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राजस्थान विधानसभा चुनाव: 70 से ज्यादा सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला

राजस्थान में सात दिसंबर को होने वाले चुनाव में 200 में से 61 सीटों पर त्रिकोणीय और 11 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बनती दिख रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 11:09 AM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनाव: 70 से ज्यादा सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला
राजस्थान विधानसभा चुनाव: 70 से ज्यादा सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला

जयपुर, राज्य ब्यूरो। राजस्थान में सात दिसंबर को होने वाले चुनाव में 200 में से 61 सीटों पर त्रिकोणीय और 11 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बनती दिख रही है। यह स्थिति तीसरे मोर्चे की पार्टियों और भाजपा व कांग्रेस के दमदार बागियों व अन्य निर्दलीयों के कारण नजर आ रही है।

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राजस्थान में टिकट वितरण और नाम वापसी के बाद 200 सीटों के लिए 2294 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा, कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी, मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी और स्थानीय दलों में जमींदारा पार्टी, भारत वाहिनी पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जैसे कई दल चुनाव मैदान में हैं।

त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला करीब 72 सीटों पर दिख रहा है। बाकी जगह भाजपा और कांग्रेस या कांग्रेस के सहयोगी दल आमने-सामने के मुकाबले मे हैं। राजस्थान में तीसरे मोर्चे की पार्टियों का कोई गठबंधन नहीं बन पाया है। हालांकि मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य दलों ने मिलकर लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया जरूर है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी एवं जमींदारा पार्टी इस लोकतांत्रिक मोर्चे से बाहर हैं। यही कारण है कि तीसरा मोर्चा बिखरा हुआ है।

तीसरे मोर्चे की ये पार्टियां 
प्रदेश के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, चुरु, सीकर, बीकानेर, आदि जिलों में ज्यादा असर दिखा रही हैं। इन जिलों की करीब 20 सीटें सीधे तौर पर इन दलों और निर्दलीयों के कारण प्रभावित हो रही हैं। पूर्वी राजस्थान की बात करें तो यहां तीसरे मोर्चे के दलों में सिर्फ बहुजन समाज पार्टी का असर है। बसपा अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर और दौसा जिलों में अच्छा असर रखती है और यहीं से उसे सबसे ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद भी है। बसपा और निर्दलीयों के कारण इन सभी जिलों की करीब 15 सीटें त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसी हैं।

मध्य राजस्थान की बात करें तो जयपुर, अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा जिलों में करीब 16 सीटें बहुकोणीय मुकाबले में फंसी हैं। यहां तीसरे मोर्चे की पार्टियों से ज्यादा असर निर्दलीयों का दिख रहा है। अजमेर, जयपुर, भीलवाड़ा जिलों में कई सीटों पर दमदार निर्दलीय खड़े हैं जो मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

दक्षिण राजस्थान की बात करें तो कोटा से लेकर उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा तक तीसरे मोर्चे की पार्टियों में यहां के स्थानीय दल जनता सेना का ज्यादा असर है। हालांकि इसका भी ज्यादा असर उदयपुर, राजसमंद में ही है। यह दल भाजपा से ही अलग हुए मौजूदा विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने बनाया है। यहां कुछ दमदार निर्दलीय भी मैदान में हैं और यहां करीब 11 सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है।

पश्चिमी राजस्थान की बात करें तो नागौर से लेकर बाड़मेर और पाली जिलों में सबसे ज्यादा असर भाजपा से ही अलग हुए हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का है। इस दल के अलावा यहां कुछ दमदार निर्दलीय भी ताल ठोंक रहे हैं। इनके चलते यहां की करीब 10 सीटें बहुकोणीय मुकाबले में फंसी दिख रही हैं।

कुछ प्रमुख सीटें जो बहुकोणीय मुकाबले मे फंसी हैं।

जैतारण- भाजपा के बागी मंत्री सुरेंद्र गोयल 
थानागाजी- भाजपा के बागी मंत्री हेमसिंह भड़ाना 
रतनगढ़- भाजपा के बागी मंत्री राजकुमार रिणवां 
बांसवाड़ा- भाजपा के बागी मंत्री धनसिंह रावत 
महुआ- भाजपा के बागी संसदीय सचिव ओम प्रकाश हुडला 
श्रीगंगानगर- जमींदारा पार्टी की मौजूदा विधायक कामिनी जिंदल 
सादुलपुर- बसपा के मौजूदा विधायक मनोज न्यांगली 
सांगानेर- भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष और मौजूदा विधायक घनश्याम तिवाड़ी 
फुलेरा- भाजपा के बागी जिलाध्यक्ष डीडी कुमावत और कांग्रेस की बागी स्पर्धा चौधरी 
खींवसर- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल


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