मध्यप्रदेश भाजपा के लिए 'शुभंकर' की तरह थे अनंत कुमार
MP Election 2018 चुनाव के दौरान अनंतकुमार एक-डेढ़ महीने तक मप्र में ही डेरा डालकर चुनावी प्रबंधन और रणनीति की कमान अपने हाथ में ले लेते थे।
भोपाल। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार भले ही बेंगलुरु के सांसद रहे, लेकिन मध्यप्रदेश से उनका आत्मीय लगाव हो गया था। सात साल तक वह मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी रहे। इस दौरान भाजपा लगातार 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार सत्ता में लौटी। इसके बाद तो उन्हें पार्टी का 'शुभंकर" ही कहा जाने लगा।
चुनाव के दौरान वह एक-डेढ़ महीने तक मप्र में ही डेरा डालकर चुनावी प्रबंधन और रणनीति की कमान अपने हाथ में ले लेते थे। मिलनसार और मददगार स्वभाव के चलते प्रदेश के भाजपा नेताओं में वह काफी लोकप्रिय हो गए थे।
लगातार सात साल तक प्रभारी रहते हुए भोपाल और अन्य जिलों के दौरे करते रहने से उनके कई नेता और पत्रकारों से दोस्ताना संबंध भी बन गए थे। चुनाव के दौरान उनका चुनावी रणनीतिक कौशल देखते ही बनता था। उस वक्त मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मौजूदा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और तत्कालीन संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के साथ काम करते हुए उनकी गजब की ट्यूनिंग बन गई थी।
केंद्र में मंत्री बनने के बाद उनका मप्र आना एकदम कम हो गया, इसके बाद पार्टी ने डॉ. विनय सहाबुद्धे को प्रदेश की कमान सौंप दी। करीब दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की योजनाओं की ब्रांडिंग करने उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए मप्र भेजा था।
तब भोपाल के पत्रकारों से उन्होंने काफी देर तक खुलकर औपचारिक और अनौपचारिक चर्चा की थीं। मप्र में यह उनकी अंतिम यात्रा रही। इस प्रतिनिधि के साथ कई अवसरों पर उन्होंने अनेक मुद्दों पर बेबाकी से चर्चा की। केंद्रीय मंत्री उमा भारती उन्हें अपना हनुमान तक कहती थीं, उमा की तिरंगा और एकता यात्रा के वे प्रभारी भी रहे।