राजस्थान में उम्मीद के मुताबिक ही रहे हाॅट सीटों के परिणाम
Results of Rajasthan Assembly Election 2018. राजस्थान की इन सीटों के परिणाम में कोई उलटफेर नहीं हुआ ।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान की दस बड़ी सीटों के परिणाम में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ और उम्मीद के मुताबिक ही उनके चुनाव परिणाम रहे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट चुनाव जीत गए, हालांकि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाने वाले अशोक परनामी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का अपनी सीट से हाराना भी बड़ा उलटफेर रहा।
यह रहा परिणाम दस बड़ा सीटों का
झालरापाटनः मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यहां से जीत हासिल की। उनके सामने कांग्रेस ने कुछ समय पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए मानवेन्द्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। ऐसे में यह सीट सबसे हाॅट सीट हो गई थी, लेकिन झालरापाटन राजे की पुरानी सीट है। वे यहां से लगातार चौथा चुनाव जीती हैं, जबकि मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस बाडमेर से यहां लेकर आई थी। ऐसे में वे राजे के सामने मुकाबले टिक ही नहीं पाए।
टोंक- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और उन्होंने जातिगत समीकरण के लिहाज से एक सुरक्षित सीट टोंक को चुना। उन्होंने यहां से बड़ी जीत हासिल की। हालांकि भाजपा ने अंतिम समय में सचिन पायलट के जातिगत समीकरणों को बिगाड़ने की कोशिश करते हुए इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सरकार के परिवहन मंत्री युनूस खान को मैदान में उतारा। यह भाजपा एक मात्र मुस्लिम टिकट था। लेकिन युनूस नागौर के रहने वाले है। ऐसे में वे यहां पायलट के सामने टिक नहीं पाए और हार गए।
सरदारपुरा- पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां से पांचवां चुनाव जीता है। जोधपुर के शहरी क्षेत्र की इस सीट पर गहलोत उनके सामने पहले भी चुनाव लड़ चुके शम्भु सिंह खेतासर को हराया है। इस सीट के चुनाव परिणाम को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता नहीं थी, और यहां गहलोत की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी।
बीकानेर पश्चिम- इस सीट पर कांग्रेस के बीडी कल्ला ने जीत हासिल की है। इस सीट के टिकट को लेकर कांग्रेस में काफी उठापटक मची थी। कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और यहां से विधायक रह चुके बीडी कल्ला का टिकट काट दिया था। उनकी जगह गोपाल गहलोत को टिकट दिया गया था। बाद में गहलोत का टिकट काट कर कल्ला को दिया गया। गहलोत ने बागी हो कर चुनाव लड़ा। इसके अलावा कल्ला के ही उस वीडियो पर भी काफी हल्ला मचा था, जिसमें वे कथित रूप से भारत माता की जय की जगह सोनिया गांधी की जय बुलवा रहे है।
नोखा- बीकानेर जिले की इस सीट से नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस के रामेश्वर डूडी चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा के बिहरी लाल विश्नोई ने हराया। डूडी ने अपनी इस सीट को बचाने के लिए काफी मेहनत की थी और मुख्यमंत्री पद की दौड में भी मान रहे थे, लेकिन हार ने अब उनके सारे रास्ते बंद कर दिए।
आदर्श नगर- इस सीट से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाने वाले अशोक परनामी कांग्रेस के रफीक खान से चुनाव हार गए। इसे बडा उलटफेर माना जाता रहा है, क्योंकि यह सीट हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण की सीट मानी जाती रही है। कांग्रेस यहां से हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट देती रही है, जबकि परनाम यहां से दो बार से विधायक थे। इस बार भी यह माना जा रहा था कि परनामी सीट निकाल लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
अंता- बारां जिले की इस सीट से कांग्रेस सरकार में मंत्री रह प्रमोद जैन भाया ने मौजूदा सरकार के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी को हराया है। सैनी दमदार नेता माने जाते रहे है और उनकी यह छवि रही है कि वे कहीं से भी चुनाव जीत सकते है, लेकिन इस बार हार गए। जैन बारा जिले में कांग्रेस के बड़े नेता हैं और वसुंधरा राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की सीट बारां-झालावाड के बारां वाले हिस्से पर उनका अच्छा प्रभाव है। उनकी जीत लोकसभा चुनाव में असर दिखा सकती है।
नाथद्वारा- कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, यूपीए सरकार में मंत्री और एक समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खास नजदीकियों में माने जाने वाले सीपी जोशी ने यहां से जीत हासिल की है। ये वही सीपी जोशी हैं, जो 2008 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन एक वोट से चुनाव हार गए थे। अब कांग्रेस में उनका प्रभाव पहले जितना नहीं है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस में वे बडा स्थान रखते है। इस बार उन्होंने विधानसभा चुनाव लडा और जीत गए। कांग्रेस की सरकार में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
सपोटरा- यहां से कुछ समय पहले भाजपा में आकर राज्यसभा सांसद बनाए गए किरोडीलाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी कांग्रेस के उपनेता प्रतिपक्ष रहे रमेश मीणा से चुनाव हार गई। पूर्वी राजस्थान में मीण समुदाय पर वर्चस्व की दृष्टि से इस सीट का परिणाम काफी अहमियत रखता है, क्योंकि यह संघर्ष किरोडी लाल मीणा और रमेश मीणा के बीच चल रहा था।
उदयपुर शहर- उदयपुर शहर से सरकार के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गिरिजा व्यास को चुनाव हराया है। गिरिजा व्यास केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी है। यह कटारिया की परंपरागत सीट रही है, लेकिन इस बार उनके खास कार्यकता रहे दलपत सुराणा भी यहां उनके खिलाफ मैदान में थे। ऐसे में कटारिया त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे दिख रहे थे, लेकिन अंत में जीत हासिल कर गए।