Move to Jagran APP

Rajasthan Election 2018: ई योगी कौ गोवंश बागी है रऔ ए, चुनावन में बैड़ करावैगो

संभाग भर के किसान हों या दुकानदार इन आवारा पशुओं के आतंक से आजिज हैं। किसी भी जिले में पूछने पर लोग सीधे तौर पर उप्र सरकार की ओर इशारा करते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 07:20 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:20 PM (IST)
Rajasthan Election 2018: ई योगी कौ गोवंश बागी है रऔ ए, चुनावन में बैड़ करावैगो
Rajasthan Election 2018: ई योगी कौ गोवंश बागी है रऔ ए, चुनावन में बैड़ करावैगो

आशीष भटनागर,भरतपुर। संभाग में किसी भी दिशा में बढ़ें,लंबे-चिकने चार लेन हाईवे आपको फर्राटा भरने को लालायित कर सकते हैं। लेकिन,यहां-वहां कब्जा जमाए या सड़क पर बेलगाम घूमता गोवंश का झुंड आपके अरमानों पर पानी फेर सकता है। संभाग भर के किसान हों या दुकानदार इन आवारा पशुओं के आतंक से आजिज हैं। किसी भी जिले में पूछने पर लोग सीधे तौर पर उप्र सरकार की ओर इशारा करते हैं। कहते हैं,ई योगी कौ गोवंश बागी है रऔ ए, चुनावन में बैड़ करावैगो।

loksabha election banner

फतेहपुर सीकरी के ऐतिहासिक खानवा मैदान के दूसरे सिरे पर बसे भरतपुर के खानुआं गांव के सरपंच अहमद हुसैन बताते हैं कि जब से उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवंश के अवैध कटान पर रोक लगाई है तब से आवारा पशुओं की तादाद इतनी बढ़ गई है कि न दिन में चैन है और न रात में। न तो खेतों में लगी फसल सुरक्षित है और न सड़क चलते मुसाफिर। आए दिन किसी न किसी को सींग मारकर घायल कर देते हैं सो अलग। खेत में से निकालने की कोशिश करने पर कई बार क्षेत्र का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ते-बिगड़ते बचा है।

भरतपुर जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण। सभी जगह आवारा पशुओं का राज है। गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र से सटे डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र में तो हालात और विकराल हैं। धार्मिक क्षेत्र और श्रद्धालुओं की आमद इन्हें खाना-पीना भी भरपूर मुहैया कराती है। क्षेत्र में अनेकों बड़ी-छोटी गोशालाएं भी हैं। लेकिन,आवारा घूमने वाले गोवंश चारों ओर आपको विचरण करते,राह रोकते मिल जाएंगे। इस क्षेत्र में बंदर और कुत्तों का भी भरपूर आतंक है।

धौलपुर विधानसभा के मनिया की भी हालत कमोबेश ऐसी ही है। आगरा के खेरागढ़ से सटे इस क्षेत्र में हालात यह है कि दोनों राज्यों के गोवंश निष्पक्ष भाव से एक-दूसरे के राज्यों में विचरण करते हैं। खेत से एक-दूसरे की ओर हांकने या एक-दूसरे की गाय को मारने पर आए दिन दोनों राज्यों के ग्रामीणों के बीच तकरार होती रहती है। बाजार में तो गोवंश का विचरण आम बात है।

बाड़ी विधानसभा के सैपऊ के बाजार में कई हलवाई और हरी सब्जी की दुकान हैं। गोवंश और दुकानदारों में खाने और बचाने की प्रतिस्पर्धा सी होती रहती है। एक हलवाई की दुकान के बाहर कूड़ेदान में जूठे दोने चाटते और खाते गोवंश के झुंड में शामिल तीन टांग पर चलने को मजबूर पीली गाय ग्रामीण दुकानदारों की मजबूर निर्दयता का प्रमाण दे रही है।

