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क्‍या थानाभवन सीट से 'हैट्रिक' बना पाएंगे कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, सामने होंगी ये चुनौतियां

UP Assembly Elections 2022 थानाभवन विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक और पहली बार कैबिनेट मंत्री बने सुरेश राणा चुनावी मैदान में हैं। तो रालोद-सपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी अशरफ अली उन्हें राजनीतिक शिकस्त देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुटे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 31 Jan 2022 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 31 Jan 2022 04:22 PM (IST)
क्‍या थानाभवन सीट से 'हैट्रिक' बना पाएंगे कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, सामने होंगी ये चुनौतियां
भाजपा विकास के गीत गा रही है तो सपा-रालोद गठबंधन भी पूरी तरह आक्रामक है।

गन्ना और पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक-दूसरे के पूरक हैं। गन्ना मंत्री सुरेश राणा का दावा है कि भाजपा सरकार ने सपा और बसपा सरकार से ज्यादा गन्ना भुगतान कराया है तो विपक्ष का सवाल है कि यदि ज्यादा भुगतान हुआ है तो फिर बकाया क्यों है? विधानसभा चुनाव में शामली जिले की थानाभवन सीट पर मुकाबला रोचक है और कांटे का भी बन सकता है। गन्ना मंत्री राणा यहां से हैटिक लगाने की जुगत में हैं तो सपा-रालोद गठबंधन उनका विजय रथ रोकने के लिए आक्रामक है। मुस्लिम, सैनी, जाट और कश्यप बहुल मतदाताओं वाली इस सीट पर पूरे पश्चिमी उप्र की नजर है। योगेश कुमार ‘राज’ की रिपोर्ट-

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थानाभवन विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक और पहली बार कैबिनेट मंत्री बने सुरेश राणा चुनावी मैदान में हैं। वह विकास कार्यों की लंबी सूची के साथ मतदाताओं के बीच हैं तो रालोद-सपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी अशरफ अली उन्हें राजनीतिक शिकस्त देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुटे हैं। मुस्लिम, जाट, सैनी और कश्यप मतदाता बहुल इस सीट पर सुरेश राणा के लिए दोहरी चुनौती है। उन्हें विपक्ष की सधी हुई चाल से निकलना है तो थानाभवन का मिथक भी है। इस सीट पर आज तक कोई हैटिक नहीं लगा पाया।

वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर थानाभवन सीट से सुरेश राणा दूसरी बार विधायक बने। उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। बाद में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। इस बार राणा के मुकाबले सपा-रालोद गठबंधन से रालोद के सिंबल पर जलालाबाद के पूर्व चेयरमैन अशरफ अली मैदान में हैं। सुरेश राणा को अपने विकास कार्यों पर भरोसा है। सैनी, कश्यप, जाट और भाजपा के परंपरागत मतों के समर्थन का विश्वास है। दूसरी ओर अशरफ अली सपा से गठबंधन और मुस्लिम-जाट मतदाताओं का बड़ा वोटबैंक अपने पक्ष में मान रहे हैं। इसके साथ ही अशरफ सैनी, कश्यप समेत हर बिरादरी के वोट मिलने का दावा कर रहे हैं। बसपा ने यहां से जहीर मलिक को मैदान में उतारा है। सुरेश राणा के समर्थक इसे राणा के लिए मुफीद मानते हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी सत्य संयम सैनी के मैदान में होने को अशरफ अली के समर्थक अपने फायदे का सौदा बता रहे हैं।

स्थानीय लोग भी मानते हैं कि मुकाबला कांटे का है। गांव मसावी में गांव प्रधान इसरार अहमद के घर के पास मौजूद लोग कहते हैं कि दोनों ओर से जोरदार लड़ाई देखने को मिलेगी। प्रधान इसरार अहमद विकास कार्यों पर सवाल खड़े करते हैं कि गांव पंचायत में छह स्कूल हैं। इनमें से चार में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है। वहां मौजूद जव्वार की नाराजगी महंगे डीजल-पेट्रोल को लेकर है। मजदूर किरनपाल भी विकास कार्यों के दावों से इत्तेफाक नहीं रखते। गंदेवड़ा के रोशन को उम्मीद है कि भाजपा को कानून व्यवस्था का फायदा मिलेगा।

भाजपा विकास के गीत गा रही है तो सपा-रालोद गठबंधन भी पूरी तरह आक्रामक है। गठबंधन का कहना है कि भ्रष्टाचार और महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। भाजपा के परंपरागत वोटर भी थोड़ी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन भाजपा इसे विपक्ष का दुष्प्रचार बता रही है। भाजपा का कहना है कि रिकार्ड विकास कार्य के साथ ही कानून व्यवस्था उनका मजबूत पक्ष है और मतदाता उनके साथ है। क्षेत्रीय निवासी अजय बाबू कहते हैं कि हर क्षेत्र में विकास हुआ है। हालांकि गन्ना भुगतान को लेकर लोगों में थोड़ी नाराजगी है।


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