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MP Election 2018: इंदौर की तीन नंबर विधानसभा में चार चुनाव, चार प्रयोग, हर बार बदले चेहरे

इंदौर में तीन नंबर विधानसभा सीट पर हर बार सामने आए नए चेहरे।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 04:08 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 04:08 PM (IST)
MP Election 2018: इंदौर की तीन नंबर विधानसभा में चार चुनाव, चार प्रयोग, हर बार बदले चेहरे
MP Election 2018: इंदौर की तीन नंबर विधानसभा में चार चुनाव, चार प्रयोग, हर बार बदले चेहरे

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जिसके टिकट बीते 15 वर्षों से संगठन के लिए सिरदर्द साबित हुए हैं। चार चुनाव में से तीन मर्तबा बाहरी उम्मीदवार को इस विधानसभा से मौका दिया गया, जबकि एक बार स्थानीय को मौका दिया गया, जो पहले इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत भी चुके हैं। 15 साल तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कराई, लेकिन इस बार चेहरा रिपिट करने के बजाए संगठन ने नए चेहरे पर दांव लगाया है।

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पहले से तय था या अचानक लिया फैसला? : तीन नंबर में चेहरा बदलना पहले से तय था या अचानक फैसला लिया गया? यह सवाल अभी भी पहेली बना हुआ है लेकिन क्षेत्र के नेता इसे सुलझाने के लिए पुरानी कड़ियों को जोड़कर देख रहे हैं। इस सीट के लिए तगड़ी दावेदारी गोपीकृष्ण नेमा की थी, लेकिन नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलते ही उनकी दावेदारी कमजोर हो गई। यदि नेमा को टिकट नहीं मिलता तो हो सकता है कि उनके समर्थक चुनाव के समय घर बैठ जाते। दूसरी कड़ी विवाद से जुड़ी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की इंदौर यात्रा के एक दिन पहले तीन नंबर विधानसभा की विधायक उषा ठाकुर के खिलाफ माहौल बनाया गया।

इसमें क्षेत्र के कुछ नेता थे। उन्होंने प्रदेश संगठन तक ठाकुर का विरोध दर्ज कराया। यदि विरोध न होता तो संगठन को ठाकुर का टिकट बदलने का आधार नहीं मिलता। महू से उषा ठाकुर को टिकट देने के पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही कि उनका टिकट तीन नंबर से कटता और महू में नहीं मिलता तो उनकी नाराजगी के असर से तीन नंबर विधानसभा के समीकरण गड़बड़ा सकते थे।

कब किसे मिला मौका

वर्ष 2004 में पार्टी ने एक नंबर विधानसभा क्षेत्र के निवासी राजेंद्र शुक्ला को तीन नंबर विधानसभा में प्रत्याशी बनाया था। तब उनकी उम्मीदवारी का भी विरोध हुआ था और गोपी नेमा समर्थक बड़ी संख्या में ताई के निवास पर टिकट का विरोध करने गए थे, लेकिन वे जीत नहीं पाए।

वर्ष 2008 में पार्टी ने पूर्व विधायक गोपी नेमा पर विश्वास जताया और उन्हें टिकट दिया। नेमा ने चुनाव पूरी मेहनत से लड़ा, लेकिन 500 वोटों के अंतर से वे चुनाव हार गए।

वर्ष 2013 में इस सीट के लिए कैलाश विजयवर्गीय का नाम चर्चाओं में था, लेकिन उन्हें संगठन ने महू से ही रिपिट किया और पूर्व विधायक उषा ठाकुर को तीन नंबर से मौका दिया और संगठन का यह प्रयोग सफल साबित हुआ। 15 साल बाद सीट भाजपा की झोली में आ सकी।

वर्ष 2018 में संगठन ने विधायक ठाकुर को महू का टिकट दिया और तीन नंबर से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को मौका दिया, उनके टिकट का भी स्थानीय नेता विरोध कर रहे हैं।

दावेदारी में भी भारी था तीन नंबर

जिले की 9 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा गंभीर दावेदार भी तीन नंबर विधानसभा में थे, लेकिन वे खाली हाथ रहे और टिकट भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को दे दिया गया। टिकट बदले जाने की स्थिति में सभी को यह लग रहा था कि शहरी क्षेत्र के विधायकों को सीट बदलकर तीन नंबर में आजमाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


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