करौली जिले का ङ्क्षहडौन विधानसभा क्षेत्र इलाके की बड़ी मंडी है। सड़क किनारे रोडवेज बस स्टैंड और पास में ही फल-सब्जी मंडी। मानो हाईवे किनारे का यह क्षेत्र गोवंश के लिए अभ्यारण्य हो। बेसाख्ता यहां-वहां बैठे और घूमते पशु आमतौर पर जाम का कारण बनते रहते हैं। फल विक्रेता राम प्रकाश दुखी मन से बताते हैं कि कमाई का बड़ा हिस्सा रोजाना इन पशुओं का निवाला बन जाता है। उन्होंने कहा कि गाय को मारने में दिल दुखता है,लेकिन मजबूरी है न मारें तो बच्चों का पेट कहां से भरें।

सपोटरा विधानसभा का कैला देवी मंदिर क्षेत्र तो आवारा पशुओं के लिए स्वर्ग है। गोवंश सड़क पर कब्जा जमाए हैं तो बंदर मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द दीवार और छतों पर। दोनों नवरात्र और प्रत्येक सप्तमी-अष्टमी को लाखों की संख्या में पहुंचने वाले लोग इन्हें श्रद्धापूर्वक निवाला मुहैया कराते हैं। शेष दिनों में यह स्थानीय लोगों के लिए आतंक का पर्याय बन जाते हैं। स्थानीय दुकानदार शैलेष गुप्ता बताते हैं कि जिन दिनों श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है तो इन पशुओं से अपना सामना बचाना मुश्किल हो जाता है। रात में जब बाजार बंद हो जाता है तो पास के खेतों को तहस-नहस कर देते हैं। खाने को न मिलने पर यह कभी-कभी हिंसक भी हो जाते हैं और लोगों को घायल कर देते हैं। 

सवाई माधोपुर की गंगापुर सिटी विधानसभा का शहरी क्षेत्र रोडवेज बस स्टैंड और कचहरी सर्किल के इर्द गिर्द काफी घना बसा है। सामान्य स्थिति में लोगों को भी आसानी से निकलना मुश्किल होता है,लेकिन उसमें गोवंश अपने लिए जगह बना ही लेते हैं। फिर भले ही जाम लगे तो लगे। लंबा जाम लगने पर ऐन चौराहे पर चाय की दुकान चलाने वाले पप्पू व्यंग्य करते हैं ई योगी की गाय हैं,यूं ही रास्ता थोड़े दे देगी। पूछने पर कहते हैं,ये तो यहां रोज का हाल है। 

सवाई माधोपुर का ही विधानसभा क्षेत्र बामनवास की पीड़ा कुछ ज्यादा ही है। मीणा बाहुल्य इस क्षेत्र में खेती ही मुख्यत: जीविका का साधन है। सिंचाई के लिए जल संकट से जूझते नरसिंहपुरा गांव के सरपंच बत्ती लाल बताते हैं कि आवारा गोवंश ने जीना मुहाल कर रखा है। रात-रात भर ड्यूटी लगाकर खेतों की रखवाली करते हैं। तो भी मौका लगते ही खेत उजाड़ जाते हैं। बताते हैं कि जिनावर यां पहलेई निरे, जब ते यूपी में कट्टीखाने बंद भऐ, ई सब इतैंई कढय़ाए एं (निकल आए हैं)। जब ई योगी गोवंशन कूं जिमा न सके तो कटाई बंद कराबे की का पड़ी। यहां के ब्राह्मण समाज ने लंबे समय से गोशाला की मांग भी उठा रखी है। 11 दिन अनशन करने के बावजूद अभी तक किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई। 

भले ही यह कह पाना मुश्किल हो कि राजस्थान में आवारा पशुओं के आतंक में उप्र से पलायन कर पहुंचे पशुओं की भागीदारी कितनी है। लेकिन, योगी के बूचडखाना बंद करने के निर्णय और गोवंश को संरक्षण करने की लचर व्यवस्था ने उप्र के साथ ही पड़ोसी राज्यों में आवारा पशुओं की तादाद बढ़ा देती है। यह समस्या चुनावों में बड़ा मुद्दा बन वसुंधरा सरकार की राह को और मुश्किल बना सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.