मप्र में सपा भी बसपा की राह पर, कांग्रेस से गठबंधन के आसार नहीं
पार्टी ने जिला संगठन को अपने बूते चुनावी तैयारी के लिए कह दिया है। टिकट के दावेदारों से बायोडाटा भी मांग लिए हैं।
नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के गठबंधन की चर्चाएं परवान नहीं चढ़ पा रही है। बसपा की तर्ज पर अब सपा ने भी अपनी अलग राह पकड़ ली है। पार्टी ने जिला संगठन को अपने बूते चुनावी तैयारी के लिए कह दिया है। टिकट के दावेदारों से बायोडाटा भी मांग लिए हैं।
प्रदेश में गैर भाजपाई दलों के महागठबंधन को लेकर चल रही कवायद को बसपा के निर्णय से झटका लगा है। बसपा के बाद अब सपा ने भी अपने स्तर पर यह मान लिया है कि चुनावी समर में कांग्रेस का हाथ न थामकर वह अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरी सिंह यादव को जिलों में जाकर संगठन को सशक्त बनाने और जिन सीटों पर अनुकूल संभावनाएं हैं, वहां चुनावी दृष्टि से काम करने को कहा गया है।
सपा के सूत्रों का दावा है कि बुंदेलखंड, विंध्य और महाकोशल में उसका अच्छा जनाधार है। 2003 के विधानसभा चुनाव में सपा ने प्रदेश की सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसके बाद एक सीट (लांजी) उसे उपचुनाव में हासिल हुई थी। इस तरह आठ सीटें सपा के खाते में आई थीं जो कि विंध्य-बुंदेलखंड और महाकोशल अंचल से ही थीं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में भोपाल प्रवास के दौरान इन तीनों क्षेत्रों पर फोकस कर अपने जनाधार को नए सिरे से बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
सपा ने अपनी चुनाव प्रचार समिति की बैठक 24 सितंबर को ओरछा में बुलाई है। बैठक में पार्टी के सांसद चंद्रपाल यादव एवं विशंभर प्रसाद निषाद, जगदेव सिंह, दीपनारायण, पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम और कंकर मुंजारे भी चुनावी रणनीति पर विचार मंथन करेंगे।
कांग्रेस के साथ गठबंधन के मुद्दे पर अब तक कोई निर्णायक बात नहीं हुई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से हमें चुनावी तैयारी के निर्देश मिले हैं। विभिन्न क्षेत्रों से टिकटों के दावेदारों ने जो आवेदन दिए हैं, उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास भेज दिया गया है। सपा अपने प्रत्याशियों की सूची जल्दी जारी करेगी।
- गौरी सिंह यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी, मप्र