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MP Chunav 2018: एट्रोसिटी-महंगाई से शुरू सियासत की जंग चेहरों पर आकर टिकी

MP Election 2018: जीत-हार का फैसला अब इस बात पर ज्यादा निर्भर है कि कौन किस तरह मतदाताओं को खुद से जोड़ पाने में कामयाब हो पाता है।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 05:54 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 05:54 PM (IST)
MP Chunav 2018: एट्रोसिटी-महंगाई से शुरू सियासत की जंग चेहरों पर आकर टिकी
MP Chunav 2018: एट्रोसिटी-महंगाई से शुरू सियासत की जंग चेहरों पर आकर टिकी

ग्वालियर, डॉ. अमरनाथ गोस्वामी। नामांकन वापसी के साथ ही अब चुनावी अखाड़े की तस्वीर साफ हो चली है। एंटी इंकम्बेंसी, एट्रोसिटी एक्ट और महंगाई जैसे तमाम मुद्दों से शुरू हुई सियासत अब चेहरों पर आकर टिक गई है। जीत-हार का फैसला अब इस बात पर ज्यादा निर्भर है कि कौन किस तरह मतदाताओं को खुद से जोड़ पाने में कामयाब हो पाता है।

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पिछले लगभग 15 दिनों से चल रहे टिकट वितरण, बदलाव, विद्रोह, बगावत का अंतरद्वंद अब सीधी टक्कर में बदल गया है। चुनावी अखाड़े में उतरे पहलवानों को पता चल गया है कि उनकी टक्कर किससे है। टांग खिंचाई कर पटकनी दिलाने वाली तीसरी-चौथी शक्तियां उनकी नजर में है। उधर बड़े से बड़े विशेषज्ञ को समझ नहीं आ रहा है कि, मुद्दे खत्म हो गए हैं? या मतदाताओं ने मुद्दों की नाराजगी को मतदान के दिन तक के लिए जज्ब कर लिया है। सपाक्स समाज पार्टी के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से अन्य दलों को कोई फिलहाल कोई बड़ा फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। हां इस दल के चुनावी मैदान में आने से एक शुस्र्आत हो गई है। यह शुरुआत कितनी गंभीर है, अब इसका खुलासा मतगणना के बाद ही पता चलेगा।

पार्टी और प्रत्याशी अहम
मुद्दों पर जनता के मौन के बाद चुनाव अब पूरी तरह पार्टी और प्रत्याशियों पर आकर टिक गए हैं। चुनाव में पार्टी के साथ इस बार यह बहुत अहम है कि किस पार्टी ने किसे प्रत्याशी बनाया है। जो प्रत्याशी जनता की पसंद से उतर चुके हैं, उनका पार्टी की दम पर विधानसभा की दहलीज तक पहुंचना कठिन लग रहा है। पार्टियों ने इस बात को भांपते हुए सीटों पर बदलाव भी किए हैं, बावजूद इसके कई प्रत्याशी इस बार चुनाव मैदान में इसलिए हैं, क्योंकि पार्टी ने उनके टिकट काटने का साहस नहीं दिखाया है। यही कारण है कि कई सीटों पर इस बार भितरघात व बगावत भी ज्यादा है।

कहां-क्या है स्थिति

ग्वालियर : ग्वालियर दक्षिण सीट पर इस बार भाजपा नेता व पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने ही बगावत कर दी है। निर्दलीय के रूप में उनके मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ग्वालियर ग्रामीण सीट पर इस बार कांग्रेस के बाहुवली नेता माने जाने वाले साहबसिंह गुर्जर ने बगावत कर बीएसपी से नामांकन भरा है। भाजपा से भारत सिंह, कांग्रेस से मदन कुशवाह मैदान में है। दोनों के कुशवाह समाज से होने से वोटों का बंटवारा होगा। मुकाबला यहां भी त्रिकोणीय हो गया है।

शिवपुरी : पोहरी सीट पर इस बार भाजपा से टूटकर बीएसपी से कैलाश कुशवाह मैदान में है। मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। करैरा सीट पर कांग्रेस ने इस बार मौजूदा विधायक शकुंतला खटीक का टिकट काटकर जसवंत जाटव को दिया है। भाजपा से राजकुमार खटीक हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक रमेश खटीक सपाक्स व बीएसपी से प्रागीलाल जाटव हैं। प्रागीलाल पिछले चुनाव में दूसरे व भाजपा तीसरे स्थान पर थी। ऐसे में यहां स्थिति चतुष्कोणीय बन रही है।

गुना : बमौरी सीट से कांग्रेस ने जहां महेन्द्रसिंह को यथावत रखा है, वहीं भाजपा ने केएल अग्रवाल का टिकट काटकर बृजमोहन आजाद को उतारा है। नाराज केएल अग्रवाल यहां से निर्दलीय हैं और इस बार ओपी त्रिपाठी के बीएसपी में होने से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। यहां की चांचौड़ा सीट पर मौजूदा विधायक ममता मीणा के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह मैदान में है। दिग्विजय सिंह का प्रभाव क्षेत्र होने से इस बार ममता मीणा के लिए मुकाबला कड़ा हो गया है।

दतिया : यहां की सेंवढ़ा सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रदीप अग्रवाल का टिकट काटकर बीएसपी से 2008 में विधाायक रह चुके राधेलाल बघेल पर भरोसा जताया है। पार्टी के इस कदम से कई नेता नाराज हैं। कांग्रेस ने यहां से घनश्याम सिंह पर फिर से भरोसा किया है।

अशोक नगर : यहां की चंदेरी सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा ने यहां कांग्रेस छोड़कर आए भूपेन्द्र नारायण द्विवेदी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा में टिकट न मिलने से खफा पूर्व विधायक (2008) राजकुमार सिंह बीएसपी से टिकट ले आए हैं। कांग्रेस ने यथावत गोपालसिंह चौहान को रखा है। मुंगावली में कांग्रेस से विधायक बृजेन्द्र यादव ही मैदान में है, वहीं भाजपा ने कांग्रेस से आए केपी सिंह को मैदान में उतारा है। भाजपा के मलकीत सिंह पार्टी छोड़कर सपाक्स समाज पार्टी से चुनाव मैदान में आ गए हैं।


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