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MP Election 2018: 30 वर्ष से पुनर्वास का दंश झेल रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोग

आदिवासी बहुल जिले धार के तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोग लगभग 30 सालों से पुनर्वास की पीड़ा भोग रहे हैं।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 10:05 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 10:05 AM (IST)
MP Election 2018: 30 वर्ष से पुनर्वास का दंश झेल रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोग
MP Election 2018: 30 वर्ष से पुनर्वास का दंश झेल रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोग

धार, प्रेमविजय पाटिल। आदिवासी बहुल जिले धार के तीन विधानसभा क्षेत्रों के लोग लगभग 30 सालों से पुनर्वास की पीड़ा भोग रहे हैं। इस अरसे में छह जनप्रतिनिधि और सरकार चुन चुके लोग अब भी अपनी समस्या दूर होने के इंतजार में जनप्रतिनधियों की ओर देख रहे हैं। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी विस्थापन, पुनर्वास और यहां के लोगों की समस्याएं चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी हैं। राजनीतिक दलों की सभाओं और प्रत्याशियों की चर्चा के दौरान भूल से भी इन मुद्दों का जिक्र नहीं होता।

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सरदार सरोवर बांध के जलभराव क्षेत्र की जद में आने वाले निसरपुर जैसे छोटे शहर और गांवों की हालत विस्थापन के बाद और बुरी हो गई। नए पुनर्वास स्थल पर सुविधाएं तक नहीं जुटाई जा सकी हैं तो लोग अब भी शत प्रतिशत डूब क्षेत्र छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यही हाल जिले की कुक्षी और धरमपुरी विधानसभा क्षेत्रों में डूब प्रभावितों के भी हैं। राजनीतिक दल के नेता अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वोट मांगना और मैनेजमेंट से वोट लेना यह अब चुनाव का हिस्सा हो गया है। एक बड़ी आबादी इससे प्रभावित हो रही है लेकिन कोई चर्चा नहीं होती। सबसे ज्यादा कु क्षी विधानसभा क्षेत्र में डूब प्रभावित लोग हैं। कु क्षी में 37 गांव में करीब 4390 परिवार को विस्थापित करने की कवायद हुई है। इसमें से 3354 परिवारों को नए पुनर्वास स्थलों पर भेजा गया। लेकिन उनके भी हाल बेहाल है।

जिन लोगों ने पीड़ा भोगी वे ही समझते हैं दर्द...

इस पूरे मामले में यह बात सामने आ रही है कि विस्थापन का दर्द जिन लोगों ने झेला है वे ही इस पीड़ा को समझ पाएंगे। कु क्षी विधानसभा के मतदाताओं का कहना है कि निसरपुर जैसा एक महत्वपूर्ण शहर नए स्थान पर बसाने की कवायद तो कर दी गई लेकि न वहां अब तक भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। यही वजह है कि लोग डूब के खतरों के बीच पुराने शहर में रहने को मजबूर हैं। हर वर्ष लाखों रुपए खर्च होता है और उसका कोई लाभ डूब प्रभावितों को नहीं मिल पाता। स्थानीय प्रत्याशियों के संपर्क-वादों में भी इन समस्याओं का जिक्र तक नहीं होता।

डूब प्रभावितों की संख्या

कुक्षी - 28 गांव के 2728 परिवार प्रभावित

धरमपुरी - 17 गांव के 218 परिवार प्रभावित

मनावर - 23 गांव के 3399 परिवार प्रभावित

निसरपुर : विस्थापित कर दिया पर कुछ नहीं मिला

10 हजार की आबादी है निसरपुर की

25 प्रतिशत लोग ही नए निसरपुर में रहने पहुंचे हैं।

नया निसरपुर डूब प्रभावित निसरपुर से आठ किमी दूर है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 31 मई 2017 को हो जाना था शहर खाली।

ये अब तक नहीं हुआ

- स्ट्रीट लाइट भी अब तक नहीं लगा सके।

- ड्रेनेज सिस्टम का काम भी अभी तक नहीं हो सका।

- पेयजल व्यवस्था भी बदहाल है। 


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