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MP Result 2018: राहुल के इस ट्वीट में छुपी है कमलनाथ के शहंशाह बनने की कहानी

MP Result 2018- 1977-78 के दौर में संजय गांधी की टीम के युवा चेहरे के रुप में वो उभरकर आए और फिर गांधी परिवार के करीबी बन गए। शायद यही वजह है कि आखिर में वो सिंधिया पर भारी पड़ गए।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 09:46 AM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 09:46 AM (IST)
MP Result 2018: राहुल के इस ट्वीट में छुपी है कमलनाथ के शहंशाह बनने की कहानी
MP Result 2018: राहुल के इस ट्वीट में छुपी है कमलनाथ के शहंशाह बनने की कहानी

संजय मिश्र, नई दिल्ली। राजनीति वाकई ट्वेंटी-20 नहीं बल्कि टेस्ट क्रिकेट है, जिसमें संयम और धैर्य की लंबी पारी शिखर तक ले जाती है। चार दशकों तक राष्ट्रीय राजनीति की पिच पर बैटिंग करने वाले मध्य प्रदेश की सियासत के नए शहंशाह कमलनाथ की नई पारी इसी बात को सच साबित करती है।

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मध्य प्रदेश सरकार की कप्तानी कमलनाथ को सौंपे जाने में सियासी समीकरणों के साथ हाईकमान खासकर गांधी परिवार से दशकों पुरानी निकटता की भी अहम भूमिका है। राजनीति के रण में आज पार्टियां नए चेहरों पर दांव लगाने को ज्यादा मुफीद मान रही हैं। ऐसे दौर में भी कमलनाथ जैसे पुरानी पीढ़ी के नेता को सूबे की सत्ता की कप्तानी सौंपा जाना सहज बात नहीं है। वह भी तब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे नई पीढ़ी के चेहरे अपनी लोकप्रियता के दायरे का विस्तार करते दिखाई दे रहे हों।

कमलनाथ 1977- 78 के दौर में संजय गांधी की टीम के युवा चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए। उसी दौरान इंदिरा गांधी से भी निकटता बन गई। यह निकटता राजीव व सोनिया गांधी के दौर में और गहरी हुई। राजनीतिक वजहों के साथ यह निकटता ही रही है कि कांग्रेस के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में राहुल गांधी को भी मप्र जैसे बड़े सूबे में कमलनाथ ही सबको साधते हुए नतीजे देने वाले भरोसेमंद चेहरा नजर आए हैं।

मध्य प्रदेश की सत्ता के नए शहंशाह कमलनाथ की छवि वैसे जननेता की नहीं रही है। मगर प्रशासनकि व प्रबंधन क्षमता के साथ विरोधियों को भी साथ लेकर चलने में उन्हें बेहद कुशल माना जाता है। मध्य प्रदेश के विकास के मुद्दे पर राजनीति को आड़े नहीं आने देने का नजरिया भी उनके विरोधी खेमे में अच्छे रिश्ते की वजह मानी जाती है।

राजनीति में नेताओं का कार्यकर्ताओं ही नहीं जनता से सीधा संवाद सत्ता की कुंजी मानी जाती है। शिवराज सिंह इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं। वैसे प्रदेश कांग्रेस की कमान थामने से पहले कमलनाथ का यह संवाद छिंदवाड़ा तक ही सीमित था। अपने क्षेत्र का नक्शा बदलने के लिए चर्चित कमलनाथ की खासियत यह भी रही है कि छिंदवाड़ा से दिल्ली आने वाले हर शख्स से वे मिलते जरूर थे। दिन के किसी पहर, वक्त हो न हो, वे दिल्ली से छिंदवाड़ा जाने वाली ट्रेन की रवानगी के कुछ समय पूर्व लोगों से मुलाकात जरूर करते थे, ताकि उन्हें बेवजह रात में रुकना न पड़े।  


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