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Maharashtra Election : पंकजा मुंडे की करारी हार से खतरे में गोपीनाथ मुंडे की विरासत, जानिए उनका सियासी सफर

Maharashtra Election पंकजा के पिता गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता थे। वे महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

By Rajat SinghEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 04:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 04:29 PM (IST)
Maharashtra Election : पंकजा मुंडे की करारी हार से खतरे में गोपीनाथ मुंडे की विरासत, जानिए उनका सियासी सफर
Maharashtra Election : पंकजा मुंडे की करारी हार से खतरे में गोपीनाथ मुंडे की विरासत, जानिए उनका सियासी सफर

नई दिल्ली, जेएनएन।Maharashtra Election: भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में भी बड़ा झटका लगा है। परली विधानसभा चुनाव क्षेत्र से पंकजा मुंडे चुनाव हार गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वे अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे से करीब 30 हजार वोट से हार गई हैं। देवेंद्र फड़नवीस की सरकार में मंत्री पंकजा अपने पिता की विरासत को संभाल रही हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है, गोपीनाथ मुंडे के गढ़ को बचाए रखने की। भारतीय जनता युवा मोर्चा से अपनी राजनीति शुरू करने वाली पंकजा ने मंत्री बनने का सफ़र तय किया है। आइए जानते हैं उनके राजनीतिक और निजी जीवन का सफर-

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पिता से विरासत में मिली राजनीति

पंकजा को राजनीति अपनी पिता से विरासत में मिली है। पंकजा के पिता गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता थे। वे महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पंकजा अपना पहला चुनाव साल 2009 में परली विधानसभा से लड़ा था। इसके बाद साल 2014 में अपने पिता की पुनः संघर्ष यात्रा में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2014 में उन्‍हें कैबिनेट मंत्री तक का पद मिला। पंकजा की बहन प्रीतम मुंडे सांसद हैं।

युवाओं की राजनीति करने वाले पंकजा के पास है एमबीए की डिग्री

पंकजा मुंडे ने भाजपा युवा मोर्चा की पॉलिटिक्स की है। बतौर कार्यकर्ता काम शुरू करने के बाद साल 2012 में वह भाजयुमो की स्टेट प्रेसिंडेंट भी बनी। उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद एमबीए किया है। पंकजा ने अमित पलवे से शादी की और इसके अलावा वे अपनी पिता के ऊपर एक फोटो बुक भी लिख चुकी हैं।

विपक्ष लगा चुका है भ्रष्टाचार का आरोप

पंकजा के ऊपर चिक्की के टेंडर को लेकर विपक्ष कथित रुप से भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुका है। हालांकि, इस मामले में उनको भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का समर्थन मिल चुका है। हालांकि, इस विधानसभा में मिली हार उनके लिए काफी बड़ा झटका होगा। उनके सामने अब अपने गढ़ में वापसी की चुनौती होगी।


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