जानें- क्या MP में कमल को खिलने से रोक पाएंगे कमल नाथ, 'सात दुर्गों' पर किसका होगा राज
MP में कांग्रेस-भाजपा के बीच मुकाबला दिलचस्प है। यहां दो सवाल अहम है। 2014 के इतिहास को क्या दोहराएगी भाजपा। दूसरा कमल नाथ रोक पाएंगे भाजपा का विजय रथ।
By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 02:12 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 03:35 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। पांचवें चरण के आम चुनाव में मध्य प्रदेश और राजस्थान की 19 संसदीय सीटों पर अपनी जीत के इतिहास को दोहराना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। पिछली बार इन सभी सीटों पर मोदी लहर का प्रभाव था। यही कारण है कि यहां की सभी सीटों के परिणाम भाजपा के पक्ष में थे। इन दोनों राज्यों में भाजपा का दबदबा था। वहीं, एक वर्ष पूर्व यानी 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों सूबों की सियासी तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। अब दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की सरकार है। बदले सियासी समीकरण में इस बार अपने पुराने दुर्ग पर कब्जा कायम रखना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है, वहीं प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कंधे पर इस नए दुर्ग का सहेज के रखने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
सात सीटों पर कांटे की टक्कर, लाज बचाने की चुनौती
इस चरण में मध्य प्रदेश की सात संसदीय सीटों- दमोह, टीमकगढ़, खुजराहो, सतना, होशंगाबाद, रीवा और बेतुल- में कांग्रेस और भाजपा के बीच पर कांटे की टक्कर है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में इन सातों सीटों पर भाजपा का दबदबा था। इतना ही नहीं इन सीटों पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चरण में टीकमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी केंदीय मंत्री वीरेंद्र कुमार मैदान में हैं। उनके लिए चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का विषय है। खुजराहो संसदीय सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा चुनावी मैदान में हैं।
भाजपा ने सतना में वर्तमान सांसद गणेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। उनके समक्ष अपनी सीट को बरकरार रखने की चुनौती है। इसी तरह रीवा में भाजपा ने जर्नादन मिश्रा पर विश्वास जताते हुए उन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस के दिग्गज नेता दिवंगत श्रीनिवास तिवारी के पौत्र और दिवंगत सुंदरलाल तिवारी के पुत्र से है।
भाजपा और कांग्रेस के सेनापतियों में कड़ा मुकाबला
चुनाव प्रचार अभियान में कांग्रेस की ओर से मुख्य सेनापति मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं। वह सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। सूबे में कमलनाथ के कंधों पर किसी भी हाल में कमल को खिलने से रोकना है। उन्हें चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाल रखी है। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू ने भी प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभाल रखा है। उधर, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर अपनी आस्था दिखाते हुए राज्य में प्रचार की कमान दी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
राजस्थान में कांटे की टक्कर
इसी तरह से राजस्थान की 12 संसदीय सीटों पर हो रहे चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। राजस्थान में दो केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसद, पांच पूर्व सांसद, दो विधायक, एक पूर्व विधायक एवं एक पूर्व महापौर की चुनाव प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले वर्ष यहां हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पस्त कर सूबे में सरकार बनाई। इसके बाद राज्य में हाे रहे आम चुनाव में इन 12 सीटों पर कांग्रेस अपने विजय को दोहराना चाहेगी। वहीं भाजपा अपनी 2014 की जीत को कायम रखने के साथ चुनाव मैदान में है।
सात सीटों पर कांटे की टक्कर, लाज बचाने की चुनौती
इस चरण में मध्य प्रदेश की सात संसदीय सीटों- दमोह, टीमकगढ़, खुजराहो, सतना, होशंगाबाद, रीवा और बेतुल- में कांग्रेस और भाजपा के बीच पर कांटे की टक्कर है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में इन सातों सीटों पर भाजपा का दबदबा था। इतना ही नहीं इन सीटों पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चरण में टीकमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी केंदीय मंत्री वीरेंद्र कुमार मैदान में हैं। उनके लिए चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का विषय है। खुजराहो संसदीय सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा चुनावी मैदान में हैं।
भाजपा ने सतना में वर्तमान सांसद गणेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। उनके समक्ष अपनी सीट को बरकरार रखने की चुनौती है। इसी तरह रीवा में भाजपा ने जर्नादन मिश्रा पर विश्वास जताते हुए उन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस के दिग्गज नेता दिवंगत श्रीनिवास तिवारी के पौत्र और दिवंगत सुंदरलाल तिवारी के पुत्र से है।
भाजपा और कांग्रेस के सेनापतियों में कड़ा मुकाबला
चुनाव प्रचार अभियान में कांग्रेस की ओर से मुख्य सेनापति मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं। वह सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। सूबे में कमलनाथ के कंधों पर किसी भी हाल में कमल को खिलने से रोकना है। उन्हें चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाल रखी है। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू ने भी प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभाल रखा है। उधर, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर अपनी आस्था दिखाते हुए राज्य में प्रचार की कमान दी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
राजस्थान में कांटे की टक्कर
इसी तरह से राजस्थान की 12 संसदीय सीटों पर हो रहे चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। राजस्थान में दो केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसद, पांच पूर्व सांसद, दो विधायक, एक पूर्व विधायक एवं एक पूर्व महापौर की चुनाव प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले वर्ष यहां हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पस्त कर सूबे में सरकार बनाई। इसके बाद राज्य में हाे रहे आम चुनाव में इन 12 सीटों पर कांग्रेस अपने विजय को दोहराना चाहेगी। वहीं भाजपा अपनी 2014 की जीत को कायम रखने के साथ चुनाव मैदान में है।
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