चुनाव प्रचार में भगवंत मान के निराले अंदाज; मॉडल दिल्ली का, अंदाज देहाती और निशाने पर मोदी
चुनाव प्रचार में संगरूर से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भगवंत मान के अंदाज निराले हैं। वह गंभीर मुद्दों के साथ-साथ चुटीली बातें भी कर रहे हैं।
संगरूर [नितिन उपमन्यु]। रात के 11.30 बज चुके हैं। भगवंत मान करीब दस गांवों का दौरा करने के बाद संगरूर स्थित किराये की कोठी में अपनी प्रचार टीम के साथ बैठकर अगले दिन की रणनीति बना रहे हैं। उनके सुरक्षाकर्मी भी साथ ही बैठे हैं। सुबह किन-किन गांवों का दौरा करना है, इसकी लिस्ट बन चुकी है। लिस्ट में दस गांवों के नाम हैं। सोशल मीडिया पर इसे शेयर भी कर दिया गया है। चाय और चुटकुले साथ-साथ चल रहे हैं। टीम के ज्यादातर सदस्य बुरी तरह थके हुए हैं। वे थकान उतारने के लिए अपने-अपने कमरों की ओर जा रहे हैं, लेकिन भगवंत मान अभी कुछ देर सोशल मीडिया पर विरोधियों को जवाब देंगे।
दिल्ली से टीम बीजेपी ने ट्वीट किया है- 'आप ने कांग्रेस को मनाने के लिए बहुत हाथ-पांव जोड़े, लेकिन बात नहीं बनी। दिल्ली का और कितना नुकसान करोगे।' अब मान कहां चुप रहने वाले हैं। उन्होंने भी कुछ पुराने वीडियो निकालकर करारा जवाब दिया है। मान कहते हैं, 'मुझे नहीं मालूम रात को कब नींद आ जाती है, लेकिन जब तक जाग रहा हूं, इनकी नींद हराम करके रखूंगा।'
अगले दिन प्रचार की तैयारी सुबह 4.30 बजे शुरू हो जाती है। मान सबसे पहले उठते हैं और जोरदार आवाज से दूसरों को भी उठाते हैं। 6.30 बजे तक मान नहाकर तैयार हो रहे हैं। पीली पगड़ी, खाकी कुर्ता और सफेद पायजामा पहन कर मान हॉल में आ गए हैं और फिर से सोशल मीडिया पर नजर दौड़ा कर अपडेट हो रहे हैं। प्रचार के लिए निकलने का समय 9.30 बजे तय है, लेकिन समर्थकों का जमावड़ा सुबह से ही घर के बाहर लग गया है। मान उनकी समस्याएं सुनने में लगे हैं। सुरक्षाकर्मी अंदर से ब्रेकफास्ट के लिए चिल्ला रहे हैं- 'मान साब छेती करो, अज्ज गड्डी लेट ऐ।' निकलते-निकलते करीब 10.30 बज गए।
काफिले में कुल चार गाड़ियां। कोई बड़ा लाव-लश्कर नहीं। इसमें एक गाड़ी सुरक्षाकर्मियों व एक साउंड सिस्टम की है। सुनाम से आप विधायक अमन अरोड़ा भी मान के साथ हैं। मान यहां भी सोशल मीडिया पर व्यस्त हैं। काफिला कोठी से करीब 12-13 किलोमीटर दूर उपली गांव पहुंचा। यहां करीब 300 लोग एक नुक्कड़ पर मान का इंतजार कर रहे हैं। भगवंत मान बिना वक्त गंवाए एक चबूतरे से माइक पकड़ कर बोलना शुरू करते हैं और पब्लिक को बांध लेते हैं।
चुनावी सभाओं में वे हंसी-मजाक के साथ गंभीर मुद्दों पर बात कर रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं। भाजपा की ओर से प्रचार में सेना के इस्तेमाल पर मान कहते हैं- 'मोदी ते शाह नूं हुण वर्दियां पाणा बाकी रेह गइयां। होर ते कोई कसर नईं छड्डी।' वे 15 लाख के वादे पर मोदी को घेरते हैं, तो बेअदबी पर अकालियों को। गुटका साहिब की कसम खाने के मुद्दे पर कैप्टन को भी आड़े हाथ लेते हैं।
दिल्ली मॉडल को पंजाब में लागू करने का वादा करने के साथ-साथ बिजली और रोजगार का मुद्दा उठा रहे हैं। गांवों में मान मजबूत हैं, इसलिए उनका प्रचार का फोकस भी गांवों पर ही है। मान कहते हैं- 'मैं इक दिन च कड्ड दूं पच्ची पिंड। मेरा मुकाबला करणा कांग्रेसियां ते अकालियां दे बस दा नईं। भट्ठल तां इक दिन बेहोश हो गई। मैं पुच्छेया- बीबी नरमा चुग्गण गई सी?' मान प्रचार में वीआइपी बनाम आम आदमी को भी मुद्दा बना रहे हैं।
मुद्दे, मसखरापन और मिमिक्री
मान के भाषण जहां मुद्दे हैं, वहीं मसखरापन, शायरी और चुटकुलों की भी भरमार है। बीच-बीच में वे अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों की मिमिक्री करके लोगों को गुदगुदाने का मौका नहीं छोड़ते। गांव उपली में भगवंत मान ने कैंसर से लोगों की मौत, मनरेगा की दिहाड़ी के भुगतान में देरी, विदेश जाने के नाम पर ठगी जैसे मुद्दे उठाए। फिर फिल्मी डायलॉग बोलना भी नहीं भूले- 'मजदूर की मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले मिल जानी चाहिए।' कांग्रेस नेत्री राजिंदर कौर भट्ठल की ओर से युवक को थप्पड़ मारे जाने के मुद्दे को भी मान खूब भुना रहे हैं। मान भाषणों में कहते हैं- 'पहिलां तां वोटां बाद कुट्टदे सी, हुण वोटां तो पहले ही कुट्टण लग्ग पे।'
काजू-बदाम कित्थे ने?
