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राजस्थान विधानसभा चुनावः जानिए, अजमेर का जातीय गणित

वर्तमान में अजमेर जिले की आठ में से सात सीट भाजपा के पास व एक सीट उपचुनाव में जीत के आधार पर कांग्रेस के कब्जे में है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 06:32 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 06:32 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनावः जानिए, अजमेर का जातीय गणित
राजस्थान विधानसभा चुनावः जानिए, अजमेर का जातीय गणित

अजमेर, सन्तोष गुप्ता। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के लिए अजमेर जिले के आठ में से सात प्रत्याशियों के नामों का पहली सूची में खुलासा कर भाजपा ने कांग्रेस को बेहतरीन सोशल इंजीनियरिंग का खुला मैदान सौंप दिया है। कांग्रेस मजबूत जातीय समीकरण के आधार पर प्रत्याशियों को चयन करती है तो अजमेर के अपने अभेद्य किले को बचाए रखने में भाजपा के लिए कांग्रेस की सीधी शह होगी।

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वर्तमान में अजमेर जिले की आठ में से सात सीट भाजपा के पास व एक सीट उपचुनाव में जीत के आधार पर कांग्रेस के कब्जे में है। भाजपा ने मौजूदा सात में से पांच सीटों पर अपने पुराने घोड़ों पर ही दांव लगाया है। इनमें अजमेर उत्तर से प्रदेश के शिक्षा एवं पंचायती राजमंत्री वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल को लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में उतारा हैं। मतदाता में सरकार विरोधी मानस के चलते दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई दिखाई दे रही है। वहीं ब्यावर से शंकर सिंह रावत तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारे गए हैं। पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से संसदीय सचिव सुरेश रावत एवं मसूदा से श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा पर भाजपा ने दोबारा भरोसा दर्शाया है। नसीराबाद सीट से लोकसभा उपचुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को एक मौका और दिया गया है जबकि किशनगढ़ सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ने को तैयार भागीरथ चौधरी का टिकट काट कर भाजपा ने 32 वर्षीय युवा चेहरे मदस विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रहे विकास चौधरी पर दांव खेला है।

किशनगढ़ विधायक का टिकट कटने पर खुला विरोध, सौंपे इस्तीफे

युवा चेहरे विकास चौधरी को पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी के विरुद्ध टिकट दिए जाने के साथ ही किशनगढ़ भाजपा में जबरदस्त बगावत शुरू हो गई हैं। मण्डल अध्यक्ष किशनगोपाल दरगड़ के नेतृत्व में किशनगढ़ भाजपा के पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। उन्हें मनाए जाने के प्रदेश स्तरीय प्रयास जारी है। केकड़ी सीट से भाजपा ने अपने संसदीय सचिव शत्रुध्न गौतम के बदले कोई नाम की घोषणा अभी नहीं की है। माना जा रहा है कि इस सीट से किसी ब्राह्मण को ही मौका दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कोई विकल्प भी नहीं है। ऐसे में गुर्जर, मुस्लिम, वैश्य समाज सीधे तौर पर भाजपा से खफा रह सकता है।

गौरतलब है कि 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी आठों सीटों पर क्लीन स्विप किया था। जबकि प्रदेश में मोदी लहर थी। इस बार ना तो कोई लहर है ना ही कोई चुनावी मुद्दा अब तक दिखाई दे रहा है। लिहाजा प्रत्याशियों का सही चयन ही मतदाताओं को कांग्रेस या भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करने वाला है। वैसे भी ख्वाजा की नगरी में हनुमान बेनिवाल या घनश्याम तिवाड़ी अथवा आप सरीखे तीसरे मोर्चे के नेताओं का कोई वजूद नहीं है। फिर भी नामांकन की अंतिम तिथि 19 नवम्बर तक मतदाताओं का मन ठहरा हुआ सा प्रतीत हो रहा है।

मतदाता अजमेर को सही दिशा और दशा में आगे बढ़ाने वाले जननेताओं की उम्मीद में हैं। भाजपा द्वारा अपने पत्ते खोले जाने के साथ जनता को अजमेर का अगले पांच साल सूरत-ए-हाल साफ दिखाई देने लगा हैै। जनता कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची का इंतजार कर रही है। सोमवार 11 नवम्बर से अजमेर में नामांकन पत्र भरे जाने का सिलसिला शुरू होने के साथ अब तक 15 नामांकन पत्र जारी हुए हैं। चुनाव मैदान में कितने प्रत्याशी ताल ठोक कर डटे रहेंगे यह तो 22 नवम्बर को नाम वापसी होने पर ही पता चलेगा।

यह है अजमेर का जातीय गणित

अजमेर जिले में 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता है। इनमें लगभग 9 लाख 45 हजार पुरुष व 9 लाख 15 हजार महिला मतदाता शामिल हैं। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की दृष्टि से देखे तो दो से सवा दो लाख मतदाता औसत हर विधान सभा क्षेत्र में है। जातिगत आधार पर दो से ढाई लाख जाट, दो लाख रावत, डेढ़ लाख राजपूत, डेढ़ लाख गुर्जर, सवा लाख ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य, ढाई लाख एससी व एसटी, दो लाख मुस्लिम, दो लाख ओबीसी, पचास हजार इसाई, सत्तर हजार सिंधी, इतने ही करीब माली मतदाता है।

जाट व रावतों के भरोसे भाजपा

भाजपा ने दो जाट, दो रावत, एक सिंधी, एक राजपूत, एक कोली, उम्मीदवार पर दांव खेला है। इस नाते भाजपा का जातिय गणित जाट और रावत मतदाताओं के मूल पर टिका है। पूर्व जाट विधायक का टिकट काटे जाने, गुर्जरों, वैश्य और ब्राह्मण वर्ग को लगातार उपेक्षित रखे जाने, मुस्लिम वर्ग को कोई तवज्जो ही नहीं दिए जाने, जनरल की सीट पर अल्पसंख्यक होते हुए भी सिंधी समुदाय को ही आगे बढ़ाए जाने, एसीसी वर्ग में भी सिर्फ कोली को ही हर बार महत्व दिए जाने से रेगर समाज में भाजपा के प्रति जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है।

गुर्जर, राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण भरोसे कांग्रेस

उधर, कांग्रेस इस बार गुर्जर, राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण, इसाई, माली, वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय को साधने में जुटी है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सचिन पायलट और सांसद रघु शर्मा के अजमेर जिले से प्रतिनिधित्व को देखते हुए इन सभी समुदायों को कांग्रेस से ज्यादा उम्मीद है। कांग्रेस अजमेर उत्तर से किसी सिंधी उम्मीदवार का प्रयोग कर सकती है। इस सीट पर दो बार गैर सिंधी को आजमाने से कांग्रेस को मात मिली थी। दक्षिण में कोली से हटकर रेगर समुदाय पर दांव खेला जा सकता है, किशनगढ़ में भी गैरजाट पर भरोसा कर जाट सीट होने मिथक तोड़ा जा सकता है। पुष्कर से जाट, वैश्य या मुस्लिम, ब्यावर से वैश्य या रावत, मसूदा से मुस्लिम, ओबीसी या राजपूत, केकड़ी से ब्राह्मण या राजपूत, नसीराबाद से गुर्जर को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। कांग्रेस की सूची आज-कल में जारी हो सकती है। लिहाजा आठ सीटों वाला भाजपा का अजमेर किला अब कांग्रेस के उम्मीदवारों की सोशल इंजीनियरिंग पर ही टिका है।


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