Move to Jagran APP

भाजपा शेखावत के जरिये करेगी सोशल इंजीनियरिंग

शेखावत को चुनाव प्रबंधन समिति में अहम जिम्मेदारी देकर यह संदेश दिया गया है कि वे राज्य में चुनावी रणनीति पर सीधी पकड़ रखेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 10:58 AM (IST)
भाजपा शेखावत के जरिये करेगी सोशल इंजीनियरिंग

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का मारवाड़ में विरोध, एसएसी-एसटी एक्ट को लेकर विभिन्न जाति और समाजों का वोट बैंक खिसकने की आशंका और सरकार विरोध (एंटी इंकमबैंसी) माहौल को लेकर भाजपा की चिंता बढ़ गई है।

loksabha election banner

प्रदेश में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक राजपूत समाज की ओर से लगातार हो रहे एलान से वरिष्ठ नेताओं की नींद उड़ गई है। ऐसे में इस समाज को साधने के लिए पीएम मोदी और भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने जोधपुर के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर बड़ा दांव खेला है।

शेखावत को चुनाव प्रबंधन समिति में अहम जिम्मेदारी देकर यह संदेश दिया गया है कि वे राज्य में चुनावी रणनीति पर सीधी पकड़ रखेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी की अध्यक्षता वाली 16 सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति में गजेंद्र सिंह शेखावत संयोजक की जिम्मेदारी निभाएंगे, जबकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सदस्य के रूप में समिति में स्थान दिया गया है।

शेखावत को मोदी-शाह की ओर से संयोजक की जिम्मेदारी सौंपने के बाद वसुंधरा खेमे में हलचल बढ़ गई है, क्योंकि इस पद के साथ ही शेखावत का दखल अब चुनावी रणनीति में सीधे तौर पर होगा। 16 सदस्यीय समिति में मारवाड़ से भाजपा ने तीन नेताओं को शामिल किया है। जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत, सीआर चौधरी और राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया शामिल हैं।

जानकारों का मानना है कि समिति में अन्य पिछड़ा वर्ग, राजपूत, जाट और अनुसूचित जाति के नेताओं को जिम्मेदारी देकर पार्टी ने जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है। पार्टी स्तर पर इस कदम को मोदी-शाह की राज्य में आगामी राजनीतिक पकड़ के रूप में देखा जा रहा है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान भाजपा के मुखिया अशोक परनामी की ओर से इस्तीफा दिए जाने के बाद मोदी-शाह यह पद शेखावत को सौंपना चाहते थे, लेकिन कथित तौर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोध पर शेखावत के नाम को हरी झंडी नहीं मिल पाई।

चुनाव से पहले गुटबाजी की आशंका को देखते हुए पार्टी ने बीच का रास्ता निकालते हुए मदनलाल सैनी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी थी। इस कदम के बाद पहले से नाराज चल रहा राजपूत समाज का आक्रोश अधिक बढ़ गया। इसके चलते हाल ही में कई जगह गौरव यात्रा के दौरान भी उनका विरोध दिखा है। शेखावत को संयोजक बनाकर शाह ने राजपूत समाज की नाराजगी को कम करने की कोशिश की है।

समिति बनाएगी पैनल

शेखावत को समिति में बड़ी जिम्मेदारी देना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का बड़ा दांव इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि, विधानसभा सीटों से आने वाले प्रत्याशियों के नामों को यही समिति देखेगी। साथ ही, हर सीट का पैनल बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास भेजने का काम भी यही समिति करेगी। अब सारी चुनावी रणनीति भी यहीं से तय होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि शेखावत के जरिए अब दिल्ली हर चाल ढंग से चल सकेगा। वहीं, वसुंधरा की मनमानी पर भी नियंत्रण हो सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.