मान के भाषणों में बादल परिवार व कैप्टन दोनों उनके निशाने पर रहते हैं। वे बार-बार कहते हैं कि वह कांग्रेस व शिअद की तरह वीआइपी कैंडीडेट नहीं हैं। आम लोगों के जैसे हैं। मान अपने व्यवहार से ऐसा दिखाते भी हैं। बिना कुर्सी कहीं भी बैठ जाते हैं। सुरक्षाकर्मियों को दूर ही रखते हैं। भीड़ में कहीं भी लोगों के बीच घुस जाते हैं। लोगों से अकसर पूछ लेते हैं- 'तुहाडे इलाके विच्च एमपी ते एमएलए आए ने, काजू-बदाम कित्थे ने।' लोग भी ठहाका लगा देते हैं।
साढ़े 23 किलो सोना
मान महिलाओं के साथ उनके चूल्हे-चौके की बात करते हैं। अपने चुनाव निशान झाड़ू का जिक्र छेड़कर मजाकिया अंदाज में कहते हैं-'सवेरे उट्ठ के जिद्दां घर दी सफाई करदे हो, उद्दां अकालियां ते कांग्रेसियां दी सफाई करनी ऐ। फेर संझ वेले झाड़ू पुट्ठे पासे तों फड़ के घरवाले दी भी सफाई कर सकदे ओ।' इस पर महिलाएं भी अपनी हंसी नहीं रोक पाती। महिलाओं को बताते हैं कि हरसिमरत ने अपनी प्रॉपर्टी में साढ़े 23 किलो सोना दिखाया है। इतने तो आपके घरों में दाने भी नहीं होंगे। मेरी कमाई जीतकर भी घट गई और ढिल्लों की हार कर भी बढ़ गई।
बिजली पर दिल्ली जैसी राजनीति
मान का काफिला करीब 12 बजे गांव भम्मावद्दी पहुंचा। यहां लोगों ने उन्हें केलों के साथ तोलने की तैयारी की है। यहां मान ने बेरोजगारी और बिजली के बिलों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा सरकार नौकरी मांगने वालों की पगडिय़ां और चुन्नियां उतार रही है। घर के मुखिया ने बताया कि 156 यूनिट का बिल 3540 रुपये आया है। मान ने बिल लेकर अमन अरोड़ा को पकड़ा दिया। कुर्सी पर चढ़कर बोलना शुरू कर दिया- दिल्ली में हमने बिल आधे कर दिए। केजरीवाल ने अपने हाथ में प्लास लेकर खुद बिजली कनेक्शन जोड़े। पंजाब में भी हम ऐसा ही करेंगे। गेहूं के एमएसपी पर भी उन्होंने दिल्ली के देहाती इलाकों का मॉडल अपनाने का वादा किया।
नुक्कड़ सभा में संसद के भाषण
मान के काफिले का अगला पड़ाव था गांव लिद्दड़ां। मान के प्रचार में सोशल मीडिया अहम हिस्सा है। नुक्कड़ सभाओं में वे इसका जमकर इस्तेमाल करते हैं। उपली गांव की तरह उन्होंने यहां भी यू-ट्यूब का एक वीडियो चलाकर लोगों को सुनाया, जिसमें मान छोटे साहिबजादों को श्रद्धांजलि देने की मांग पर संसद में जोरदार तकरीर कर रहे हैं। मान कहा कि आज उनकी बदौलत ही छोटे साहिबजादों को संसद में श्रद्धांजलि देने की परंपरा शुरू हुई है। वे कैप्टन, हरसिमरत व मोदी के भी कुछ वीडियो माइक पर सुनाकर कहते हैं- 'तुहानूं इस गल्ल दी तां तसल्ली होऊ कि तुहाडे आले ने पार्लियामेंट विच मोदी नूं पेचा पाया होया ऐ।'
खांटी अंदाज और चिब्बड़ की चटनी
अपने प्रचार में खांटी अंदाज नहीं छोड़ते। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उनका प्रभाव ज्यादा दिखता है। भम्मावद्दी से लिद्दड़ा के लिए रवाना होते हुए मान ने एक मोटर के सामने गाड़ी रोक दी। अमन अरोड़ा के साथ एक पेड़ के नीचे टिफिन खुला। चिब्बड़ की चटनी और भिंडी की सब्जी के साथ मान और अमन अरोड़ा ने यहीं लंच किया। कुछ हंसी-मजाक के साथ काफिल अगले गांव के लिए बढ़ गया। गांव दर गांव उनका प्रचार इसी तरह रात तक चलता है, जिस्म व दिमाग की थकान चेहरे पर नहीं झलकती।
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