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ऐसे चमका एकनाथ शिंदे का सितारा, भाजपा-शिवसेना सरकार में बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री

Eknath Shinde. 2014 के चुनाव के बाद जब तक शिवसेना सत्ता में शामिल नहीं हुई थी तब तक एकनाथ शिंदे को ही शिवसेना विधायक दल का नेता बनने का मौका मिला था।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 02:50 PM (IST)
ऐसे चमका एकनाथ शिंदे का सितारा, भाजपा-शिवसेना सरकार में बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री
ऐसे चमका एकनाथ शिंदे का सितारा, भाजपा-शिवसेना सरकार में बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। शिवसेना विधायक दल का नेता चुने जाने के साथ ही एकनाथ शिंदे का सितारा चमक उठा है। जैसी की की संभावनाएं है, यदि भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी तो शिंदे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री भी बन सकते हैं।

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चुनाव परिणाम आने के बाद से ही लोगों की निगाह शिवसेना के विधायक दल नेता के चुनाव पर लगी थी। माना जा रहा था कि पहली बार चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे ठाकरे परिवार के पहले सदस्य आदित्य ठाकरे को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। चुनाव परिणाम आने के अगले दिन ही ठाकरे निवास मातोश्री पर हुई नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में कई विधायकों ने खुलकर आदित्य को मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी उठाई।

आदित्य के चुनाव क्षेत्र वरली एवं उनके निवास मातोश्री के बाहर बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर भी उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश हुई। क्योंकि शिवसेना अभी भी ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़ी हुई है। लेकिन राजनीतिक हलकों में एक विचार यह भी शुरू से चल रहा था कि उद्धव ठाकरे अपने पुत्र आदित्य पर अभी यह बड़ी जिम्मेदारी नहीं डालेंगे। वह उन्हें कुछ समय सदन की रीति-नीति समझने का मौका देकर ही बड़ी जिम्मेदारी देंगे।

आदित्य के बाद अन्य वैकल्पिक नामों में ठाकरे परिवार के सबसे भरोसेमंद सुभाष देसाई एवं ठाणे से चौथी बार चुनकर विधानसभा में पहुंचे एकनाथ शिंदे के नाम शीर्ष पर थे। चूंकि शिवसेना इस बार मुख्यमंत्री पद पर अड़ी है। यदि वह न मिले तो उपमुख्यमंत्री पद मिलना तो तय माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में सुभाष देसाई का नाम दौड़ में आगे लग रहा था। लेकिन शिंदे ठाणे जनपद के जमीनी नेता हैं।

2014 के चुनाव के बाद जब तक शिवसेना सत्ता में शामिल नहीं हुई थी, तब तक एकनाथ शिंदे को ही शिवसेना विधायक दल का नेता बनने के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष भी बनने का मौका मिला था। सरकार में शामिल होने के बाद उन्हें पीडब्ल्यूडी जैसा मंत्रालय भी दिया गया। वह जनाधार वाले नेता भी हैं। माना जाता है कि यदि उन्हें नजरंदाज करके उद्धव कोई कदम उठाते तो वह भविष्य के नारायण राणे साबित हो सकते थे। 

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