राजस्थान भाजपा में मौजूदा विधायकों के टिकट काटने पर फंसा पेंच
भाजपा की कोर कमेटी ने 90 सीटों पर एक नाम तय किए हैं, इनमें से ज्यादातर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी लोग माने जाते हैं।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान भाजपा के प्रत्याशी तय करने के मामले में टिकट कटौती को लेकर प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने होते दिख रहे हैं। हालांकि अभी तक प्रदेश नेतृत्व को सिर्फ यही कहा गया है कि जिन सीटों पर एकल नाम तय किए गए हैं, उन पर फिर से कवायद करें, लेकिन बताया जा रहा है कि यह मामला आसानी से सुलझने वाला नहीं है।
राजस्थान में भाजपा की कोर कमेटी ने लगभग 90 सीटों पर एक नाम तय किया है। ये सभी मौजूदा विधायकों के हैं और इनमें से ज्यादातर वे नाम है जो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी लोग माने जाते हैं। अन्य सीटों पर दो या तीन नामों के पैनल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व के पास अपनी सर्वे रिपोर्ट भी है और जो एकल नाम यहां से कोर कमेटी ले कर गई, उनमें से कई नाम राष्ट्रीय नेतृतव की सर्वे रिपोर्ट से मेल नहीं खा रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व इनमें से करीब आधे नाम काटना चाहता है। वैसे भी राजस्थान में सरकार के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए लगभग आधे मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की चर्चा चल रही है।
उधर प्रदेश नेतृत्व चाहता है कि मौजूदा विधायकों के टिकट काटने भी हों तो इसकी संख्या 25-30 से ज्यादा न हो, क्योंकि इससे ज्यादा टिकट काटे जाते हैं तो सरकार के कामकाज पर सवाल उठेंगे। यह माना जाएगा कि सरकार ने अच्छा काम नहीं किया, इसी वजह से इतनी संख्या में टिकट काटे गए हैं। प्रदेश नेतृत्व के इस तर्क को आज बल भी मिला जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि जब भाजपा एक साथ इतने टिकट काटने जा रही है तो इसका साफ अर्थ है कि सरकार ने अच्छा काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि जिनका टिकट कटेगा, उनका कोई दोष नहीं है, क्योंकि सरकार तो राज्य और केन्द्र में भाजपा की है।
इसके अलावा यह भी तर्क दिया जा रहा है कि जो लोग लम्बे समय से पार्टी से जुडे हैं, उन्हें इस तरह अलग नहीं किया जाना चाहिए। यह बात राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचाई भी गई है। बताया जा रहा है कि इसी मामले को लेकर कुछ सीटों पर नाम तय होने में नामांकन प्रक्रिया के अतिम दिनों तक भी मामला खिंच सकता है और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व राष्ट्रीय नेतृत्व के आमने-सामने नजर आ सकते है। हालांकि सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय नेतृत्व ने अभी प्रदेश के नेताओं को आठ नवंबर तक का समय दिया हुआ है।
बताया जा रहा है कि अब राजस्थान के बारे में नौ और दस नवंबर को दिल्ली में बैठक हो सकती है। तब तक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर, चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक गजेंद्र सिंह शेखावत, उपसंयोजक अर्जुन राम मेघवाल सहित कोर कमेटी के अन्य नेताओं को पैनलों पर फिर से काम करने के लिए कहा गया है। मीडिया से बातचीत में कोर कमेटी के सदस्य केन्द्रीय मंत्री अर्जुन लाल मेघवाल का कहना है कि हमारा रायशुमारी का दौर अभी जारी है। पांच से सात नवंबर के बीच हम फिर बैठेंगे।
मेघवाल ने कहा कि दिल्ली में हुई बैठक में कुछ सुझाव सामने आए हैं, उन पर हम और काम कर रहे हैं और यह करने के बाद फिर चर्चा होगी और अच्छी सूची सामने आएगी। गौरतलब है कि राजस्थान में नामांकन का काम 12 नवंबर से शुरू होगा और मध्य प्रदेश की तर्ज पर एक बड़ी सूची नामांकन से पहले और एक सूची नामांकन के दौरान जारी की जा सकती है।