Assembly elections2018 : राहुल गांधी तय करेंगे कौन बनेगा मुख्यमंत्री
Assembly elections2018 : मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस नेता के नाम पर आज दिल्ली में लगेगी मुहर
संजय मिश्र, नई दिल्ली। तीन राज्यों में जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल दिग्गजों के डटे रहने की वजह से कांग्रेस के लिए सीएम तय करना आसान नहीं रहा। मध्य प्रदेश में कमलनाथ बेशक मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी कोशिश अभी छोड़ी नहीं है।
राजस्थान में अशोक गहलोत की राह में सचिन पायलट समर्थक विधायकों की जबर्दस्त पेशबंदी बड़ी चुनौती साबित हो रही है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की वर्षों की जबर्दस्त मेहनत की अनदेखी कर ताम्रध्वज साहू को मुख्यमंत्री की कुर्सी देना भी आसान नहीं साबित हो रहा। इस रस्साकशी की वजह से ही तीनों राज्यों में अब गुरुवार को कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री तय करेगा।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना बताई जा रही है। राज्य में कांग्रेस के बहुमत के नजदीकी आंकड़े को देखते हुए उनका सियासी अनुभव ज्यादा उपयोगी माना जा रहा है। साथ ही लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के लिहाज से राज्य में पार्टी के अंदरूनी समीकरण से छेड़छाड़ को मुनासिब नहीं माना जा रहा।
सूबे के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कमलनाथ के साथ खुले तौर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के चुनाव अभियान में जोश भरने की अपनी क्षमता देख दावा जताने से गुरेज नहीं कर रहे। सूबे की सियासी संवेदनशीलता को भांपते हुए ही पार्टी ने वरिष्ठ नेता पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी को भोपाल भेजा था। एंटोनी ने विधायक दल की बैठक में हाईकमान के फैसला करने का प्रस्ताव पारित करा वहां सीधे रस्साकशी की नौबत टाल दी।
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में कांग्रेस के पूरे प्रदेश नेतृत्व के दुखद सफाए के बाद भूपेश बघेल ने पार्टी को नए सिरे से खड़ा कर ऐतिहासिक जीत तक पहुंचाया है। इसीलिए स्वाभाविक रूप से उनका दावा सबसे मजबूत है। मगर राज्य के जातीय समीकरण और लोकसभा चुनाव को देखते हुए ताम्रध्वज साहू को हाईकमान की पसंद के रूप में देखा जा रहा है। वहीं वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने भी दावेदारी छोड़ी नहीं है। कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडगे विधायकों की राय हाईकमान को सौंपेंगे और उसी आधार पर राहुल सीएम तय करेंगे।
सबसे ज्यादा रस्साकशी राजस्थान में है, जहां दो बार सीएम रह चुके दिग्गज अशोक गहलोत तीसरी पारी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। मगर गहलोत को इस बार युवा सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को राजी करना आसान नहीं हो रहा। केंद्रीय पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल काफी मशक्कत के बाद भी आम राय नहीं बना सके। अब राहुल पर सीएम का फैसला छोड़ दिया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल के लिए मुख्यमंत्री तय करने का यह पहला मौका है। वे इस वक्त कोई जोखिम लेना नहीं चाहते। ऐसे में राहुल भी विधायकों की रायशुमारी और पार्टी की सियासत में संतुलन का आकलन कर तीनों सूबों में मुख्यमंत्री तय करेंगे।
विधायक दल की बैठक में नहीं हो सका फैसला
--मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बुधवार को विधायक दल की बैठक में नेता का फैसला नहीं हो सका।
--तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक विधायकों से रायशुमारी कर इसकी रिपोर्ट राहुल गांधी को देने दिल्ली लौट आए।
--मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं के समर्थक विधायक अपने नेता के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
--दावेदारों में से किसी ने भी मैदान छोड़ने का संकेत नहीं दिया। इसीलिए फैसला राहुल पर छोड़ दिया गया।
उपमुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर भी विचार कर रहा कांग्रेस नेतृत्व
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों से चर्चा के बाद अगले लोकसभा चुनाव और पार्टी की भविष्य की सियासत को ध्यान में रखते हुए हाईकमान गुरुवार को तीनों सूबों में मुख्यमंत्री का नाम तय कर इसकी घोषणा करेगा। पार्टी नेतृत्व दूसरे प्रबल दावेदार को सहमत करने के लिए इन सूबों में उपमुख्यमंत्री बनाने के फॉर्मूले पर भी मंत्रणा कर रहा है। हालांकि इस फॉर्मूले को अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाया जाएगा।