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MP Election 2018: प्रचार की बोतल में गुपचुप बंद हो गया साढ़े चार हजार करोड़ का मुद्दा

MP Election 2018: दो दशकों में जिले के चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है। जिले की छह विधानसभा सीटों में सबसे महत्वपूर्ण महेश्वर इन दिनों खासी चर्चा में है।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 10:14 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 10:14 AM (IST)
MP Election 2018: प्रचार की बोतल में गुपचुप बंद हो गया साढ़े चार हजार करोड़ का मुद्दा
MP Election 2018: प्रचार की बोतल में गुपचुप बंद हो गया साढ़े चार हजार करोड़ का मुद्दा

खरगोन, विवेक वर्धन श्रीवास्तव। दो दशकों में जिले के चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है। जिले की छह विधानसभा सीटों में सबसे महत्वपूर्ण महेश्वर इन दिनों खासी चर्चा में है। 15 साल पहले तक जो मुद्दे चुनाव में राजनीतिक दलों की हार-जीत का फैसला करते थे, अब वे नजर नहीं आते। प्रत्याशियों ने वक्त के साथ साढ़े चार हजार करोड़ का मुद्दा ही प्रचार की बोतल में बंद कर रख दिया। कोई भी पार्टी अब इस मुद्दे को छेड़ना भी नहीं चाहती। मध्य प्रदेश की सबसे महती विद्युत परियोजना में से एक श्री महेश्वर हाइड्रल प्रोजेक्ट वक्त के साथ गुमनाम हो गया।

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90 के दशक में इसी प्रोजेक्ट से बिजली के सपने दिखाए। वर्ष 2000 में मूर्त रूप देने के वादे किए। पुनर्वास के नाम पर पक्के घरों के नक्शे दिखाए। अब हालात बिलकुल उलट हैं। प्रोजेक्ट के नाम पर नर्मदा के प्रवाह को रोक दिया गया। अनुपयोगी हालत में इस नदी पर मंडलेश्वर क्षेत्र में ढांचा खड़ा है। 465 करोड़ रुपए की प्रस्तावित लागत से यह प्रोजेक्ट इन दिनों साढ़े चार हजार करोड़ की लागत को पार कर चुका है। क्षेत्रवासियों में नाराजगी है कि विकास के मुद्दे दरकिनार कर दिए गए।

नारेबाजी में गुम हुए स्थानीय मुद्दे

इन दिनों महेश्वर विधानसभा के त्रिकोणीय मुकाबले में नारेबाजी और जनसंपर्क चरम पर है। हर प्रत्याशी विकास के मुद्दे से अलग आरोप-प्रत्यारोप में फंसा है। यहां कांग्रेस से डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ तो भाजपा से भूपेंद्र आर्य मैदान में हैं। वहीं भाजपा के बागी राजकुमार मेव भी निर्दलीय लड़ रहे हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि क्षेत्र में न बांध बना न पुनर्वास हुआ। अभी भी सिर्फ दो गांवों को छोड़कर हालात जस के तस हैं। उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से प्रभावित जलूद व लेपा का कुछ हिस्सा पुनर्वासित हुआ है। शेष गांव विस्थापित नहीं हो सके। यहां इस प्रोजेक्ट से 13 गांव पूर्ण व 9 आंशिक रूप से डूब प्रभावित हैं। साथ ही प्रभावित 44 गांव के 873 हेक्टेयर कृषि भूमि डूब में आएगी। उधर, महेश्वर मुख्यालय पर सदियों से पहचान देने वाली महेश्वरी साड़ियों के बुनकर की दशा भी नहीं सुधरी।

केवल वादों में शामिल बुनकर

यहां सात हजार बुनकर हैं। कई योजनाओं के बावजूद पिछले 25 वर्ष में कोई बड़ा सुधार इनकी जिंदगी में नहीं हुआ। बुनकरों का कहना है कि उनके लिए प्रस्तावित रेयान बैंक व कॉलोनी भी नहीं बन सकी। यहां तक कि बुनकर परिवार के उत्थान के लिए टास्क फोर्स बनाने तक की बात सरकारों ने कही। पवित्र नगरी व विकास के नाम पर बनाया गया महेश्वर-मंडलेश्वर विकास प्राधिकरण (साडा) कागजों में सिमटकर रह गया। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि प्रमुख पार्टियों ने अपने दृष्टि व वचन पत्र में इस क्षेत्र के विकास व पर्यटन के मद्देनजर कोई बिंदु नहीं जोड़ा। नर्मदा परिक्रमा पथ पर सुविधाओं का जिक्र विकास की बजाय राजनीतिक मुद्दा अधिक दिखाई देता है।

बांध एक नजर में

- 1992 में परियोजना का निजीकरण हुआ

- 2000 में पूर्ण होना था बांध

- 400 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता

- 162.76 मीटर कुल जल भराव

बुनकर एक नजर में

- 07 हजार बुनकर

- 3500 लुम्स

- साड़ियों के 23 शोरूम

महेश्वर विधानसभा एक नजर में

कुल मतदाता : 208125

2013 में डले मत : 152258

राजकुमार मेव (भाजपा) : 74320

सुनील खांडे (कांग्रेस) : 69593

नोटा को मिले वोट : 1753 


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