Firozpur Ground Report: वर्चस्व की लड़ाई में फिरोजपुर को चुकानी पड़ी कीमत
अकाली दल से सांसद चुने गए शेर सिंह घुबाया और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल में लगातार खींचतान चलती रही। अंजाम यह हुआ कि पहले घुबाया के बेटे और फिर खुद घुबाया कांग्रेस में शामिल हो गए।
फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। फिरोजपुर हलका शहीदों की धरती के नाम से जाना जाता है। हुसैनीवाला बॉर्डर पर अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की समाधि स्थित है। यहीं पर जीरो लाइन के पास रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत-पाक सीमा पर बसा होने के कारण यह दोनों देशों के बीच हुई लड़ाइयों का भी गवाह बना, लेकिन बीते पांच साल में फिरोजपुर संसदीय हलके को दो नेताओं के बीच चली वर्चस्व की लड़ाई की कीमत चुकानी पड़ी है।
शिरोमणि अकाली दल से सांसद चुने गए शेर सिंह घुबाया और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल में लगातार खींचतान चलती रही। इसका अंजाम यह हुआ कि पहले घुबाया के बेटे और फिर खुद घुबाया कांग्रेस में शामिल हो गए। इस लड़ाई में फिरोजपुर विकास के मामले में पिछड़ गया। इस सीट की पहचान पूर्व लोकसभा अध्यक्ष स्व. बलराम जाखड़ से भी रही है। वे 1980 में यहां से जीते।
उनके बेटे सुनील जाखड़ को यहां से दो बार हार मिली। इस समय वे गुरदासपुर सीट से सांसद हैं। 1985 से इस सीट पर शिअद का कब्जा है। इस क्षेत्र के लोग मुख्य तौर पर कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं। माना जाता है कि यहां के मतदाता दमदार राजनेता के साथ चलते हैं। शिअद का गढ़ बन चुकी फिरोजपुर संसदीय सीट से लगातार दूसरी बार चुने गए सांसद शेर सिंह घुबाया बेटे का राजनीतिक करियर संवारने की चाहत में कांग्रेस में चले गए। इस कारण न तो उनकी सुनवाई राज्य सरकार में हुई और न ही केंद्र सरकार में। पार्टी में रहकर भी उन्होंने पार्टी के विरोध का झंडा बुलंद रखा।
फिरोजपुर लोकसभा हलके का अधिकांश हिस्सा भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगता है। सरहदी लोकसभा सीट होने के कारण पंजाब के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां पर अब भी कई समस्याएं हैं। लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी होना बाकी हैं, जिसमें लोगों को शुद्ध पेयजल, सेहत सुविधा व आवागमन के साधन न होना प्रमुख है। हालांकि, लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए घुबाया ने अपनी सांसद निधि का अधिकांश हिस्सा खर्च किया है। फिर भी लोगों की शुद्ध पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
अपनी ही सरकार में बगावत का झंडा बुलंद रखने के कारण यह क्षेत्र उपेक्षित रहा। इस कारण घुबाया न तो प्रदेश सरकार से और न ही केंद्र सरकार से फिरोजपुर के लिए कोई बड़ा प्रोजेक्ट ला पाए। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में शिअद ने घुबाया को मार्च के पहले हफ्ते में निलंबित कर दिया था। हालांकि, घुबाया लंबे समय से ही कांग्रेस में जाने के संकेत दे रहे थे। बेटे और पत्नी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद घुबाया भी खुलकर कुछ नहीं बोले, लेकिन लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही जब शिअद ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया, तो घुबाया पांच मार्च को कांग्रेस में शामिल हो गए।
सियासी समीकरण: शिअद का तिलिस्म तोड़ना बड़ी चुनौती
पिछले पांच लोकसभा चुनाव से फिरोजपुर सीट पर शिअद का कब्जा है। सांसद घुबाया भी इसी पार्टी से 2009 व 2014 में लोकसभा में पहुंचे हैं। हालांकि अब उन्होंने कांग्रेस से अपनी मूल पार्टी के विरुद्ध लड़ने की तैयारी की है। ऐसे में केवल जातिगत समीकरण के सहारे शिअद के गढ़ को तोड़कर कांग्रेस के लिए सीट निकाल पाना घुबाया के लिए आसान काम नहीं होगा। वह भी तब जब शिअद से प्रत्याशी के रूप में बादल परिवार से चेहरा दिए जाने की बात की जा रही है।
उपलब्धि
शुद्ध पेयजल देने के लिए सांसद निधि का पचास फीसद हिस्सा आरओ प्लांट व टैंकरों पर खर्च किया। फिरोजपुर में पासपोर्ट दफ्तर खुलवाया। मतदाताओं की पहुंच में रहे।
नाकामी
फिरोजपुर-फाजिल्का के बीच चलने वाली डीएमयू ट्रेन ट्रेन में कोचों की संख्या नहीं बढ़ा पाए। फाजिल्का या फिरोजपुर से हरिद्वार के लिए ट्रेन की मांग पूरी नहीं। बड़ा प्रोजेक्ट लाने में नाकाम।
शेर सिंह घुबाया ने सदन में उठाए मुद्दे
रेलवे, ग्रामीण विकास, खेतीबाड़ी व किसानों से हितों से जुड़े, शुद्ध पेयजल, सड़क परिवहन व हाईवे, केमिकल व फर्टिलाइजर, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, सोशल जस्टिस एंड वेलफेयर आदि प्रमुख रूप है।
मैंने समस्याओं के निराकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी
शेर सिंह घुबाया का कहना है, मैंने लोगों व अपने क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी। जनता मेरे कार्यो से खुश है। यहां बड़ी समस्या शुद्ध पेयजल की है। मैंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ बॉर्डर एरिया में काम किया। मुद्दा संसद में उठाया। सांसद निधि का पचास फीसद आरओ प्लांट व पेयजल टैंकरों पर खर्च किया। फिरोजपुर में पासपोर्ट दफ्तर खुलवाया।
समस्या दूर करने का प्रयास
कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है कि सरकार ने फिरोजपुर संसदीय हलके में विकास लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। आने वाले समय में इसके परिणाम जमीन पर दिखने लगेंगे। शुद्ध पेयजल वहां की बड़ी समस्या है। इसे दूर करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों की मूलभूत सुविधाओं पर भी प्रदेश सरकार ध्यान दे रही है।
मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक से दूरी, पहले नजरअंदाज
पिछले साढ़े तीन साल से फिरोजपुर में जिला विकास तालमेल व मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक ही नहीं हुई। इसके पहले जो बैठकें हुई उसमें भी घुबाया को नजरंदाज किया गया। उस कारण सांसद होने के नाते भी घुबाया किसी भी बैठक में भाग लेकर विकास के बारे में नहीं जान पाए।
अपनों से बाहर नहीं निकल पाए
शेर सिंह घुबाया राय-सिख बिरादरी से आते है, उनकी जमीनी स्तर पर पकड़ भी इसी बिरादरी में है। विधानसभा चुनाव से लेकर दो बार लोकसभा सदस्य रहने तक घुबाया अपनी जाति के लोगों से बाहर नहीं निकल पाए। उन पर उनके विरोधियों ने कई बार आरोप भी लगाए जाते रहे हैं कि घुबाया उन्हीं लोगों के लिए ही काम करता है, जिस जाति से आता है, जबकि दूसरी जातियों के लिए वह अपेक्षाकृत कम सक्रिय रहते हैं।