राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले छात्रसंघ चुनाव परिणाम बताएंगे युवाओं का रुझान
छात्र राजनीति के माघ्यम से वास्तविक राजनीति के लिए जमीन को तैयार करने वाले इन चुनावों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरें भी टिकी है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में इस माह की अंत में होने वाले छात्रसंघ चुनाव काफी अहम है। ये चुनाव इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए युवाओं के मूड को दर्शाने वाले साबित होंगे। छात्र राजनीति के माघ्यम से वास्तविक राजनीति के लिए जमीन को तैयार करने वाले इन चुनावों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरें भी टिकी है। खासकर राजस्थान विश्वविद्यालय, जोधपुर विश्वविद्यालय और उदयपुर विश्वविघालय पर।
जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय प्रदेशभर के युवाओं का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, जोधपुर विश्वविद्यालय भले ही मारवाड़ का प्रतिनिधित्व करता हो, लेकिन यह विश्वविद्यालय भी प्रदेश के सबसे बड़े संभाग के युवाओं के मूड को काफी हद तक स्पष्ट कर देता है। ये दोनों विश्वविद्यालय ऐसे हैं जहां के छात्रसंघ अध्यक्ष आगे चलकर सक्रिय राजनीति में अपनी अहम भूमिका अदा करते है। इसी तरह उदयपुर विश्वविघालय के छात्रसंघ चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण है। प्रदेश का यह इतिहास रहा है कि विधानसभा चुनाव में जिस दल को उदयपुर संभाग में अधिक सीटें मिले, उसने ही राज्य में सरकार बनाई है। इस कारण उदयपुर विश्वविघालय में पढ़ने वाले युवा मतदाताओं का रुख भी विधानसभा चुनाव की गणित कुछ हद तक स्पष्ट कर सकता है।
छात्र राजनीति से अपना कैरियर शुरू करने वाले आज बने दिग्गज नेता
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर विवि से छात्र राजनीति प्रारंभ की, फिर एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने। केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा विधायक बाबू सिंह राठौड़ एवं जालम सिंह रावलोत जोधपुर विवि.छात्रसंघ के अध्यक्ष रहते हुए सक्रिय राजनीति में आए। वहीं, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. सीपी जोशी उदयपुर विवि में छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए राजनीति में आगे आए। वसुंधरा सरकार में संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, जयपुर के महापौर अशोक लाहोटी, सांसद रघु शर्मा और निर्दलीय विधायक राजकुमार शर्मा ने राजस्थान विवि में छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए सक्रिय राजनीति में कदम रखा। ये सभी छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के दौरान कांग्रेस और भाजपा के संपर्क में आए और फिर सक्रिय राजनीति में कूद गए।