राजस्थानः एससी-एसटी एक्ट को लेकर चुनाव के बहिष्कार का एलान
ग्रामीण मतदाताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशी को वोट नहीं देने और नेताओं को गांव में नहीं घुसने देने का निर्णय किया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में सीमावर्ती जिले बाड़मेर के समदड़ी तहसील के ग्रामीण मतदाताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशी को वोट नहीं देने और नेताओं को गांव में नहीं घुसने देने का निर्णय किया है। इस क्षेत्र के ग्रामीण मतदाताओं ने लगातार दो दिन बैठक कर राजनीतिक दलों पर जातिवाद के नाम पर लोगों को लड़ाने का आरोप लगाते हुए चुनाव में वोट नहीं देने का निर्णय लिया।
ग्रामीणों का कहना है हमारा पूरा क्षेत्र एससी, एसटी एक्ट के खिलाफ है। ग्रामीणों ने एक्ट के विरोध और किसी भी दलन के नेताओं के गांव में प्रवेश नहीं करने को लेकर बैनर लगा दिए है। गांव में प्रवेश करने वाले मार्गों पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखवाया गया है, इस गांव में अधिकांश लोग सवर्ण और ओबीसी वर्ग के रहते है। ग्रामीण तेज प्रकाश,रामवतार और गेमराराम का कहना है कि हम किसी भी दल को वोट नहीं देंगे। मतदान का बहिष्कार करेंगे। इनका कहना है कि जब से संशोधन विधेयक की चर्चा तेज हुई है, तब से पूरे बाड़मेर जिले में एससी,एसटी एक्ट के मामलों में फंसाने को लेकर ब्लैकमेलिंग की घटनाएं बढ़ी है।
ग्रामीणों ने "नोटा" के उपयोग का निर्णय लिया
करौली जिले के हिण्डौन सिटी में सवर्ण समाज एवं ओबीसी वर्ग की सामूहिक बैठक में एसटी एससी संशोधित एक्ट विधेयक के विरोध में नोटा पर वोट देने का निर्णय लिया गया। बैठक में सवर्ण एवं ओबीसी वर्ग के लोग मौजूद रहे। बैठक के दौरान जागरूकता के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया। महापंचायत के बाद प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।