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Madhya Pradesh Elections 2018: 20 वोट से जीते फिर भी हुई थी जमानत जब्त

MP Chunav 2018: मामला 1967 का है, जब यहां एक उम्मीदवार 20 वोटों से जीतकर विधायक बने तो बने थे, लेकिन फिर भी उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 06:21 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 06:21 PM (IST)
Madhya Pradesh Elections 2018: 20 वोट से जीते फिर भी हुई थी जमानत जब्त
Madhya Pradesh Elections 2018: 20 वोट से जीते फिर भी हुई थी जमानत जब्त

राजगढ़, राजेश शर्मा, नवदुनिया।  जिले की राजनीति मेंं ब्यावरा विधानसभा सीट का अपना अलग ही मुकाम है। यहां से जिले की राजनीति की दशा और दिशा तय होती है। कहा तो यह भी जाता है कि यही वह सीट है जहां से जिले के टिकटों की स्थिति तय होने के साथ ही ब्यावरा से कई सीटों की हार जीत जुड़ी होती है। कुछ ऐसा ही रोचक मामला 1967 का है, जब यहां एक उम्मीदवार 20 वोटों से जीतकर विधायक बने तो बने थे, लेकिन फिर भी उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

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जानकारी के मुताबिक वर्ष 1967 का चुनाव ब्यावरा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के लिए एक अनूठा इतिहास बन गया। उस चुनाव में ब्यावरा के समीपस्थ ग्राम बालित्रडी के कुंवर जगन्नाथसिंह दांगी निर्दलीय और प्रजा समाज पार्टी से रामकरण उग्र चुनावी मैदान में थे। इसके अलावा कांग्रेस, जनसंघ सहित अन्य उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे थे।

जब विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो वह हर किसी को चौंका देने वाला था। उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी कुंवर जगन्नाथ सिंह दांगी 20 वोट से जीतकर विधायक बने थे, लेकिन फिर भी दांगी सहित सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। जगन्नाथ सिंह दांगी को उस समय 3266 वोट मिले थे, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी प्रजा समाज पार्टी के उम्मीदवार रामकरण उग्र को 3246 वोट मिले थे। कांग्रेस तीसरे और जनसंघ के प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे थे।

विधायक बनने के बाद राजमाता ने किया था जनसंघ में शामिल

जानकारों के अनुसार उस समय संयुक्त सरकार गठित हुई। उसे बनाने के लिए एक वोट की जरूरत थी। तब राजमाता विजयराजे सिंधिया ने ब्यावरा पहुंचकर कुंवर जगन्नाथसिंह को जनसंघ की सदस्यता दिलाई थी। श्री दांगी के पुत्र भाजपा नेता लखन दांगी के मुताबिक हमें बताया गया है कि उनके एक वोट के माध्यम से प्रदेश की संयुक्त सरकार का गठन हुआ था और इसके लिए राजमाताजी खुद उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाने ब्यावरा आई थीं।


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