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राजस्थान विधानसभा चुनाव : छह जिलों में भाजपा, तीन में कांग्रेस का खाता ही नहीं खुला

Rajasthan Assembly elections. राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा जहां छह जिलों में खाता ही नहीं खोल सकी, वहीं कांग्रेस को तीन जिलों में एक भी सीट नहीं मिली

By BabitaEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 02:16 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनाव : छह जिलों में भाजपा, तीन में कांग्रेस का खाता ही नहीं खुला
राजस्थान विधानसभा चुनाव : छह जिलों में भाजपा, तीन में कांग्रेस का खाता ही नहीं खुला

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही चौंकाने वाले रहे । भाजपा जहां छह जिलों में खाता ही नहीं खोल सकी, वहीं कांग्रेस को तीन जिलों में एक भी सीट नहीं मिली । सिरोही, पाली व झालावाड़ में कांग्रेस को कोई उम्मीदवार नहीं जीता। उधर सीकर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, जैसलमेर और दौसा में भाजपा का एक भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका । 

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कई जगह दोनों पार्टियों के दिग्गज हारे 

अलवर जिले की 10 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को चार, भाजपा तथा बसपा को दो-दो सीटें मिली हैं। दो सीटों पर निर्दलीयों ने बाजी मारी है। अलवर में वर्ष 2013 में भाजपा ने 11 में से नौ सीटें जीतीं थी। इस बार एक सीट पर चुनाव स्थगित हो गया है। दस सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को दो ही सीटें मिल पाई हैं। बसपा व निर्दलीयों ने दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस का सियासी गणित बिगाड़ दिया। वहीं भाजपा का गढ़ भरतपुर जिला ढह गया है। पिछले दो चुनावों में भाजपा को सात में से छह सीटें मिली थी, लेकिन इस चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया है। कांग्रेस चार, बसपा दो और रालोद को एक सीट मिली है।

एससीएसटी एक्ट का मुद्दा इस चुनाव में हावी रहा। जिले की दो सीट बयाना और वैर एससी के लिए आरक्षित है। जबकि पांच सामान्य के लिए। बीकानेर जिले ने कांग्रेस और भाजपा दोनों में तीन-तीन सीटों का बराबर बंटवारा किया लेकिन इस बंटवारे में भी कई चौंकाने वाले निर्णय दिए। नेाखा से नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी को हरा दिया वहीं श्रीडूंगरगढ़ को माकपा के गिरधारी महिया के खाते में डाल दिया। दो बार चुनाव हार चुके कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डा.बी.डी.कल्ला की बीकानेर पश्चिम में जीत के साथ वापसी करवाई है वहीं हैट्रिक करने मैदान में उतरे उनके जीजा गोपाल जोशी को आराम की सलाह दी। देवीसिंह भाटी ट्रंप कार्ड के रूप में पुत्रवधू पूनम कंवर को मैदान में लाए थे, लेकिन उसे नकार भंवरसिंह भाटी को एक बार फिर कोलायत से विधायक बनाया है।


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