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चुनावी साल में कर्मचारी सड़कों पर, सरकार 15 हजार करोड़ का भार वहन करने को तैयार नहीं

राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख सरकारी कर्मचारियों का अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरने का सिलसिला तेज हो गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 12:35 PM (IST)
चुनावी साल में कर्मचारी सड़कों पर, सरकार 15 हजार करोड़ का भार वहन करने को तैयार नहीं
चुनावी साल में कर्मचारी सड़कों पर, सरकार 15 हजार करोड़ का भार वहन करने को तैयार नहीं

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख सरकारी कर्मचारियों का अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरने का सिलसिला तेज हो गया है। चुनावी साल में कर्मचारी संगठन सत्तारूढ़ दल भाजपा पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में फैसला कराना चाहते है।

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वहीं सरकार की मुश्किल यह है कि यदि कर्मचारियों की मांगे मानी जाती है तो करीब 15 हजार करोड़ रूपए का वित्तीय भार आएगा,जिसे वहन करना मुश्किल है। विभिन्न विभागों के कर्मचारी धरने,प्रदर्शन और हड़ताल के जरिए चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले अपनी मांगे मनवाने के लिए सरकार के मंत्रियों और भाजपा विधायकों को चुनाव में वोट नहीं देने की बात भी कह रहे है।

पिछले एक सप्ताह से राज्य पंचायती राज कर्मचारी,शिक्षक,मंत्रालयिक कर्मचारी,रोड़वेज कर्मचारी,नर्सिंग कर्मचारी,लैब टेक्नीशियन और बिजली कम्पनियों के कर्मचारी आंदोलन कर रहे है। रोड़वेज कर्मचारियों की हड़ताल के चलते करीब पांच हजार बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है।

इस कारण यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। रोड़वेज बसें नहीं चलने के कारण निजी बस चालक मनमाना किराया भी वसूल रहे है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में वेतनमान,एरियर,पद्दोन्नति,पेंशन का भुगतान आदि शामिल है।

कर्मचारियों की मांगों को मानने पर सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय भार को वहन करने के लिए वित्त विभाग विभाग के अधिकारी तैयार नहीं है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साफ कह दिया कि सरकार के खजाने में इतना पैसा नहीं है कि कर्मचारियों की मांगों को माना जाए।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि कर्मचारियों की मांगे मानी जाती है तो सरकार पर करीब 15 हजार करोड़ रूपए का वित्तीय भार आएगा,जिसे वहन करना मुश्किल होगा । सरकार के खजाने में इतना पैसा ही नहीं है ।

मंत्री और अफसर कर रहे कर्मचारी नेताओं से चर्चा

राज्य के संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ और मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता कर्मचारी नेताओं के साथ लगातार चर्चा कर रहे है। लेकिन कर्मचारी नेता अपनी मांगे पूरी होने तक आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं है। अब सरकार भी सख्ती बरतने की तैयारी कर रही है।

विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की मांगे

रोड़वेज कर्मचारी सेवानिवृत कर्मचारियों के बकाया भुगतान,7वें वेतनमान और बोनस का भुगतान करने और रिक्त पदों को भरने की मांग कर रहे है। उल्लेखनीय है कि रोड़वेज घाटे में चल रही है । घाटे के चलते कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।

बिजली कम्पनियों में जेईएन और टेक्नीकल हेल्पर अपनी ग्रेड पे बढ़ाने एवं प्रमोशन की मांग कर रहे है । पंचायती राज विभाग में पंचायत प्रसार अधिकारी,ग्राम विकास अधिकारी,सहायक सचिव के ग्रेड पे बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर है। इसी तरह शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है । लैब टेक्नीशियन और नर्सिंगकर्मी भी अपनी ग्रेड पे बढ़वाना चाहते है।  


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