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Loksabha Election: साइकिलों के सरकारी टेंडर पर आचार संहिता का ग्रहण, उद्याेग को झटका

Loksabha Election के लिए आचार संहिता लागू होने से पंजाब के साइकिल उद्योग को जोर का झटका लगा है। साइकिलों के सरकारी टेंडर पर रोक से उद्यमी बेहाल हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 09:51 AM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 09:10 AM (IST)
Loksabha Election: साइकिलों के सरकारी टेंडर पर आचार संहिता का ग्रहण, उद्याेग को झटका
Loksabha Election: साइकिलों के सरकारी टेंडर पर आचार संहिता का ग्रहण, उद्याेग को झटका

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। Loksabha Election 2019 के कारण लगी आदर्श आचार संहिता ने पंजाब के साइकिल उद्योग के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। सरकारी स्कूलों की छात्राओं को मुफ्त में साइकिल बांटने के लिए हर साल देश के कई राज्य लाखों साइकिल्स का ऑर्डर उद्योग को देते हैं। चुनाव आचार संहिता के चलते अब राज्य साइिकलों का वितरण नहीं कर सकते। ऐसे में राज्यों ने माल की डिलीवरी लेने पर फिलहाल ब्रेक लगा दी है।

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साइकिल उद्योग के कुल उत्पादन में करीब 32 फीसद हिस्सा सरकारी टेंडर का

आचार संहिता के कारण उद्योग के पास करीब 8.45 लाख साइकिलों की सप्लाई रुक गई है। नतीजतन उद्यमियों का माल फैक्टरी में या फिर राज्यों के जिला मुख्यालयों में डंप हो रहा है। आचार संहिता के चक्कर में उद्योग में करीब 32 फीसद उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

उद्यमियों का कहना है कि अब 23 मई को मतगणना के साथ चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पुराने टेंडरों की सप्लाई बहाल हो सकेगी। इसके बाद अगले वित्त वर्ष के लिए नए टेंडरों की प्रक्रिया शुरू होगी, साथ ही सरकारी साइिकलों का पहिया फिर से घूमेगा।

उल्लेखनीय है कि केंद्र के सर्वशिक्षा अभियान स्कीम के तहत सरकारी स्कूलों में नौवीं एवं दसवीं की शिक्षा हासिल कर रही एससी, बीसी एवं ओबीसी छात्राओं को मुफ्त में साइकिल दी जाती है। इसमें सत्तर फीसद योगदान केंद्र सरकार एवं तीस फीसद हिस्सा राज्य सरकार डालती है। साइकिलों के टेंडर सूबे का श्रम विभाग जारी करता है।

मसलन इस बार उत्तराखंड का टेंडर राज्य सरकार की स्कीम के तहत श्रम विभाग ने जारी किया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न राज्यों ने 51.24 लाख साइकिलों के टेंडर जारी किए हैं। इस बार आंध्र प्रदेश का टेंडर पहली बार आया है।

दो माह का वक्त लगता है

उद्यमियों का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण होने में करीब दो माह का वक्त लगता है। टेंडर मिलने के नब्बे दिन में माल की आपूर्ति की जाती है। उद्यमी की जिम्मेदारी साइकिल बना कर संबंधित राज्य के तमाम जिला मुख्यालयों तक भेजना और स्कूलों में पहुंचा कर साइकिल फिट करवाने के बाद बंटवाने तक की होती है।  

70 फीसद तक सप्लाई अटकी
इंडियन बाईसाइकिल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के चेयरमैन एवं नीलम साइकिल्स के एमडी केके सेठ ने कहा कि छत्तीसगढ़ के टेंडर ऑर्डर का करीब 70 फीसद, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल का करीब 50-50 फीसद आर्डर की सप्लाई आचार संहिता के कारण फैक्ट्रियों में या राज्यों के जिला मुख्यालयों में अटक गई है।

उन्‍होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में करीब 54 हजार, आंध्र प्रदेश में करीब 1.90 लाख, उत्तराखंड में बीस हजार, पंजाब में करीब अस्सी हजार, पश्चिम बंगाल में करीब पांच लाख साइकिल बच्चों को बांटी नहीं जा सकी है। उनका कहना है कि साइकिल उद्योग के कुल उत्पादन में करीब 32 फीसद योगदान सरकारी टेंडरों का है। आचार संहिता के चलते अब उत्पादन भी स्लोडाउन हो गया है।  

उद्योग को मिले टेंडर
चालू वित्त वर्ष के दौरान साइकिल उद्योग को निम्नलिखित राज्य सरकारों से टेंडर मिले हैैं--

राज्य सरकार- साइकिलों की संख्या
राजस्थान--3,50,000
गुजरात--2,60,000
छत्तीसगढ़--1,82,476
आंध्र प्रदेश--3,81,142
पश्चिम बंगाल--10,00,000
तामिलनाडु--11,55,890
उत्तराखंड--40,000
कर्नाटक--5,04,525
मध्य प्रदेश--5,78,307
पंजाब--1,60,000
महाराष्ट्र--3,50,000
हिमाचल प्रदेश--10,000
हरियाणा--22,000
झारखंड--1,30,000

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