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राजस्थान में राजनीतिक दल इस बार महिलाओं पर विशेष फोकस करेंगे

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी गौरव यात्रा में हर जगह एक बात जरूर कह रही है कि उनके लिए राजस्थान में दो ही जात है एक महिला और दूसरी पुरुष।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 01:26 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 02:09 PM (IST)
राजस्थान में राजनीतिक दल इस बार महिलाओं पर विशेष फोकस करेंगे
राजस्थान में राजनीतिक दल इस बार महिलाओं पर विशेष फोकस करेंगे

जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान में राजनीतिक दल इस बार महिलाओं पर विशेष फोकस करते दिख रहे है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जहां हर सभा में सरकार की ओर से महिलाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई योजनाओं का बखान कर रही हैं, वहीं कांग्रेस महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को मुद्दा बनाए हुए है। महिलाओं पर ध्यान केंद्रित (फोकस) करने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि राज्य में पिछले दो दशक में हुए चुनाव में वोट देने पहुंच रही महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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पिछले चुनाव की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था, वहीं शहरी इलाकों में यह पुरुषों के लगभग बराबर था। राजस्थान की पहचान महिलाओं के मामले में रूढ़िवादी सोच वाले प्रदेश के रूप में है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में हिस्सेदार की बात करें तो पिछले दो दशक में राजस्थान में वोट देने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है।

वर्ष 1972 में जहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत प्रति हजार पुरुष पर 723 था, वहीं 2013 में यह आंकड़ा 899 तक पहुंच गया। यह वृद्धि कुछ जिलों में नहीं हर संभाग में दर्ज की गई है और अंतर 200 से 300 अंक तक का आया है। पिछले चुनाव की ही बात करें तो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर मतदान किया। पिछले चुनाव में शहरी क्षेत्रों में जहा पुरूष मतदान प्रतिशत 72.35 था वहीं महिलाओं का वोट प्रतिशत 71.73 प्रतिशत रहा यानी एक प्रतिशत से भी कम अंतर रहा।

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो महिलाओं ने वोट देने में पुरुषों को पछाड़ा है। राजस्थान के गांवों में पिछले चुनावों में 75.66 प्रतिशत पुरुषों ने वोट डाले, वहीं महिलाओं का वोट प्रतिशत 76.66 प्रतिशत रहा। महिलाओं के इस वोट प्रतिशत का ही नतीजा है कि इस बार चुनाव में महिलाओं के मुद्दों पर दोनों ही दलों का विशेष फोकस दिख रहा है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी गौरव यात्रा में हर जगह एक बात जरूर कह रही है कि उनके लिए राजस्थान में दो ही जात है एक महिला और दूसरी पुरुष। जोधपुर संभाग में तो उन्होंने यात्रा की शुरुआत ही महिला शक्ति सम्मेलन से की थी। इसके साथ ही वह राजस्थान में महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाओं को भी खुल कर बताती है।

गांवों में बनाई जा रही सड़कों की योजना को भी वे महिलाओं की समस्याओं से जोड़ रही है। इसके अलावा राजस्थान में बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा का प्रावधान और उस पर हो रहे फैसले भी उनके भाषण का प्रमुख अंग बने हुए है। इस मामले में तो वह (वसुंधरा राजे) निर्भया कांड को उठाती है और कांग्रेस से पूछती है कि उन्होंने आखिर कड़ा कानून क्यों नहीं बनाया। साथ ही पार्टी महिलाओं को कमल रक्षा सूत्र बांधने का अभियान भी चला रही हैं। 

कांग्रेस भी लगातार संकल्प रैलियों और अन्य कार्यक्रमों में महिलाओं से जुडे मुद्दे विशेषकर महिला अपराधों की बढ़ती संख्या को मुद्दा बना रही है। साथ ही इन रैलियों में महिलाओं को स्वास्थ्य सुरक्षा और रोजगार के मुद्दे भी छाए हुए है। इनके अलावा अब महिला कांग्रेस पूरे राज्य में अलग से यात्रा निकालने की तैयारी भी कर रही है। यह यात्रा पूरे प्रदेश में जाएगी और महिलाओं के मु्द्दों पर सरकार की विफलताएं उजागर करेगी। 


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