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विधानसभा चुनाव में युवाओं की सिर्फ बात, टिकट नहीं

युवाओं को कमान सौंपने के मामले में दोनों ही प्रमुख दल बचते नजर आते हैं।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 01:12 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 01:12 PM (IST)
विधानसभा चुनाव में युवाओं की सिर्फ बात, टिकट नहीं
विधानसभा चुनाव में युवाओं की सिर्फ बात, टिकट नहीं

विवेक पाराशर, बड़वानी। राजनीति में उम्र का मुद्दा रह-रहकर उठता रहता है। प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता युवा चेहरों को आगे आने की पैरवी करते तो नजर आते हैं लेकिन जब चुनाव में मौका देने की बारी आती है तो परंपरागत और अनुभवी जनप्रतिनिधियों को बदलकर युवाओं को मौका देने के पक्ष में नजर नहीं आते। सभी एक फॉर्मूले पर काम करते हैं जो सीट जिता दे उसे टिकट दो। यदि जिले की चारों सीटों की बात की जाए तो विधानसभा चुनाव 2013 में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की औसत आयु लगभग 50 वर्ष थी।

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इनमें से अधिकांश नाम अब भी चर्चा में हैं। इस लिहाज से अब इनकी औसत आयु करीब 55 वर्ष है। अब इस चुनाव में देखने योग्य होगा कि राजनीतिक दल युवाओं पर विश्वास जता पाते हैं या नहीं। राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों के मंचीय बयानों से लगाकर चुनावी घोषणा पत्रों तक युवाओं को महत्व दिया जाता है, किंतु यह महत्व सिर्फ उनसे मत पाने तक ही सीमित नजर आता है। युवाओं को कमान सौंपने के मामले में दोनों ही प्रमुख दल बचते नजर आते हैं। जिले की ही चारों विधानसभा सीटों की बात की जाए तो युवा हार-जीत का फैसला तय करने में सक्षम हैं।


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