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जानें, कौन हैं गणपत राव देशमुख जो 59 वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति में दे रहे अहम योगदान

गणपत राव देशमुख जो महाराष्ट्र की सोलहापुर सीट से 11 बार विधायक चुने गए थे। हालांकि राज्य में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में वह हिस्सा नहीं लेंगे।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 09:57 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 09:57 AM (IST)
जानें, कौन हैं गणपत राव देशमुख जो 59 वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति में दे रहे अहम योगदान
जानें, कौन हैं गणपत राव देशमुख जो 59 वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति में दे रहे अहम योगदान

सोलापुर (महाराष्ट्र) आइएएनएस। महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे लंबी पारी खेलने वाले जाने माने 93 वर्षीय विधायक गणपतराव देशमुख ने आखिरकार चुनावी राजनीति से विदा ले लिया। देशमुख ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले  राज्य विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। देशमुख पिछले 59 सालों सो सोलापुर जिले से 11 बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे हैं। हालांकि इस निर्वाचन क्षेत्र से उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को नामित कर दिया हैं।

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किसान और वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के सदस्य देशमुख ने स्वास्थ्य कारणों और कमजोर नजरों  का हवाला देते हुए ये निर्णय लिया। देशमुख ने  पार्टी की एक बैठक के दौरान कहा कि भाऊसाहेब रूपनार सांगोल से आगामी चुनाव लड़ेंगे। इस सीट का देशमुख ने छह दशकों तक प्रतिनिधित्व किया। पीडब्लूपी के महासचिव जयंत पाटिल ने कहा कि मैंने अबा (गणपतराव देशमुख) को चुनाव लड़ने के लिए जोर दिया, लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग है।

कौन हैं भाऊसाहेब रूपनार

भाऊसाहेब रूपनार सोलापुर जिले में एक सफल व्यवसायी के रूप में जाना जाता है। रूपन एक इंजीनियरिंग फर्म फैबटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।

गणपतराव देशमुख ने कहा कि मैं छह दशकों से संगोले का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। उन्होंने आगे कहा कि आज भी अगर मैं चुनाव लड़ता हूं तो हो सकता हैं कि मैं जीत जाऊं। हालांकि, अब मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि मैं दूसरों को पार्टी के संदेश और विचारधारा को जमीनी स्तर पर ले जाने की अनुमति दूं। दूसरी तरफ देशमुख ने कहा कि भले ही वह 93 वर्ष के हैं, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र में रूपनार की जीत सुनिश्चित करने के लिए वह कड़ी मेहनत करेंगे।

अपने 59 वर्षों की चुनावी राजनीति में देशमुख ने 13 चुनाव लड़े लेकिन केवल दो बार  1995 और 1972 में हार गए। 1995 में वे 192 मतों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए थे। 


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