Move to Jagran APP

MP Election 2018: 66 साल में इन तीन गांवों में न कोई प्रचार करने पहुंचा न जीतने के बाद

MP Election 2018 तीनों ही गांव नर्मदा कि नारे बसे हुए हैं और डूब प्रभावित गांव हैं।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:54 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:54 PM (IST)
MP Election 2018: 66 साल में इन तीन गांवों में न कोई प्रचार करने पहुंचा न जीतने के बाद
MP Election 2018: 66 साल में इन तीन गांवों में न कोई प्रचार करने पहुंचा न जीतने के बाद

डही (धार), गोपाल माहेश्वरी, नईदुनिया न्यूज। कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के सुदूर आदिवासी इलाकों के कई गांव अब भी ऐसे हैं जहां अब तक कोई प्रत्याशी न चुनाव के पहले प्रचार के लिए पहुंचा और न ही चुनाव के बाद।

loksabha election banner

1952 से लेकर अब तक 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। वहीं 2011 के उपचुनाव को जोड़ा जाए तो 15 चुनाव हो चुके हैं। लेकिन डही क्षेत्र के ये तीन गांव- दभाणी, कष्टा और दसाणा में न कभी कोई प्रत्याशी पहुंचा और न कोई विधायक। तीनों ही गांव नर्मदा कि नारे बसे हुए हैं और डूब प्रभावित गांव हैं। इनमें से दभाणी गांव से अगली सीमा आलीराजपुर जिले की लगती है। नर्मदा कि नारे बसा दभाणी पश्चिम में धार जिले का अंतिम गांव है। इसके बाद ककराना (आलीराजपुर) गांव पड़ता है। दुर्गम क्षेत्र में बसे होने के कारण इन गांव में न तो पक्की सड़कें पहुंची हैं और न ही संचार व्यवस्था। पहाड़ों पर मौजूद इन गांव के कई फलिये आज भी बिजली के अभाव में अंधकार में डूबे हुए हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि चुनाव के दौर में कि सी भी पार्टी का उम्मीदवार यहां प्रचार करने कभी नहीं आया और न ही जीतने के बाद आया। इस दफा भी चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से भी अब तक कोई नहीं पहुंचा है।

ग्रामीणों को नहीं पता उम्मीदवार कौन है

दभाणी के पातल्या पिता उमरिया, के रिया पिता नत्थू, वांगरसिंह पिता कालू और दसाणा के छीतूसिंह पिता सोनारिया, वारतीबाई पति हुसन्या और अन्य लोगों से जब चर्चा की तो इनमें से कई लोगों को यह नहीं मालूम है कि इस दफा कि स पार्टी के कौन-कौन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। कष्टा के ग्रामीण मुके श पिता चतरसिंह, भुरला पिता सवजा, वालसिंह पिता बरकत ने बताया कि गांव में मोबाइल नहीं चलता है और न ही रोड है। ऐसे में उम्मीदवार यहां आए तो उन्हें मालूम पड़े कि हम कि स बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं। हालांकि यहां के ग्रामीणों को यह तो मालूम है कि मतदान कि स दिन होना है। इसे लेकर पूछा गया तो उनका कहना था कि गांव के शिक्षक और पंचायत के मंत्री ने तारीख बताई है। इन गांवों में दोनों पार्टी के चंद कार्यकर्ता मतदान के दो-तीन दिन पहले आकर सक्रिय हो जाते हैं और वोटरों को लुभाकर अपनी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए हथकंडे अपनाते हैं। यानी यहां चुनाव के वोट चंद कार्यकर्ता ही तय करते हैं। अशिक्षित ग्रामीणों को बसक (दावत) दे दी जाती है।

तीनों गांव में हैं 1262 मतदाता

मालूम हो कि दसाणा के 30, दभाणी और कष्टा के 10-10 परिवार डूब से विस्थापित होकर गुजरात में बस चुके हैं। कु छ परिवार डूब से बाहर हैं। वर्तमान में दभाणी की जनसंख्या 671 है। वहीं दसाणा 1372 और कष्टा की जनसंख्या 900 के करीब है। इस तरह इन तीनों गांव में कु ल 2300 ग्रामीण निवासरत हैं। दभाणी में 232, दसाणा 650 व कष्टा में 380 यानी कु ल 1262 मतदाता हैं। दभाणी में मतदान कें द्र नहीं है। ऐसे में वहां के मतदाताओं को ढाई कि मी पैदल पहुंचकर ग्राम छाछकु आं जाना पड़ता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.