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चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस व आप नेता, SIT से कुंवर विजय को हटाने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील

आप व कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) के सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह को बदले जाने संबंधी फैसले पर पुनर्विचार की अपील की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 09:06 PM (IST)
चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस व आप नेता, SIT से कुंवर विजय को हटाने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील
चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस व आप नेता, SIT से कुंवर विजय को हटाने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील

जेएनएन, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं का एक शिष्टमंडल मंगलवार को दिल्ली में चुनाव आयोग से मिला। शिष्टमंडल में शामिल नेताओं ने चुनाव आयोग से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) के सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह को बदले जाने संबंधी फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।

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बता दें, अकाली दल की शिकायत पर चुनाव आयोग ने एसआइटी से कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटा दिया था। मामले में आज कांग्रेस व आप नेता संयुक्त रूप से चुनाव आयोग से मिले। शिष्टमंडल में कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़, कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, आप विधायक एचएस फूलका, विधायक नाजर सिंह मानशाहिया आदि शामिल थे।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कुंवर विजय प्रताप सिंह को एसआइटी से हटाने के आदेश पर पुनर्विचार के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिख चुके हैं। सीएम ने कहा कि एसआइटी निष्पक्ष व पारदर्शी जांच के साथ जिम्मेदारी निभा रही थी। कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर के तहत कानूनी प्रक्रिया चल रही थी। यह आदर्श चुनाव आचार संहिता को प्रभावित नहीं कर रही थी।

कैप्टन ने कहा कि आयोग का आदेश जांच में दखलंदाजी है और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ है। सीएम ने कहा कि सीबीआइ जैसी प्रमुख जांच एजेंसी अपने प्रवक्ता नियुक्त करती है और समय-समय पर प्रेस रिलीज करती है। आइजी ने ऐसा करके चुनाव आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं किया। जिस इंटरव्यू पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसे सही संदर्भ में देखने की जरूरत है। यही राजनीति से प्रेरित नहीं है।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से यह मुद्दा हाशिए पर चला गया था। बरगाड़ी में छह महीने तक लगातार धरना देने के इस मुद्दे को सियासी पार्टियों ने सुर्खियों में रखा, लेकिन जैसे-जैसे यह धरना लंबा होता चला गया, प्रदेश में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार भी सकते में आ गई। उनके अपने ही मंत्रियों व विधायकों ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई का दबाव भी बनाया। दूसरी ओर सिख संगठन धरने को खत्म न किए जाने पर आमादा हो गए। दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में खत्म किए गए धरने के बाद से यह मुद्दा धीरे-धीरे कमजोर हो रहा था, जिसका राजनीतिक रूप से शिरोमणि अकाली दल को लाभ होना भी शुरू हो गया। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने जिस विधानसभा हलके में रैली की, वहां उन्हें अच्छा खासा रिस्पांस मिला।

हालांकि, इसी बीच एसआइटी की पूछताछ के दौरान भी इसे हवा मिलती रही। एसआइटी ने इस मामले में मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, पूर्व डीजीपी सुमेध सैणी व अक्षय कुमार से भी पूछताछ की। इसी को आगे बढ़ाते हुए टीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह से मिलने भी गई, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। एसआइटी डेरा मुखी को पूछताछ में शामिल करना चाहती है।

एसआइटी के मेंबर कुंवर विजय प्रताप सिंह के एक इंटरव्यू को आधार बनाकर शिरोमणि अकाली दल ने चुनाव आयोग से शिकायत कर दी। आयोग ने उन्हें एसआइटी से हटा दिया। इससे यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव आयोग को अपने फैसले पर रिव्यू करने के लिए कहा है वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी यही मांग रखते हुए मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की। छह महीने तक इस मामले को लेकर धरने पर बैठे सिख संगठनों ने भी धमकी दी है कि यदि कुंवर विजय प्रताप को फिर से बहाल न किया गया तो वह अगले हफ्ते से संघर्ष शुरू कर देंगे।

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