Move to Jagran APP

राजस्थान की गहलोत सरकार के सामने अब मंत्रिमंडल का गठन बड़ी चुनौती

राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद अब अशोक गहलोत के सामने मंत्रिमंडल का गठन करना बड़ी चुनौती होगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 01:13 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 01:14 PM (IST)
राजस्थान की गहलोत सरकार के सामने अब मंत्रिमंडल का गठन बड़ी चुनौती
राजस्थान की गहलोत सरकार के सामने अब मंत्रिमंडल का गठन बड़ी चुनौती

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद अब अशोक गहलोत के सामने मंत्रिमंडल का गठन करना बड़ी चुनौती होगी। सबसे बड़ी चुनौती तो उप मुख्यमंत्री बनाए गए सचिप पायलट के साथ तालमेल बनाकर चलने की होगी। सीएम तय करने को लेकर चार दिन तक दिल्ली में चली खींचतान के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तय किया कि गहलोत और पायलट मिलकर सरकार चलाएंगे, दोनों मिलकर निर्णय करेंगे।

loksabha election banner

मंत्रियों की संख्या भी दोनों के समर्थकों की आधी-आधी होगी। राजनीतिक नियुक्तियों का निर्णय भी दोनों मिलकर करेंगे। गहलोत और पायलट द्वारा गहलोत का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व से बातचीत कर मंत्रिमंडल का निर्णय लिया जाएगा।

लोकसभा चुनाव के लिहाज से बनेगा मंत्रिमंडल

इस बार गहलोत के लिए मंत्रिमंडल का गठन इसलिए भी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इसमें पार्टी के दोनों पावर सेंटर के लोगों का समायोजन करना होगा। वहीं फिर विधानसभा चुनावों के बाद लगे हाथ कुछ माह बाद लोकसभा के चुनाव भी होने है, लिहाजा लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को पूरी तरह से साधकर मंत्रिमंडल का गठन करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

इस बार कांग्रेस ने अपने परपंरागत गढ़ शेखावाटी के अलावा भाजपा के गढ़ जयपुर और हाड़ौती (कोटा संभाग) में भी अपना परचम लहराया है, इन्हीं क्षेत्रों से मंत्रिपद के सबसे अधिक दावेदार है। वहीं पार्टी के कई पुराने और दिग्गज विधानसभा पहुंचे है तो कई नए और साधारण नेता भाजपा के दिग्गजों को हराकर जीते है।

दूसरी तरफ कुछ बड़े ऐसे नेता भी है, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बगावत कर दी और चुनाव मैदान में डट गए थे। इनमें से भी कुछ विधानसभा पहुंचने में सफल हुए है, हालांकि बागियों को पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था, लेकिन उनकी जीत का अंतर और लोकसभा चुनावों को देखते हुए उनकी वापसी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

ये हो सकते है मंत्री

डॉ.सी.पी.जोशी, बी.डी.कल्ला, राजेन्द्र पारीक,रघु शर्मा,परसादी लाल मीणा,रमेश मीणा,गोविंद सिंह डोटासरा,नरेन्द्र बुडानिया,महेन्द्र मालवीय,विश्वेन्द्र सिंह,लालचंद कटारिया,महेश जोशी,शांति धारीवाल,भरत सिंह,प्रमोद जैन,सालेह मोहम्मद,जाहिदा,ममता भुपेश,भंवर लाल मेघवाल और टीकाराम जुली आदि को प्रथम चरण में मंत्री बनाया जा सकता है ।

कांग्रेस ये दिग्गज बगावत कर पहुंचे हैं विधानसभा

महादेव सिंह,बाबूलाल नागर,लक्ष्मण मीणा और संयम लोढ़ा कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते है । लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अगर इनकी पार्टी में वापसी होती है तो ये भी प्रबल दावेदारों की सूची में शामिल होंगें ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.