Move to Jagran APP

मध्यप्रदेश की राजनीति में 'कम्फर्ट जोन' के बाहर नहीं आते सूरमा

प्रांतीय नेता कहलाने के बावजूद अपने ही शहर में सभी दूर उनकी स्वीकार्यता नहीं बन पाई।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 07:43 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 07:43 AM (IST)
मध्यप्रदेश की राजनीति में 'कम्फर्ट जोन' के बाहर नहीं आते सूरमा
मध्यप्रदेश की राजनीति में 'कम्फर्ट जोन' के बाहर नहीं आते सूरमा

राजीव सोनी, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में दोनों ही दल के कद्दावर कहलाने वाले राजनेता अपने-अपने 'कम्फर्ट जोन' तक सिमट गए हैं। उनकी स्वीकार्यता अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित होकर रह गई है।

loksabha election banner

भोपाल सहित प्रदेश के बड़े शहरों में जहां आधा दर्जन तक सीटें हैं, वहां भी ये सियासत के सिकंदर दूसरे मोहल्ले (विस क्षेत्र) में जाकर चुनावी चुनौती स्वीकारने में घबराते हैं। प्रांतीय नेता कहलाने के बावजूद अपने ही शहर में सभी दूर उनकी स्वीकार्यता नहीं बन पाई। इस बार 200 पार और गुना-छिंदवाड़ा लोकसभा जैसी सीटों को जीतने का दावा करने वाली भाजपा के पास बड़े-बड़े सियासी सूरमा हैं, लेकिन राजधानी की भोपाल उत्तर सीट पर 25 साल बाद भी उसे जिताऊ चेहरा नहीं मिल पा रहा।

प्रदेश में 10 मर्तबा चुनाव जीतने का रिकार्ड बना चुके बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा) और शिवराज सरकार में राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता (दक्षिण-पश्चिम) जैसे कद्दावर नेता दशकों से भोपाल शहर की राजनीति में रचे-बसे हैं, लेकिन अपने मोहल्ले से बाहर जाकर चुनाव की चुनौती स्वीकारने का साहस नहीं जुटाते।

मंत्रियों में जयंत मलैया (दमोह), गोपाल भार्गव (रहली) और डॉ. गौरीशंकर शेजवार (सांची) ने भी अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की चुनौती नहीं स्वीकारी। मंत्री राजेंद्र शुक्ला भी रीवा से बाहर निकलने को तैयार नहीं। सतना सांसद गणेश सिंह पैतृक निवास के पड़ोस की विधानसभा सीट से भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। दोनों ही दलों में कूप मंडूकता के शिकार ऐसे नेताओं लंबी फेहरिस्त है।

नहीं मिल रहा उत्तर का तोड़

भाजपा प्रदेश में भले ही सत्ता की हैट्रिक बना चुकी है, लेकिन भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट पर उसे जिताऊ चेहरा नहीं मिल रहा। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मंदिर आंदोलन के बाद 1993 में भाजपा के रमेश शर्मा गुट्टू भैया जीते थे, उसके बाद मोदी लहर में भी भाजपा यहां कमल नहीं खिला पाई। इस बार पूरे प्रदेश में भले ही टिकटों की रस्साकशी चल रही हो पर 'उत्तर" के लिए भाजपा में कोई कद्दावर नेता तैयार नहीं, वहां पार्षद कृष्णमोहन सोनी और सरपंच भक्ति शर्मा जैसे नए-नवेले नामों की ही चर्चा है।

कांग्रेसी भी अपनी सीट तक सिमटे

उधर कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र तक ही सीमित रहे। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना सीट से बाहर नहीं निकले। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह (चुरहट), भोपाल उत्तर के विधायक आरिफ अकील हों अथवा डॉ. गोविंद सिंह (लहार) भी अपनी ही पारंपरिक सीट तक सीमित रहे।

इन्होंने फहराई विजयी पताका

भाजपा में अपवादस्वरूप ऐसे नेता भी हैं जो अपने घर से दूर दूसरे शहर और प्रांत में भी जाकर चुनाव लड़े और विजयी पताका फहरा चुके हैं। इनमें विदिशा सांसद व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज हरियाणा और दिल्ली के बाद अब मप्र से प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बुधनी विस के अलावा विदिशा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2003 में वह तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को राघौगढ़ सीट पर जाकर टक्कर दे चुके हैं। हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

प्रहलाद पटेल

गोटेगांव निवासी और वर्तमान में दमोह सांसद प्रहलाद पटेल बालाघाट और सिवनी सीट से भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

कैलाश विजयवर्गीय

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपनी पारंपरिक इंदौर-2 सीट छोड़कर चुनौतीपूर्ण महू विस सीट की चुनौती स्वीकारी और जीत भी दर्ज की।

उमा भारती: दो राज्यों में स्वीकार्यता

मौजूदा केंद्रीय मंत्री और मप्र की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती भी चुनौती स्वीकारने में आगे रहीं। टीकमगढ़ जिले की निवासी उमा मप्र में खजुराहो एवं भोपाल से लोकसभा और बड़ा मलहरा विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व कर चुकीं हैं। उत्तरप्रदेश में चरखारी विधानसभा चुनाव जीतीं और अब झांसी से लोकसभा सदस्य भी हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी विधानसभा सदस्य रहने के बाद मुरैना से लोकसभा चुनाव जीते और अब ग्वालियर से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री वीरेंद्र कुमार मजबूरी में ही सही सागर के बाद अब टीकमगढ़ से लोकसभा में हैं। ग्वालियर की दो विस सीटों से जीतने के बाद अनूप मिश्रा अब मुरैना से लोकसभा में पहुंचे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.