75 Years of Independence: 'मदर इंडिया' से लेकर 'पूरब और पश्चिम' तक नए गणराज्य की समस्याओं को बयां करती ये फिल्में
75 Years of Independence 1947 से लेकर देश की आजादी के 75वें साल तक एक सरसरी नजर डाले तो फिल्मों का स्वरुप काफी बदल चुका है। देश को सपर्मित कई अलग-अलग मुद्दों पर फिल्में बनाई गई है। जिसने देशभक्ति के अलावा कभी जमीनदारी तो कभी अर्थव्यवस्था पर चोट किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। 75 Years of Independence: देश की आजादी के 75 साल के साथ भारत में फिल्मों का विकास भी तेजी से हुआ और कई ऐसी यादगार फिल्में बनी, जिन्होंने लोगों में देशभक्ति भाव, शौर्य और देश के लिए बलिदान का भाव भरा है। 15 अगस्त, 1947 में देश की आजादी के साथ फिल्मों को खुलकार सांस लेने का मौका मिला क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत में फिल्मों को अक्सर ब्रिटिश सरकार के विरोध का सामना करना पड़ता था। आजादी के बाद नए गणराज्य की अपनी समस्याएं थी और फिल्मों का ध्यान भी उसी ओर था। उस दौर में जो फिल्में रिलीज हुई वे देशभक्ति की कम और देशवासियों के संघर्ष की कहानी ज्यादा बयां करती थीं। गरीबी से लेकर रोज की उठा-पठक तक कई ऐसी फिल्में आई जिन्होंने देखने वालों को झगझोर दिया, लेकिन इस संबंध में कुछ अपवाद भी देखने को मिले जैसे कि फिल्म शहीद। 1947 से 1980 के दशक के बीच आई कुछ शानदार फिल्में...
मदर इंडिया
1957 में आई फिल्म मदर इंडिया 1950 के दशक की सबसे कामयाब फिल्म रही थी। महबूब खान की इस फिल्म में नरगिस ने एक गरीब महिला राधा का किरदार निभाया था, जो दो बच्चों को अकेले पालने की जद्दोजहद और धूर्त साहूकार के साथ संघर्ष करती हुई नजर आती है।
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पूरब और पश्चिम
1960-70 के दशक में अभिनेता मनोज कुमार ने देशभक्ति से जुड़ी कई फिल्में कीं। इनमें पूरब और पश्चिम भी शामिल है। पूरब और पश्चिम ने भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता को सामने रखा। 1970 में रिलीज हुई इस फिल्म के गाने आज भी खूब सुने जाते हैं। फिल्म में मनोज कुमार के साथ विनोद खन्ना, अशोक कुमार, सायरा बानो और निरूपा रॉय थीं। फिल्म में विलेन का किरदार प्रेम चोपड़ा ने निभाया था।
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शहीद
1965 में रिलीज हुई फिल्म शहीद भी मनोज कुमार की देशभक्ति की फिल्मों में शामिल हैं, जिसे लोग आज भी याद करते हैं। फिल्म में मनोज कुमार के अलावा कामिनी कौशल और निरूपा रॉय ने काम किया था। शहीद में विलेन का रोल एक्टर प्राण ने निभाया था।
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उपकार
1967 में आई मनोज कुमार की फिल्म उपकार ने फौज की नौकरी छोड़ चुके व्यक्ति के काला बाजारी और नकली दवाओं के जाल में उलझने के खतरों की कहानी को दर्शाया। उपकार में मनोज कुमार के साथ आशा पारेख और प्राण अहम भूमिकाओं में थे।
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रोटी कपड़ा और मकान
भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद चरमराई अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी की मार झेल रहे भारत को आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। साल 1976 में आई मनोज कुमार की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान समाज की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट करती थी, फिल्म ने आम आदमी की जिंदगी में जरूरी रोटी कपड़ा और मकान के मुद्दे को उठाया।
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