मैसूर कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह कर्नाटक के 28 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। यहां 1951 में सबसे पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। यह बंगलौर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर बसा है। मैसूर न सिर्फ कर्नाटक में पर्यटन के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है बल्कि आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों के लिए एक कड़ी के रूप में भी काफी महत्वपूर्ण है। शहर में सबसे ज्यादा टूरिस्ट मैसूर के दशहरा उत्सव के दौरान आते हैं। मैसूर से थोड़ी दूर कृष्णराज सागर डैम और उससे लगा वृंदावन गार्डन यहां की काफी प्रसिद्ध जगह है। यहां प्रसिद्ध मैसूर विश्वविद्यालय भी है। दिल्ली से मैसूर की दूरी 2,328.1 किलोमीटर है।
श्री प्रताप सिम्हा
विजय शंकर
पीके बीडप्पा
श्री प्रताप सिम्हा
बीजेपी2019
ए एच विश्वनाथ
कांग्रेस2009
सी एच विजयशंकर
बीजेपी2004
श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार
कांग्रेस1999
सी एच विजयशंकर
बीजेपी1998
श्रीकांतदत्ता नरसिम्हाराजा वादेयाय
कांग्रेस1996
चंद्रप्रभा उर्स
कांग्रेस1991
श्रीकांतदत्त नरसिम्हराज वाडेयार
कांग्रेस1989
श्रीकांतदत्ता नरसिम्हाराज वाडियार
कांग्रेस1984
एम राजशेखर मूर्ति
कांग्रेस1980
एच डी तुलसीदास
कांग्रेस1977
एम डी तुलसीदास
कांग्रेस1971
एच डी तुलसीदास
कांग्रेस1967
एम शंकरैया
कांग्रेस1962
एम. शंकरैया
कांग्रेस1957
एन राचिया
कांग्रेस1952
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान