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Eknath Shinde: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे बने शिवसेना विधायक दल के नेता

Eknath Shinde. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल का नेता चुना गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 06:44 PM (IST)
Eknath Shinde: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे बने शिवसेना विधायक दल के नेता
Eknath Shinde: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे बने शिवसेना विधायक दल के नेता

राज्य ब्यूरो, मुंबई। शिवसेना ने गुरुवार को चौथी बार विधानसभा सदस्य बने एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुन लिया। नेता चुनने के लिए दादर स्थित शिवसेना भवन में बुलाई गई नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में उद्धव ठाकरे ने दो दिन पहले आए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के बयान पर नाराजगी तो जताई, लेकिन यह भी कहा कि हम मित्रपक्ष को मित्रपक्ष मानते हैं, शत्रुपक्ष नहीं। हमें स्थिर सरकार देने का प्रयास करना चाहिए।

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शिवसेना विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुरुवार दोपहर उसके नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें शिवसेना विधायकों के अलावा उसे समर्थन की घोषणा कर चुके निर्दलीय विधायकों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में ठाणे की पांचपाखड़ी सीट से चौथी बार विधायक चुने गए एवं पिछली सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुनने का प्रस्ताव पहली बार चुनकर विधानसभा में पहुंचे आदित्य ठाकरे ने किया। आदित्य शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र हैं एवं चुनाव जीतकर किसी सदन में पहुंचने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं। उनके द्वारा रखे गए प्रस्ताव का समर्थन पांच अन्य विधायकों ने किया और शिंदे विधायक दल के नेता चुन लिए गए। बैठक में दूसरी बार विधायक बने सुनील प्रभु को विधानसभा में शिवसेना का चीफ व्हिप भी चुना गया।

इसी बैठक को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने दो दिन पहले आए देवेंद्र फड़नवीस के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें पत्रकारों को दिए गए दीवाली भोज के दौरान यह बात नहीं कहनी चाहिए थी। उद्धव का आशय फड़नवीस के उस बयान से था जिसमें उन्होंने शिवसेना को ढाई साल के मुख्यमंत्री के लिए कोई वायदा न करने की बात कही थी। उद्धव ने कहा कि किसी को यह नहीं समझना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री पद का अमरत्व प्राप्त करके आया है। लेकिन इस बयान के तुरंत बात उद्धव ने नरम रुख अख्तियार करते हुए यह भी कहा कि वह मित्रपक्ष को मित्रपक्ष ही समझते हैं, शत्रुपक्ष नहीं। हमें मिलकर स्थिर सरकार देने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी ओर भाजपा के प्रति सदैव कड़ा रुख रखनेवाले शिवसेना सांसद एवं पार्टी मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राऊत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि शिवसेना ढाई साल के मुख्यमंत्री पद एवं 50-50 फार्मूले की मांग से पीछे नहीं हटी है।

एक और राजनीतिक घटनाक्रम के तहत आज कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने एक बार फिर शिवसेना को उकसाते हुए कहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। इसके बावजूद यदि वह सरकार बनाने में अक्षम रहती है, तो दूसरे बड़े दल के रूप में शिवसेना को मौका मिलना चाहिए। ऐसी स्थिति में यदि शिवसेना सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से समर्थन मांगती है, तो हम कांग्रेस आलाकमान से इस पर विचार करने को कहेंगे। पृथ्वीराज चह्वाण चुनाव परिणाम आने के दिन भी कह चुके हैं कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की संयुक्त सरकार बन सकती है। जबकि राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल एक दिन पहले ही कह चुके हैं कि सरकार बनाने का जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मिला है।

यदि उनमें कोई मतभेद है, तो उन्हें आपस में सुलझाकर राज्य को स्थिर सरकार देने का प्रयत्न करना चाहिए। पटेल ने साफ कहा है कि राकांपा किसी को समर्थन देने के बजाय विपक्ष में बैठेगी। बता दें कि 2014 के चुनाव के बाद जब 122 विधायकों वाली फड़नवीस की अल्पमत सरकार ने शपथ ली थी, तो राकांपा ने उसे बाहर से समर्थन दिया था।

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