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मध्य प्रदेश कांग्रेस का फरमान... टिकट चाहिए तो पूरी करें ये शर्तें

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि राज्य के सभी पदाधिकारियों और टिकट के दावेदारों का सोशल मीडिया पर होना अनिवार्य है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 02:23 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 04:41 PM (IST)
मध्य प्रदेश कांग्रेस का फरमान... टिकट चाहिए तो पूरी करें ये शर्तें
मध्य प्रदेश कांग्रेस का फरमान... टिकट चाहिए तो पूरी करें ये शर्तें

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस ने टिकट के दावेदारों और उम्मीदवारों के लिए कुछ शर्तें रखी हैं।

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प्रदेश कांग्रेस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि चुनाव में टिकट उन्हीं लोगों को दिया जाएगा जो सोशल मीडिया में एक्टिव है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि राज्य के सभी पदाधिकारियों और टिकट के दावेदारों का सोशल मीडिया पर होना अनिवार्य है। आइये आपको बताते हैं कि एमपी कांग्रेस ने दावेदारों के सामने क्या शर्तें रखी हैं।

- दावेदारों या उम्मीदवारों के फेसबुक पेज पर कम से कम 15 हजार लाइक हो

- ट्विटर पर पांच हजार से ज्यादा फॉलोवर्स की संख्या

- व्हाट्सएप पर बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं का ग्रुप बना हो

- मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किया गया हर ट्वीट लाइक और रिट्वीट किया गया हो

15 सिंतबर तक जमा करें सोशल मीडिया हैंडल का ब्यौरा
कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि यदि वे चाहते हैं कि चुनावों के टिकटों के लिए नामांकन के लिए उनके नाम पर विचार किया जाए। तो सभी 15 सितंबर तक पार्टी को उनके सोशल मीडिया हैंडल का ब्योरा जमा करें। उसके बाद पार्टी उन नेताओं के सोशल मीडिया ब्योरा की जांच करेगी और अपने लेवल से तय करेगी कि किस नेता को टिकट दिया जाए और किसका टिकट काटा जाए।

सोशल मीडिया पर भाजपा और कांग्रेस में टक्कर
बता दें कि मध्य प्रदेश चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया अहम योगदान निभा सकता है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस इस दोनों ही सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी हुई है। भाजपा की राज्य सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेल प्रभारी शिवराज सिंह दबी ने कहा था कि पार्टी ने 65,000 'साइबर योद्धाओं' को तैनात किया है, जबकि कांग्रेस ने इसके खिलाफ लड़ाई के लिए लगभग 4,000 'राजीव के सिपाही' नाम की एक टीम को मैदान में उतारा है। कांग्रेस और भाजपा का दावा है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल के माध्यम से, वे राज्य चुनावों में अपने प्रतिद्वंद्वियों के गलतफहमी और झूठे प्रचार को दूर करने की कोशिश करेंगे।


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