राजस्थान विस चुनावः कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ेंगे बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन कर विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक दी है।
जोधपुर, आनन्द राय। कभी भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहे हनुमान बेनीवाल 2013 में नागौर जिले की खींवसर से निर्दलीय विधायक चुने गए लेकिन, हाल में उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन कर विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक दी है। बेनीवाल की पार्टी से 65 से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। बेनीवाल इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों का खेल बिगाड़ेंगे। दरअसल, वह जाट बिरादरी से आते हैं और जातीय खेमेबंदी में राजस्थान की सियासत सिर चढ़कर बोल रही है। उन्होंने समीकरण के तहत अनुसूचित जाति के ज्यादातर उम्मीदवार दिए हैं और जाट-अजा गठजोड़ का उनका फार्मूला ही कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बनेगा। वह टिकट से वंचित असंतुष्ट नेताओं की बिरादरी को ही लामबंद करने का खेल कर रहे हैं।
जाटों के आरक्षण को लेकर बेनीवाल की लड़ाई जगजाहिर है। राजस्थान विश्वविद्यालय छा्त्रसंघ के अध्यक्ष रह चके हनुमान बेनीवाल ने 2008 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता लेकिन, वसुंधरा राजे से उनकी निभ नहीं पाई। 2013 में वह निर्दल चुनाव जीत गए। अक्टूबर माह में बेनीवाल ने जयपुर में एक बड़ी रैली की तो जाटों ने उनकी ताकत बढ़ा दी। इसी रैली का नतीजा रहा कि कांग्रेस और भाजपा के टिकट से वंचित नेताओं ने भी बेनीवाल के दर पर दस्तक देनी शुरू कर दी। कई बागियों को उन्होंने मौका भी दिया है। अब बेनीवाल के पक्ष में जाट बिरादरी मुखर होने लगी है। बानगी के तौर पर राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता हनुमान चौधरी हैं। चौधरी शुरु से कांग्रेसी रहे लेकिन इस बार बेनीवाल के साथ हैं। चौधरी और बेनीवाल दोनों जाट समुदाय के हैं।
एडवोकेट चौधरी दावे के साथ कहते हैं कि राजस्थान की तरक्की के लिए बेनीवाल जरूरी हैं। खुद बेनीवाल अपनी सभाओं में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर ही हमला बोल रहे हैं। वह कहते हैं कि वसुंधरा और गहलोत के भूत को अपनी बोतल में बंद करना है। वह इस चुनाव में चमत्कार दिखाने के साथ दोनों को राजस्थान से बाहर भगा देने का खम ठोंकते हैं। साफ पानी पिलाने, किसानों के दुख-दर्द दूर करने जैसे कुछ वायदों के साथ बेनीवाल ने हलचल मचा दी है। अमूमन छोटे दलों की भूमिका वोटकटवा की होती है। बेनीवाल की पार्टी नागौर जिले में भले कुछ करिश्मा कर दे लेकिन, किसी निर्णायक नतीजे की उम्मीद नहीं की जा सकती है। पर, राजस्थान की राजनीति में पकड़ रखने वाले लोग स्वीकार करते हैं कि बेनीवाल कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
असंतोष की पकड़ी नब्ज
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जोधपुर जिले की बिलाड़ा सीट पर रिटायर्ड डीआइजी बिजेंद्र झाला को मौका दिया है। दरअसल, बेनीवाल ने अनुसूचित वर्ग में असंतुष्ट जातियों पर मजबूत पकड़ का फार्मूला अपनाया है। बिलाड़ा सीट से अनुसूचित जाति के डॉ रामदयाल सागर कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। विश्ववि़द्यालय में पत्रकारिता के शिक्षक राम सागर सरगरा बिरादरी के हैं लेकिन, कांग्रेस ने उन्हें टिकट न देकर हीराराम मेघवाल को टिकट दे दिया। यह सही है कि अनुसूचित जाति में राजस्थान में मेघवाल समाज का वर्चस्व है लेकिन, हीराराम का पिछले चुनाव में प्रदर्शन ठीक नहीं था। वह हार गये थे। कांग्रेस ने सुरक्षित सीटों पर ज्यादातर मेघवाल बिरादरी के ही उम्मीदवार उतारे हैं।
इससे अनुसूचित वर्ग के अन्य दावेदार असंतुष्ट हो गये हैं। रामदयाल को टिकट न मिलने से सरगरा बिरादरी भी नाराज है। बिलाड़ा में भाजपा ने अर्जुन लाल गर्ग को टिकट दिया है। अर्जुन लाल गर्ग काफी समय तक वसुंधरा सरकार में म्ंत्री रहे लेकिन, आरोपों के चलते उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था। बावजूद इसके भाजपा ने उन्हें मौका दिया है। अनुसूचित वर्ग में गर्ग का भी दबदबा है और मेघवाल जाति से इनके रिश्ते होते हैं। बेनीवाल ने बिजेंद्र झाला को टिकट देकर सरगरा समेत अन्य अनुसूचित जातियों को साधने के लिए पासा फेंका है। इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों का नुकसान होना है।