिले, उन्होंने 'रिफ्यूजी' बनाई। हर किसी का अपना सफर होता है। आपको हमेशा सकारात्मक बने रहना चाहिए। मैं एक्टर बनना चाहता था। वह मेरा लक्ष्य था। जिंदगी में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। मैंने सीखा कि जब तक जीवन है, तब तक संघर्ष है। सपनों पर यकीन बनाए रखना होता है और उसे पाने की दिशा में काम करते रहना पड़ता है।

3.ऐसा कह सकते हैं कि कहीं न कहीं आप पर दबाव रहा क्योंकि आप महानायक अमिताभ बच्चन के बेटे हैं?

मेरा मानना है कि मेरी किस्मत मुझे जो दे रही है, मैं उसे जी रहा हूं। अगर आप दूसरे लोगों को अपना जीवन तय करने का हक देंगे, तो दिक्कत आएगी। मैं अपने निर्णय खुद लेता हूं। हम बड़ी आसानी से किसी के ऊपर दोष डाल देते हैं। यह गलत बात है। मेरे ख्याल से हम इतने बड़े बन जाएं कि लोग आपके बारे में अच्छी बातें ही करें। मैं उसी का हकदार बनूंगा, जिसको पाने की दिशा में मैं काम करूंगा।

4.लॉकडाउन के दौरान कोई नई चीज सीखने की कोशिश की?

लॉकडाउन से पहले मैं 'बॉब विस्वास' की शूटिंग कर रहा था। शाह रुख खान उसे प्रोड्यूस कर रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से हमें रुकना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान मैंने यह सीखा कि घर बैठे अपने प्रोजेक्ट या फिल्म को कैसे प्रमोट किया जा सकता है। बीते दिनों मैं डबिंग के लिए बाहर निकला। इस परिस्थिति में सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए काम करने का नया अनुभव देखने को मिला।

5. 'ब्रीद: इनटू द शैडोज' में आप पिता के किरदार में हैं। किरदार से जुड़ पाना आसान रहा?

हां, ऐसा कह सकते हैं लेकिन अगर यह किरदार मुझे दस साल पहले भी मिला होता, तो भी मैं इसे वैसे ही निभाता जैसी इसकी मांग थी। अब मेरी बेटी है, तो भावनाओं में थोड़ी सी वास्तविकता आ गई है।

6. 'ब्रीद' में मनोचिकित्सक बने हैं। असल जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना कितना जरूरी मानते हैं?

मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों के जेहन में जो भ्रम हैं, उन्हें हटाने की सख्त जरूरत है। मुझे नहीं लगता मानसिक सेहत पर बात करने में कोई दिक्कत होनी चाहिए। समाज में अभी भी यह टैबू की तरह है। अगर आपको लगता है कि दिमागी रूप से आपको कोई परेशानी है, तो मनोचिकित्सक से मदद लेने में क्या बुराई है।

7. क्या वजह है कि डिजिटल पर आप इंटेंस किरदार निभा रहे हैं?

मैं खुश हूं कि 'ब्रीद' का हिस्सा हूं। पहली बार किरदार की गहराई में जाने का मौका मिला। अभी तो फिलहाल एक ही वेब सीरीज की है। वेब शोज और सिनेमा का नजरिया अलग-अलग होता है। दोनों के दर्शक अलग हैं। फिल्मों में दो-तीन घंटे मिलते हैं, यहां मुझे 12 घंटे मिले, क्योंकि 12 एपिसोड हैं। फिल्मों के लिहाज से देखें तो मुझे एक किरदार को जस्टिफाई और स्थापित करने के लिए चार फिल्में मिलीं।

8. पापा की किस फिल्म की रीमेक में आप काम करना चाहेंगे?

मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहूंगा। ऐसा नहीं है कि मैं रीमेक में यकीन नहीं करता लेकिन उनकी फिल्में परफेक्ट हैं। 'खुदा गवाह', 'जंजीर', 'दीवार' जैसी फिल्में हम आज भी देखें, तो ऐसा नहीं लगता है कि ये फिल्में कई साल पहले बनी थीं। 'अभिमान' आज भी बहुत ताजी फिल्म लगती है। आज भी वह फिल्म रिलीज हो जाए तो उतनी ही चलेगी। मुझे कोई जरूरत महसूस नहीं होती है कि उन फिल्मों को अपडेट किया जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.