Move to Jagran APP

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ओवैसी फेक्‍टर का क्‍या होगा असर, जानें- इस पर एक्‍सपर्ट व्‍यू

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ओवैसी फेक्‍टर की चर्चा जोरों पर है। इस चुनाव में सामने आया ये फेक्‍टर कुछ मायनों में खास हो गया है। जानकारों की राय में ये फेक्‍टर टीएमसी के वोट काटने का जरिया बनेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 11:07 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 10:10 AM (IST)
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ओवैसी फेक्‍टर का क्‍या होगा असर, जानें- इस पर एक्‍सपर्ट व्‍यू
पश्चिम बंगाल में ओवैसी फेक्‍टर कैसे काम करेगा

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का एलान होने के बाद वहां की राजनीति में उबाल आ गया है। राज्‍य में यूं भी बीते एक माह से अधिक समय से राजनीतिक सरगर्मियों में तेजी आ चुकी है। इस चुनाव में सत्‍तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस, भाजपा और वाम दलों में मुकाबला है। लेकिन जानकारों की राय में इस चुनाव में सीधा मुकाबला केवल भाजपा और टीएमसी के ही बीच में है। लेकिन जानकार ये भी मानते हैं कि इस चुनाव में एक तीसरे फेक्‍टर के आने से ये चुनाव काफी दिलचस्‍प हो गया है। ये तीसरा फेक्‍टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम है।

loksabha election banner

आगे बढ़ने से पहले आपको याद दिला दे कि ओवैसी की पार्टी ने पिछले वर्ष अक्‍टूबर-नवंबर में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थीं। ओवैसी के लिए ये चुनाव काफी बेहतर साबित हुआ। इसके बाद हैदराबाद की सियासत से दूर पार्टी को अपनी एक जगह बनाने का भी मौका मिला है। इससे ही उत्‍साहित ओवैसी ने उसी वक्‍त पश्चिम बंगाल में अपनी किस्‍मत आजमाने का एलान कर दिया था। अब जबकि मतदान की तारिख तय हो चुकी है तो ओवैसी फेक्‍टर की हर तरफ चर्चा हो रही है।

जानकार इस फेक्‍टर को यहां की राजनीति का एक दिलचस्‍प फेक्‍टर मानकर चल रहे हैं। राजनीतिक विश्‍लेषक प्रदीप सिंह का कहना है कि ओवैसी फेक्‍टर को इस चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक में होने वाले बिखराव को लेकर भी अहम माना जा रहा है।

दरअसल, प्रदीप सिंह का कहना है कि यहां पर टीएमसी का मुस्लिम वोट बैंक पर काफी असर है। इसके अलावा इस वोटबैंक पर कुछ असर दूसरी पार्टियों का भी है। अब ओवैसी के इस चुनाव में आने के बाद इस वोटबैंक में सेंध लगना तय है। उनके मुताबिक इस वोटबैंक में सेंध लगने का नुकसान जहां सबसे अधिक तृणमूल कांग्रेस को उठाना पड़ेगा वहीं इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को हो सकता है। भाजपा यहां पर टीएमसी की तुष्‍टीकरण की राजनीति के खिलाफ आवाज बनकर सामने आई है।

आपको बता दें कि बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने जिन सीटों पर जीत हासिल की वो सीटें पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों के समीप हैं। यही वजह है कि जानकार इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि ओवैसी फेक्‍टर इन इलाकों में कुछ जगह बना सकता है। बिहार की सीमा से लगे कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी फेक्‍टर का असर हो सकता है। लेकिन इस फेक्‍टर की खास बात ये है कि इसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। लिहाजा यहां पर यदि इस पार्टी के हाथ कुछ भी लगता है तो वो इसके लिए फायदा ही होगा।

जानकार जहां इस चुनाव को भाजपा और टीएमसी के बीच होता मान रहे हैं वहीं एआईएमआईएम का मानना है कि इस चुनाव में उनका सीधा मुकाबला टीएमसी से है। आपको बता दें कि ओवैसी को यहां पर पिछले दिनों चुनावी रैली की इजाजत नहीं दी गई थी। इसको लेकर उन्‍होंने कड़ी नाराजगी भी जताई थी।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.