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MP Chunav 2018: चुनावी रण में जीत के लिए गुप्त अनुष्ठान का भी सहारा, महाकाल मंदिर में 14 प्रत्याशियों के लिए गुप्त पूजा

MP Election 2018 अनुष्ठान कराने वालों के नाम पूछने पर वे कहते हैं कि यह गुप्त अनुष्ठान है, इसलिए संबंधित का नाम नहीं बताया जा सकता है।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 11:53 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 07:35 AM (IST)
MP Chunav 2018: चुनावी रण में जीत के लिए गुप्त अनुष्ठान का भी सहारा, महाकाल मंदिर में 14 प्रत्याशियों के लिए गुप्त पूजा
MP Chunav 2018: चुनावी रण में जीत के लिए गुप्त अनुष्ठान का भी सहारा, महाकाल मंदिर में 14 प्रत्याशियों के लिए गुप्त पूजा

उज्जैन, नईदुनिया प्रतिनिधि। मतदान की तारीख पास आते ही दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने जीत के लिए पूरा जोर लगाना शुरू कर दिया है। महाकाल की नगरी तंत्र की भी भूमि मानी गई है, इसलिए यहां जीत के लिए तंत्र-मंत्र से लेकर विशेष गुप्त अनुष्ठान कराए जा रहे हैं। अकेले महाकाल मंदिर में ही प्रदेशभर के करीब 14 प्रत्याशियों के लिए विशेष अनुष्ठान हो रहे हैं। पुजारी जप के माध्यम से काल के अधिपति महाकाल को मनाने में लगे हैं।

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महाकाल को काल का अधिपति माना जाता है। उनकी साक्षी में यहां तंत्र का भी विशेष महत्व है। नगर में अष्ट भैरव व शक्तिपीठ हरसिद्धि भी विराजित है। दो सिद्ध श्मशान भी माने गए हैं। यही कारण है कि चुनावी रण में जीत के लिए उम्मीदवार धर्मनगरी के मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं। उनसे जुड़े पुजारी उनके लिए जीत की कामना से विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं।

पं.आशीष पुजारी ने बताया कि मंदिर परिसर में दोनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के लिए गुप्त अनुष्ठान चल रहे हैं। इसमें जप के माध्यम से भगवान महाकालेश्वर से जीत की कामना की जाती है। अनुष्ठान के लिए प्रत्याशी का मौजूद रहना जरूरी नहीं है। अनुष्ठान कराने वालों के नाम पूछने पर वे कहते हैं कि यह गुप्त अनुष्ठान है, इसलिए संबंधित का नाम नहीं बताया जा सकता है। पुजारियों को यजमानों की निजता का खास ख्याल रखना होता है।

इंदिरा ने विजय की कामना से किया था पूजन

ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास बताते हैं कि उज्जैन धरती का नाभी केंद्र है। यहां कुंडलिनी शक्ति सहज ही जागृत हो जाती है। इससे व्यक्ति को शीघ्र सफलता प्राप्त होती है। यही कारण है कि विभिन्न कामनाओं को लेकर दुनियाभर से लोग उज्जैन में अनुष्ठान कराने आते हैं। पं.व्यास ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी वर्ष 1979 में विजय की कामना से महाकाल मंदिर में पूजन किया था। इसके बाद उन्हें वांछित सफलता मिली थी।

देवी की विशेष आराधना.. तो भैरव को मनाने में भी जुटे

शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में भी चुनाव में जीत के लिए देवी आराधना की जा रही है। इस मंदिर में खासतौर पर गुप्त अनुष्ठान कराए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि में इसका अधिक महत्व माना गया है। पं.अमर डब्बावाला ने बताया की कुछ प्रत्याशी देवी को मना चुनावी नैया पार लगाना चाहते हैं। इसके लिए पंडितों के माध्यम से जाप कराए जा रहे हैं। उधर कालभैरव सहित नगर के अन्य भैरव मंदिरों में भी गोपनीय साधना चल रही है।


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