Lok Sabha Elections: संगरूर सीट बचाने के लिए आप कर रही कड़ी जद्दोजहद
आम आदमी पार्टी का पूरा जोर संगरूर सीट बचाने में लगा हुआ है क्योंकि आप के प्रांतीय प्रधान भगवंत मान के कंधों पर पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी है।
संगरूर [मनदीप कुमार]। लोकसभा चुनाव 2014 में संगरूर सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक रहा था। कांग्रेस व अकाली दल के किले को ढेर कर आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने दो लाख 11 हजार 721 वोट से शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी को पंजाब की अन्य सीटों के मुकाबले अपनी संगरूर सीट बचाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।
आम आदमी पार्टी का पूरा जोर संगरूर सीट बचाने में लगा हुआ है, क्योंकि आप के प्रांतीय प्रधान भगवंत मान के कंधों पर पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं आम आदमी पार्टी के खिलाफ मैदान में मौजूद अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार परमिंदर सिंह ढींडसा, कांग्रेस के उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों, पंजाब डेमोक्रेटिक अलाइंस के उम्मीदवार जस्सी जसराज, शिरोमणि अकाली दल (अ) के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान के लिए भी कड़ा मुकाबला है।
पिछले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भगवंत मान को 5,33,237 वोट मिले थे। शिअद के सुखदेव सिंह ढींडसा 3,21,516 वोट ही हासिल कर पाए, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार विजयइंद्र सिंगला 1,81,410 मतों पर सिमट गए। उनकी जमानत भी जब्त हो गई। इस बार आम आदमी पार्टी के हालात पहले जैसे नहीं हैं। संगरूर हलके की बात करें तो विरोधियों सहित आम आदमी पार्टी से अलग हुए पार्टी के नेता ही भगवंत मान पर तरह-तरह से आरोप मढ़ रहे हैं। कहीं फंडों के दुरुपयोग के छींटे भगवंत मान पर फेंके जा रहे हैं तो कहीं पार्टी के वफादार वर्करों को दरकिनार करके अपने चहेतों को आगे लगाने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि सांसद भगवंत मान इन आरोपों का हमेशा से खंडन करते रहे हैं, लेकिन इन आरोपों का कहीं न कहीं नुकसान पार्टी व भगवंत मान की छवि को झेलना पड़ रहा है।
वर्तमान में लोकसभा हलका संगरूर के अधीन नौ विधानसभा हलकों में से पांच पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। इनमें से एक विधायक पिरमल सिंह खालसा आम आदमी पार्टी से बगावत कर खैहरा ग्रुप के साथ पीडीए की हिमायत कर रहे हैं, जिस कारण आप के साथ केवल पांच विधायक ही रह गए हैं। इसमें से जिला संगरूर व बरनाला के दो-दो विधायक ही बाकी हैं।
संगरूर सीट पर नहीं मिली लगातार दो बार जीत
संगरूर लोकसभा सीट का इतिहास गवाह है कि इस सीट पर लगातार दो बार किसी उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई है। संगरूर हलके के वोटर दोबारा किसी उम्मीदवार को संसद जाने का मौका प्रदान नहीं करते, जिसके चलते इस बार भगवंत मान को यह इतिहास तोड़ने के लिए कड़ा प्रयास करना होगा। वर्ष 1952 से 2014 तक मात्र सुरजीत सिंह बरनाला को 1998 के उपचुनाव में दोबारा जीत का मौका मिला, जबकि किसी अन्य नेता को लगातार दो बार सांसद नहीं चुना गया। ऐसे में भगवंत मान के लिए कड़ी चुनौती है।
अपनी सीट पर भगवंत मान का ध्यान केंद्रित
आम आदमी पार्टी के प्रधान सांसद भगवंत मान पिछले चार माह से लगातार अपने हलके में डेरा जमाए हुए हैं। पार्टी के प्रधान होने के साथ-साथ स्टार प्रचारक के तौर पर जाने जाते भगवंत मान का पूरा ध्यान अपनी सीट पर केंद्रित है। इसीलिए वह बाहरी सीटों पर अभी प्रचार को कम ही तवज्जो दे रहे हैं और अपने हलके को कवर करने में जुटे हैं। गत दिनों दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी संगरूर में ही शिरकत की और यहां पर पार्टी के सभी उम्मीदवारों व कार्यकर्ताओं से बैठक की। वहीं अगले दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी संगरूर में चुनाव प्रचार करेंगे।
डोर-टू-डोर प्रचार मुहिम व चिट्ठी का ले रहे सहारा
लोकसभा हलके में डोर-टू-डोर प्रचार मुहिम के लिए वालंटियरों की ड्यूटियां लगा दी गई हैं, जो घर-घर जाकर वोटरों से सीधा संपर्क करने में जुटे हैं, वहीं भगवंत मान की वोटरों के नाम चिट्ठी भी लोगों तक पहुंच रही है। वोटरों को भगवंत मान का पांच वर्ष का रिपोर्ट कार्ड भी सौंपा जा रहा है। चिट्ठी के माध्यम से जहां भगवंत मान लोगों को पार्टी की नीतियों, अकाली-भाजपा व कांग्रेस की नाकामी, अपने द्वारा शराब पीने की छोड़ी आदत संबंधी जानकारी दे रहे हैं, वहीं अपने रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से लोगों को अपने फंड में से करवाए गए कार्य की पारदर्शी तरीके से जानकारी भी दे रहे हैं।