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MP Election 2018: झाबुआ सीट पर सिंधिया से कांग्रेस को उम्मीद, मोदी के सहारे भाजपा

MP Election 2018: झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस में बगावत से मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:03 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 01:03 AM (IST)
MP Election 2018: झाबुआ सीट पर सिंधिया से कांग्रेस को उम्मीद, मोदी के सहारे भाजपा
MP Election 2018: झाबुआ सीट पर सिंधिया से कांग्रेस को उम्मीद, मोदी के सहारे भाजपा

अहद खान, झाबुआ। जिले की तीन विधानसभा सीटों में से सबसे रोचक मुकाबला झाबुआ सीट पर हो गया है। कारण यह है कि यहां कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत पार्टी के उम्मीदवार हैं। भाजपा ने संघ के भरोसे पर गुमानसिंह डामोर को टिकट दिया, जो पहले पेटलावद से दावेदारी कर रहे थे।

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कांग्रेस से बगावत कर बागी उम्मीदवार के रूप में पार्टी के ही पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। मुकाबला त्रिकोणीय है और हर कोई इस त्रिकोण की अपने तरीके से गणितीय व्याख्या करके अपनी जीत बता रहा है।

भाजपा पार्टी के नाम, चिन्ह और आज होने वाली प्रधानमंत्री की सभा के भरोसे है, तो कांग्रेस को लोकसभा उपचुनाव के अपने प्रदर्शन और इसके बाद से भाजपा के कमजोर प्रदर्शन से आस है। कांग्रेस के बागी जेवियर मेड़ा हर दिन अपने साथ कई लोगों के आने का दावा कर रहे हैं।

सोमवार शाम भी पारा और बोरी क्षेत्र से 22 सरपंचों का समर्थन मिलने का दावा उन्होंने किया, लेकिन कांग्रेस ने ऐनवक्त पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा तय कर दांव खेला है। सभा 21 नवंबर को होगी। दरअसल जेवियर मेड़ा को लेकर क्षेत्र में यही धारणा है कि वो सिंधिया गुट के नेता हैं। संभावना है, सिंधिया खुद यहां आकर मंच से इस दावे को खारिज करेंगे। इन सब दावपेंच का नफा-नुकसान तो खैर बाद में ही पता चलेगा।

ऐसे लगा रहे गणित

कांग्रेस का गणित है, पार्टी के नाम के वोट मिलेंगे और सांसद भूरिया के संबंधों और नाम का फायदा मिलेगा। इसके अलावा भाजपा का उम्मीदवार बाहरी होने का भी फायदा होगा।

भाजपा का गणित है, पार्टी के जो वोट हमेशा मिलते हैं, उतने तो मिलेंगे ही। मोदी की सभा के बाद ये ताकत बढ़ेगी। इसके अलावा कांग्रेस का बागी उम्मीदवार कांग्रेस के वोट काटेगा, जिसका फायदा मिलेगा।

जातिगत समीकरण

विधानसभा क्षेत्र में 85 प्रतिशत से ज्यादा संख्या आदिवासी वोटों की है। इसके अलावा जैन, ब्राह्मण, मुसलमान, राजपूत और दलित मतदाता 10 प्रतिशत के अंदर सिमट जाते हैं। आदिवासी वोटों में भील सबसे अधिक हैं। इसके अलावा भिलाला और पटेलिया समाज के वोट हैं, लेकिन वह काफी कम हैं।

मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 2 लाख 70 हजार 123

पुरुष- 1 लाख 35 हजार 936

महिला- 1 लाख 34 हजार 181

अन्य- 16

 क्यों चर्चित

यहां से कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे चुनाव मैदान में है। कांतिलाल के खिलाफ पहली बार पार्टी में इतनी बगावत देखने को मिली है। उनके पुतले जलाए गए। उन पर बेटे के टिकट के लिए पार्टी को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे। यहां भाजपा ने भी अपने विधायक का टिकट काटकर दूसरा चेहरा उतारा।


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